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दो महीने पहले एक विपक्षी पार्षद ने अवैध अस्थायी ढांचों की शिकायत की थी, लेकिन नतीजा शून्य रहा

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आप पार्षद 1

सूरत, राजकोट अग्निकांड के बाद सूरत नगर पालिका ने फायर एनओसी या अन्य अवैध गतिविधियों के बारे में जानकारी जुटाना शुरू कर दिया है, लेकिन इससे नगर पालिका की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. नगर पालिका के विपक्ष के एक पार्षद ने वराछा क्षेत्र में बहुत बड़ी अस्थायी संरचनाओं की उपस्थिति के बारे में शिकायत की और कहा कि इससे दुर्घटनाएं होंगी. आरोप है कि दो माह से शिकायत दर्ज कराने के बावजूद नगर पालिका की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

सूरत नगर पालिका के आप पार्षद ने मार्च में नगर पालिका को पत्र लिखकर कहा था कि शहर के वराछा क्षेत्र सहित कई क्षेत्र में अस्थायी संरचनाएं अवैध हैं. लेकिन इतनी गंभीर शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? यह बहस का विषय बन गया है. पत्र में कहा गया है कि वराछा जोन-ए में चुनाव वार्ड नंबर-17 में टीपी-17, 20 और 60 में बड़े पैमाने पर अस्थायी संरचनाओं का निर्माण किया गया है. यह पाया गया है कि ये सभी अस्थायी संरचना योजनाएं सूरत नगर निगम की अनुमति के बिना पूरी की गई हैं और यदि अनुमति ली गई है, तो समय सीमा पूरी हो चुकी है. सभी अस्थायी संरचनाएं सूरत नगर निगम के दिशानिर्देशों के खिलाफ हैं. साथ ही इस ढांचे के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई है और जो अनुमति है वह समाप्त हो चुकी है. इतनी गंभीर शिकायत के बाद भी नगर पालिका द्वारा अभी तक कोई कार्रवाई नहीं किए जाने पर पार्षद ने कहा कि नगर पालिका के अधिकारी पर ही संदेह जताया जा रहा है.

आप के निगम पार्षद विपुल सुहागिया ने कहा कि, पिछले दो महीने पहले मैंने अस्थायी ढांचे को लेकर सवाल उठाया था. इतना ही नहीं बल्कि डेढ़ साल पहले जब मैंने ये सवाल उठाया था तब भी मुझे कोई जवाब नहीं मिला था. जब भी अधिकारियों से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, हां हम देखते हैं, हम कार्रवाई कर रहे हैं लेकिन हकीकत यह है कि कोई कार्रवाई नहीं की गई है. मैंने इसके लिए केवल अपने क्षेत्र योगीचौक – पुणे क्षेत्र के लिए कहा था, लेकिन शहर भर में ऐसी कई अवैध अस्थायी संरचनाएं खड़ी की गई हैं. इसमें सीधे तौर पर अधिकारियों की मिलीभगत है. यदि अधिकारियों को थोड़ी सी भी जानकारी है, तो बड़े अस्थायी ढांचे, जो जीवन के लिए खतरा साबित हो सकते हैं, को हटाया क्यों नहीं जाता. भ्रष्ट राजनीति के कारण ये संरचनाएँ बनती रही हैं और बनती रहेंगी. इतनी बड़ी घटना के बाद भी अधिकारी इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.

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