Home अर्थव्यवस्था डेटा बिल आरटीआई कानून के लिए बड़ा खतरा – शैलेश गांधी

डेटा बिल आरटीआई कानून के लिए बड़ा खतरा – शैलेश गांधी

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प्रस्तावित डेटा विल से आरटीआई के संशोधन वाली धाराएं हटाई जाए – आत्मदीप

आरटीआई कानून को बचाने के लिए सतत संघर्ष जारी रखना पड़ेगा – भास्कर प्रभु

सेव आरटीआई स्टोरीज के माध्यम से जनता के पास पहुंचे संदेश – शैलेश गांधी

आरटीआई कानून को बचाने के लिए एक बार पुनः पूरे देश के पूर्व सूचना आयुक्तों और आरटीआई कार्यकर्ताओं ने कमर कस ली है। दिनांक 5 फरवरी 2023 को आयोजित 137 वें राष्ट्रीय आरटीआई वेबीनार के दौरान यह बात कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी, पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप एवं माहिती अधिकार मंच मुंबई के संयोजक एवं वरिष्ठ आरटीआई कार्यकर्ता भास्कर प्रभु सहित उपस्थित आरटीआई कार्यकर्ताओं और देश के गणमान्य नागरिकों ने रखी है।

सेव आरटीआई स्टोरीज के माध्यम से जनता के सामने डेटा बिल के दुष्प्रभाव को सामने लाएं – शैलेश गांधी

कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्ट अतिथि के तौर पर पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने पहले की भांति एक बार पुनः सरकार और न्यायपालिका को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि यह सरकारें और न्यायपालिका आरटीआई कानून को खत्म कर देना चाहती है। उन्होंने कहा कि आए दिन आरटीआई कानून में दुष्प्रभावी संशोधन करते हुए सरकार धीरे-धीरे आरटीआई कानून को समाप्त करना चाहती है। वहीं न्यायपालिका के आए दिन आदेश स्वयं ही विचार करने योग्य है जिसमें गैरकानूनी ढंग से आरटीआई कानून को संशोधित कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि कोर्ट के आदेशों में कभी यह जानकारी नहीं मिलेगी तो कभी वह जानकारी नहीं मिलेगी, इस प्रकार धारा 8(1)(जे) और निजता के नाम पर आर टी आई पर कुठाराघात किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं को आम जनता के बीच में जाकर आरटीआई कानून बचाओ इस प्रकार छोटी-छोटी कहानियां जिसमें किस प्रकार दुष्प्रभावी संशोधन से उन्हें राशन, पेंशन और बेसिक एमेनिटीज की जानकारियां प्राप्त नहीं हो सकेंगी और वह परेशान होंगे इन बातों को रखा जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आज जनता के बीच में जाकर उन्हें इस आंदोलन में पुनः शामिल करने की जरूरत है तभी आरटीआई कानून बच पाएगा। इस प्रकार उन्होंने कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की।

आरटीआई कानून को संशोधित करने वाली सभी धाराएं डाटा बिल से हटाई जाए – आत्मदीप

कार्यक्रम में दूसरे विशिष्ट अतिथि के तौर पर पधारे पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने कहा कि आने वाले प्रस्तावित डेटा बिल के माध्यम से सरकार आरटीआई कानून की धारा 8(1)(जे) को हटाने का जो सुनियोजित प्लान कर रही है उससे आने वाले दिनों में आम व्यक्ति को काफी परेशानी होगी और सामान्य जानकारियां जो आज हमें प्राप्त हो जाती है उन्हें हासिल करने में दिक्कत होगी। उन्होंने कहा कि निजी विश्वविद्यालय भी आरटीआई कानून के दायरे में आती हैं जहां पर जानकारी प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने उपस्थित सहभागियों के कई सवालों के जवाब प्रस्तुत किए और आरटीआई कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर सूचना के अधिकार कानून को बचाने के लिए मुस्तैदी से काम करने का आह्वान किया।

हम पोस्टकार्ड अभियान के माध्यम से आरटीआई कानून को बचाने का कर रहे प्रयास – भास्कर प्रभु

मुंबई से पधारे माहिती अधिकार मंच मुंबई के संयोजक एवं वरिष्ठ आरटीआई कार्यकर्ता भास्कर प्रभु ने बताया कि उन्होंने एक बार पुनः आरटीआई कानून को प्रस्तावित डाटा बिल से बचाने के लिए पोस्टकार्ड अभियान प्रारंभ कर दिया है। उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में तुषार गांधी और सर्वधर्म गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में पोस्टकार्ड अभियान प्रारंभ किया है और यह सब जानकारी विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी साझा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका यह प्रयास निरंतर जारी रहेगा क्योंकि आने वाले दिनों में बजट अथवा मानसून सेशन में सरकार द्वारा प्रस्तावित डेटा बिल के माध्यम से आरटीआई कानून को संशोधित किए जाने का जो सुनियोजित प्लान चल रहा है उससे पहले हमें आरटीआई कानून को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि शासन के समक्ष हमारी बातें पहुंचे और मजे कर रहे अधिकारी और सरकार के नुमाइंदे यह सोचने पर मजबूर हो जाए कि यदि पारदर्शिता और जवाबदेही कानून नहीं रहेगा तो देश में लोकतंत्र मजबूत नहीं बनेगा।

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