क्रांति समय, सूरत, शहर के पाल में श्री कुशल कांति खरतरगच्छ जैन श्री संघ पाल स्थित श्री कुशल कांति खरतरगच्छ भवन में युग दिवाकर खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म. सा. ने सोमवार 19 अगस्त को रक्षा बंधन के पवित्र त्यौहार पर कहा कि पवित्र संबंध ही आत्माओं को पवित्रता देने वाले है. जीवन बिना संबंधों के चलता नहीं है, जीवन बिना प्रेम के आगे बढ़ नहीं सकता. प्रेम का कच्चा धागा कितना मजबूत होता है. आचार्य जी ने कहा कि मैं इतना पढ़ा लिखा नहीं हूं. नौंवी क्लास तक पढ़कर दीक्षा ले ली. बहन विद्युतप्रभा छठी क्लास पास करने के बाद दीक्षा ले ली. लेकिन इसके बाद आगे पढ़ाई की. मेरी उंचाई में मुख्य भूमिका निभानेवाली मेरी बहन डॉ.विद्युतप्रभा म.सा है. संवेदनाएं अनुभव के लिए है. लेकिन अभिव्यक्ति होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि राखी बांधने का रिवाज अनंतकाल से है. जब भी तीर्थकर परमात्मा का जन्म होता है, छप्पनद कुमारी गाय आती है, और अलग अलग दिशाओं से आकर सूती कर्म करती है. कुमारिका आती है तो अंत में हवन करती है. हवन करके राख तैयार करती है. उस राख को अभिमंत्रित करती है, उसकी राखी बनाती है. रक्षा पोटली बनाती है और परमात्मा के दाएं हाथ में बांधती है. भाई का बहन के प्रति और बहन का भाई के प्रति प्रेम की अभिव्यक्ति का यह लौकिक पर्व भी हमारे अंत को भिगोनेवाला बने. भाई बहन एक दूसरे का हाथ थामकर एकदूजे के सहयोगी बनकर जीवन में आगे बढ़े. रक्षाबंधन पर बहन ने अन्य चीजे नहीं बल्कि वरदान मांगना चाहिए कि जब भी कोई संकट आए तो तू मुझे संभालना. ऐसे भाव अभिव्यक्त करने है. रक्षा बंधन का एक लौकिक पर्व मनित प्रभ महाराज और नीलांजना इन सबके संवेदनाओं के गहराई से भिगे हुए भातृत्व भाव, अपनत्व भाव में डूबे शब्दों की व्याख्या का श्रवण किया.