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संसद में भड़काऊ भाषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड से मांगी स्टेटस रिपोर्ट

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संसद में भड़काऊ भाषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड से मांगी स्टेटस रिपोर्ट

हरिद्वार,हरिद्वार में पिछले साल ‘धर्म संसद’ कार्यक्रम के दौरान भड़काऊ भाषण को लेकर की जा रही जांच में हुई प्रगति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से स्टेस्ट रिपोर्ट दाखिल करने के कहा है। इसके साथ ही, कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश में इस तरह के धर्म संसद के आयोजन को लेकर याचिकाकर्ता को राज्य सरकार को इसकी कॉपी देने की भी इजाजत दी है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को यह भी छूट दी है कि वे इस कार्यक्रम के खिलाफ संबंधित जिला कलेक्टर के सामने शिकायतें दायर करवा सकते हैं।

धर्म संसद में दिए गए भड़काऊ भाषण के खिलाफ आपराधिक कार्यवाई की मांग पर पत्रकार कुर्बान अली और सीनियर एडवोकेट अंजना प्रकाश पटना हाईकोर्ट के पूर्व जज की याचिका पर विचार करते जस्टिस ए।एम खानविलकर और अभय एस। ओका की बेंच की तरफ से यह आदेश दिया गया। इस मामले में उत्तराखंड सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने काउंटर एफिडेविट दायर करने के लिए और समय की मांग की है। लाइव लॉ के मुताबिक, राज्य सरकार की तरफ से यह बताया गया कि पुलिस ने इस मामले में चार केस दायर किए हैं और तीन मामलों में चार्जशीट दायर की जा चुकी है। प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली बेंच ने याचिका पर 12 जनवरी को नोटिस जारी किया था। सीजेआई के सामने कल फौरन सुनवाई के लिए याचिकाकर्ता के वकील की तरफ से मामले को रखा गया था। इसके बाद, इस मामले को जस्टिस खानविलकर की बेंच के सामने सुनवाई के लिए रखा गया था। साल 2021 में 17 और 19 दिसंबर को हरिद्वार में यति नरसिंहानंद की तरफ से और दूसरा कार्यक्रम दिल्ली में हिन्दू युवा वाहिनी की तरफ से आयोजित किया गया था। याचिकाकर्ताओं ने इस कार्यक्रम के दौरान दिए गए भड़काऊ भाषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फौरन सुनवाई की मांग की थी। वकील रश्मि सिंह, सुमिता हजारिका की तरफ से दायर याचिका में भड़काऊ भाषण को लेकर एसआईटी से निष्पक्ष जांच की मांग की गई थी। केन्द्रीय गृह मंत्रालय, दिल्ली के पुलिस कमिश्नर और डीजीपी उत्तराखंड को पक्ष बनाया गया था। इसके बाद उत्तराखंड सरकार ने विवादित यति नरसिंहानंद को गिरफ्तार किया, जो 16 जनवरी को आयोजित धर्म संसद कार्यक्रम के दौरान मुख्य स्पीकर थे। करीब एक महीने के बाद फरवरी में जमानत पर उन्हें रिहा कर दिया गया था।

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