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Rewa Breaking -सहायक परियोजना अधिकारी जिला पंचायत रीवा आभा सिंह को सूचना आयोग ने लगाया 6500 का जुर्माना

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सूचना आयुक्त राहुल सिंह की एक और बड़ी कार्यवाही

नोटशीट को लेकर दोनों पीआईओ द्वारा आयोग को किया गया गुमराह – शिवानंद द्विवेदी

अतिरिक्त सीईओ एबी खरे के ऊपर अनुशासनात्मक कार्यवाही के आदेश।।

13 अप्रैल 2022 रीवा मध्य प्रदेश

सूचना के अधिकार कानून के उल्लंघन पर मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने एक बार फिर बड़ी कार्यवाही की है। एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी के द्वारा दिनांक 23 नवंबर 2020 को लगाए गए एक आरटीआई में फैसला सुनाते हुए सहायक परियोजना अधिकारी एवं तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी जिला पंचायत रीवा श्रीमती आभा सिंह के ऊपर 6 हज़ार 500 रु का जुर्माना लगाया है। मामले की अंतिम सुनवाई 31 मार्च 2022 को की गई जिसमें सहायक परियोजना अधिकारी आभा सिंह द्वारा जानकारी न देने के पीछे कोई युक्तियुक्त कारण नहीं बताया गया जिसके चलते उनके ऊपर यह जुर्माना लगा है। मामले में पंचायत पीआरडी शाखा जिला पंचायत रीवा के तत्कालीन प्रभारी अधिकारी संदीप शुक्ला जो कि उस समय डीम्ड लोक सूचना अधिकारी के पद पर भी थे उन्हें कारण बताओ नोटिस से मुक्त किया गया है।

मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह

गंगेव जनपद के हुए बड़े एलईडी लाइट घोटाले पर पर्दा डालने का किया गया था प्रयास

मामले की जानकारी देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के द्वारा बताया गया कि उन्होंने 23 नवंबर 2020 को एक आरटीआई लगाकर गंगेव जनपद में हुए एलईडी लाइट घोटाले के विषय में जानकारी चाही थी। उनके द्वारा बताया गया की जनपद पंचायत गंगेव के तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी के द्वारा जारी पत्र क्रमांक 799 के माध्यम से जिला पंचायत रीवा के सीईओ स्वप्निल वानखेडे को बताया गया की गंगेव जनपद में एलईडी लाइट का कार्य सही ढंग से नहीं किया जा रहा है और नियम विरुद्ध काम हो रहा है। इस पत्र के आधार पर सीईओ जिला पंचायत रीवा स्वप्निल वानखेड़े के द्वारा पत्र क्रमांक 9180 जनपद गंगेव की समस्त ग्राम पंचायत के सचिवों को जारी किया गया था जिसमें एलईडी लाइट घोटाले के परिलक्षित होने पर तत्काल पेमेंट बंद किए जाने और कार्य बंद किए जाने के विषय में आदेश दिया गया था। आवेदक शिवानंद द्विवेदी ने बताया की जब जिला पंचायत रीवा में आरटीआई लगाकर उन्होंने उक्त दोनों पत्रों के विषय में पत्राचार, नोटशीट, आर्डर शीट, समस्त आद्यतन कार्यवाही एवं समस्त संलग्न दस्तावेज की प्रमाणित प्रति चाही तो तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी जिला पंचायत रीवा के द्वारा घुमा फिरा कर जवाब दिया गया जिसके चलते उन्होंने मामले की प्रथम अपील 26 दिसंबर 2020 को कार्यालय जिला पंचायत में की और जब मामले पर संतोषजनक सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने इसकी दूसरी और अंतिम अपील मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग भोपाल में की। जिसकी अंतिम सुनवाई 31 मार्च 2022 को संपन्न हुई। मोबाइल कॉल के माध्यम से संपन्न हुई सुनवाई में तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी एवं सहायक परियोजना अधिकारी आभा सिंह एवं वर्तमान में अनूपपुर में पदस्थ तत्कालीन डीम्ड लोक सूचना अधिकारी एवं पीआरडी शाखा के प्रभारी संदीप शुक्ला के साथ आवेदक से उपस्थित रहे। सुनवाई के दौरान आयोग को दोनों पक्षों के द्वारा अपना तर्क प्रस्तुत किया गया। जहां एक तरफ आभा सिंह का कहना था कि गलती संदीप शुक्ला की थी जो उन्होंने समय पर जानकारी नहीं दी वहीं संदीप शुक्ला ने कहा कि उनकी गलती नहीं है क्योंकि उन्होंने 14 दिसंबर 2020 को ही जानकारी दे दी थी जिसके प्रमाण के तौर पर उन्होंने उस पत्र पर आभा सिंह के हस्ताक्षर दिखाए। इस प्रकार गुण दोष के आधार पर यह पाया गया की आभा सिंह के द्वारा आयोग को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है क्योंकि आभा सिंह के पास ऐसे कोई तथ्यात्मक सबूत नहीं थे जिससे वह अपने आप को निर्दोष सिद्ध कर पाए।

