सूरत, शहर के पाल में श्री कुशल कांति खरतरगच्छ जैन श्री संघ पाल स्थित श्री कुशल कांति खरतरगच्छ भवन में पाल में दो दिवसीय संघशास्ता वर्षावास राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद रविवार 29 सितंबर को ज्ञान वाटिका आयोजन आचार्य जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी के पावन निश्रा में हुआ. राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन के अवसर पर रविवार को संघ स्वामीवत्सल्य का आयोजन रखा है. देश भर की ज्ञान वाटिका के प्रतिभाशाली बच्चो का आचार्य प्रवर की निश्रा में श्री कुशल कांति खरतरगच्छ जैन श्री संघ पाल द्वारा बहुमान किया जाएगा. ज्ञान वाटिका के बच्चों द्वारा सुंदर नाटय मंचन द्वारा सुंदर संदेश दिया गया. बच्चों द्वारा गीत गाये गए.
ज्ञान वाटिका को संबोधित करते हुए मनितप्रभ म. सा. ने कहा कि ज्ञान की आराधना से गुरूदेव की प्रेरणा से ज्ञान वाटिका की शुरूआत हुई. उद्यानरूपी ज्ञान वाटिका में बहुत सारे फूल खिलते है. जिसमें ज्ञान, इतिहास, साहित्य, ड्रामा, गायन, आराधना, माता पिता के सेवा के फूल खिलते रहते है. ज्ञान ऐसा तत्व है जो हमारी राहों को हमेशा रोशन करता रहता हैं. सूरत उगता है, डूबता है. चंद्र उगता है, डूबता है लेकिन ज्ञान ऐसा कोहिनूर है जो हमेशा चमकता रहता है. जो हमे सुख- दु:ख में हमेशा समझ देता है. गरीबी भी आए तो प्रसन्नता से और अमीरी भी सरलता से स्विकारना चाहिए.
राष्ट्रीय समिति की अध्यक्ष सरोज ने ज्ञान वाटिका के बच्चों को मार्गदर्शन करते हुए कहा कि बच्चों को संस्कार देकर सुगृहस्थ बनाया जा सकता है. सुश्रावक सुश्राविका बनाया जा सकता है. पारिवारिक अनुशासन शिथिलता आयी है. राष्ट्रीय चारित्र का तो पक्षघात हो गया है. धार्मिक आस्था भी कमजोर पड़ गई है.