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नवसारी में फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी बनाकर जमीन का बिक्री करने वाले 3 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज।

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नवसारी के जलालपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज फर्जी दस्तावेजों के मामले में फरार चल रहे तीन आरोपियों को एलसीबी (लोकल क्राइम ब्रांच) ने गिरफ्तार किया है। नवसारी के जलालपुर पुलिस स्टेशन में वर्ष 2023 में फर्जी दस्तावेजों का मामला दर्ज किया गया था, जिसमें एक महिला सहित तीन आरोपी फरार थे। आरोपियों के अपने घर पर मौजूद होने की सूचना मिलने पर एलसीबी ने उनके घर पर छापा मारा और वांछित आरोपी पाचाभाई बुधाभाई दुधात, धर्मेशभाई हरीशभाई पटेल और चंद्रिकाबेन जीतुभाई पटेल को गिरफ्तार कर जलालपुर पुलिस स्टेशन को सौंप दिया।

इन तीनों आरोपियों ने नवसारी कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की, लेकिन सरकारी वकील की दलीलों के आधार पर जमानत अर्जी खारिज कर दी गई।

सरकारी वकील ने कोर्ट में दलील दी कि आरोपियों ने सहआरोपियों के साथ मिलकर एक आपराधिक साजिश रची थी। 25/02/1984 को मृतक केशवभाई रामभाई के नाम का ₹100 का स्टांप खरीदकर उसमें पावर ऑफ अटॉर्नी लिखी गई और मृत व्यक्ति की जगह नोटरी हर्षद आई. नायक ने दूसरे व्यक्ति को पेश किया और मृतक केशवभाई रामभाई पटेल के रूप में उसकी पहचान दी। इस गंभीर अपराध को अंजाम दिया गया। आगे उन्होंने बताया कि आरोपी और सहआरोपी 1999 से सुरभी कंस्ट्रक्शन नाम की साझेदारी फर्म चला रहे थे। इन आरोपियों ने अन्य सहआरोपियों के साथ मिलकर शिकायतकर्ता के पिता के मरने की जानकारी होने के बावजूद एक डमी व्यक्ति को खड़ा कर शिकायतकर्ता के पिता के नाम का फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी तैयार किया और उस पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर शिकायतकर्ता की जमीन बेच दी, और बिक्री से प्राप्त पैसे और दलाली को स्वीकार करके गंभीर अपराध किया।
प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों को देखते हुए आरोपियों की अपराध में प्रथम दृष्टया संलिप्तता पाई गई। सरकारी वकील ने आगे तर्क दिया कि इस मामले के अन्य सह-आरोपियों की जमानत याचिका भी निचली अदालत और गुजरात हाईकोर्ट द्वारा खारिज की जा चुकी है। सरकारी वकील ने यह भी दलील दी कि अगर आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो वह शिकायतकर्ता और गवाहों को लालच देकर सबूतों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा, यह आशंका भी जताई गई कि आरोपी फरार हो सकते हैं और ट्रायल के दौरान अदालत में उपस्थित नहीं होंगे। साथ ही, उनके फिर से इस तरह का अपराध करने की पूरी संभावना है। इन तथ्यों को देखते हुए अदालत से जमानत न देने की अपील की गई, जिसके आधार पर अदालत ने तीनों आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी।

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