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सार
मिशन 2022 की फतह के लिए सपा और रालोद ने पश्चिमी यूपी के छह मंडलों में किसान आंदोलन के ताप को कम न होने देने की रणनीति बनाई है। 23 दिसंबर को अलीगढ़ के इगलास में चौधरी चरण सिंह की जयंती पर जनसभा का एलान किया गया है। कहा जा रहा है कि यह जनसथा दबथुआ में हुई रैली से भी विशाल होगी।
सपा रालोद की रैली में उमड़ी भीड़
– फोटो : अमर उजाला
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पश्चिमी यूपी के मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, अलीगढ़ और आगरा मंडल की सीटों पर 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को किसानों ने बड़ी ताकत दी थी। गन्ना और तराई बेल्ट में मिली इसी ताकत कोे 2022 में सहेजना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है।
तीन कृषि कानूनों से पैदा हुई नाराजगी को भाजपा के लिए बड़ी मुश्किल माना जा रहा है। लखीमपुर कांड के बाद यह नाराजगी और बढ़ी है। रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी तीन कृषि कानूनों को लगातार मुद्दा बना रहे हैं। अब अखिलेश की जुगलबंदी के बाद इसे और मुखर ढंग से उठाने की तैयारी है।
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ध्रुवीकरण की काट में जातीय गणित
सपा-रालोद पश्चिमी यूपी में ध्रुवीकरण की काट में जातीय गणित बिठाने में भी जुट गए हैं। किसान आंदोलन के सहारे वह जाट मतदाताओं में फिर अपनी पैठ बनाने में जुटे हैं तो मुस्लिम और दलित पर भी नजर है। वर्ष 2009 में भाजपा के साथ गठबंधन के बाद मुस्लिम रालोद से छिटक गया था।
2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जाट मतदाताओं का रुझान भी भाजपा की तरफ हो गया, पर किसान आंदोलन से पश्चिमी यूपी में रालोद को राजनीतिक लाभ मिला है।
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रालोद के मीडिया संयोजक सुनील रोहटा ने बताया कि रालोद की तरफ से रोहटा में जल्द ही रोजगार मेला लगाया जाएगा। इसमें कई बड़ी कंपनियां आएंगी और रोजगार देंगी। जल्द ही तारीख के बारे में बताया जाएगा। उन्होंने बताया कि दबथुवा रैली में राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह का फोकस नौजवानों पर रहा। वे युवाओं की परेशानी समझते हैं और सरकार बनने पर उनके लिए बहुत कुछ करेंगे।
अलीगढ़ की रैली दबथुवा से भी बड़ी होगी
कृषि कानूनों को वापस लेने में देरी हुई। गन्ना बकाया भुगतान और एमएसपी भी बड़ा मुद्दा बना हुआ है। सपाई लगातार इसके खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे। किसानों को जागरूक करते रहेंगे। 23 दिसंबर को इगलास (अलीगढ़) में होने वाली साझा रैली दबथुवा से भी बड़ी होगी। – नरेश उत्तम पटेल, प्रदेश अध्यक्ष सपा
किसानों के साथ ज्यादती हुई है और हो रही है। रालोद हमेशा से किसानों के साथ है और आगे भी रहेगी। किसानों के लिए संघर्ष करती रहेगी। किसानों की आवाज बनती रहेगी। अब बड़ी संख्या में लोग इगलास की रैली में जाएंगे। – त्रिलोक त्यागी, राष्ट्रीय महासचिव रालोद
विस्तार
पश्चिमी यूपी के मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, अलीगढ़ और आगरा मंडल की सीटों पर 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को किसानों ने बड़ी ताकत दी थी। गन्ना और तराई बेल्ट में मिली इसी ताकत कोे 2022 में सहेजना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है।
तीन कृषि कानूनों से पैदा हुई नाराजगी को भाजपा के लिए बड़ी मुश्किल माना जा रहा है। लखीमपुर कांड के बाद यह नाराजगी और बढ़ी है। रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी तीन कृषि कानूनों को लगातार मुद्दा बना रहे हैं। अब अखिलेश की जुगलबंदी के बाद इसे और मुखर ढंग से उठाने की तैयारी है।
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