 इस प्रकार मामले में सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने आभा सिंह को दोषी पाया और जानकारी छुपाए जाने के प्रयास के चलते उनके ऊपर 250 रु प्रतिदिन के हिसाब से कुल 26 दिनों का 6 हज़ार 500 रु का जुर्माना लगाया।

अतिरिक्त सीईओ एबी खरे जिला पंचायत रीवा के ऊपर अनुशासनात्मक कार्यवाही के आदेश

सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने एक बार फिर अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा एबी खरे को कर्तव्यों के प्रति लापरवाही में दोषी पाते हुए उनके ऊपर अनुशासनात्मक कार्यवाही के आदेश दिए हैं। सूचना आयुक्त ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा की एबी खरे के द्वारा इसके पूर्व भी अपील क्रमांक 0842/2021 अपील क्रमांक 3923/2021 में भी अपने कर्तव्यों के निर्वहन के प्रति लापरवाही बरती गई थी। इस प्रकार उन्होंने विकास आयुक्त पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग भोपाल को अलग से पत्र लिखकर इस अपील क्रमांक 2197/2021 के आधार पर मध्यपदेश सिविल सेवा आचरण अधिनियम 1965 की धारा 3(ए)(ए),(बी) के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के आदेश दिए हैं और पालन प्रतिवेदन मांगा है। इन सभी मामलों में सूचना आयुक्त ने कहा है कि की गई कार्यवाही से अवगत कराते हुए उनकी सेवा पुस्तिका में भी इसे दर्ज किया जाए।

मामले की नोटसीट उपलब्ध थी लेकिन लोक सूचना अधिकारी द्वारा झूठ बोला गया – शिवानंद द्विवेदी

वही ऑर्डर पढ़ने के बाद एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी का कहना है कि मामले की सुनवाई के दौरान तथ्य छुपाए गए हैं। क्योंकि इसके पूर्व सूचना आयुक्त राहुल सिंह के द्वारा अपने आदेश में लोक सूचना अधिकारी जिला पंचायत रीवा को आदेशित किया गया था कि वह इस मामले की फाइल का अवलोकन आवेदक को कराएं। जब आवेदक फाइल का अवलोकन करने 31 मार्च 2022 को जिला पंचायत कार्यालय रीवा में गया तो उस समय यह देखा गया कि फाइल में दो प्रमुख पत्र क्रमांक 799 एवं 9180 दोनों फाइल में मौजूद थे और साथ में उससे संबंधित 3 पन्ने की नोटशीट भी थी जिसमें एक नोटशीट में मामले के विषय में लिखा हुआ था और किसी कर्मचारी या अधिकारी के हस्ताक्षर थे जबकि दो अन्य नोटसीट खाली पड़ी थी।

इस प्रकार यह सिद्ध होता है की दिनांक 21/09/2020 की बनाई गई नोटसीट आरटीआई आवेदन दिनाँक 23/11/2020 के पूर्व ही उपलब्ध थी। लेकिन जहां पीआरडी शाखा के तत्कालीन प्रभारी संदीप शुक्ला के द्वारा झूठ बोला गया वहीं लोक सूचना अधिकारी के द्वारा भी झूठ कहा गया कि नोटसीट उपलब्ध नहीं थी। जबकि इस विषय में आयोग ने कई बार तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी एवं सहायक परियोजना अधिकारी आभा सिंह को नोटिस दी है और इसके साथ ही एक नोटिस तत्कालीन डीम्ड लोक सूचना अधिकारी पीआरडी शाखा प्रभारी संदीप शुक्ला को भी दी थी। 

 इस प्रकार आवेदक ने कहा कि जिस प्रकार से दोनों लोक सूचना अधिकारी तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी एवं तत्कालीन डीम्ड लोक सूचना अधिकारी के द्वारा सूचना आयोग को गुमराह करने का प्रयास किया गया और आवेदक को आधी अधूरी जानकारी दी गई इसके लिए वह धारा 18 की शिकायत करेंगे और पुनः कार्यवाही की मांग करेंगे। 

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