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उत्तर प्रदेश में कुंभ मेले में आयोजित विभिन्न सुविधाएं और कार्यक्रम

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कुम्भ नगर,प्रयागराज से मतेंद्रकीर्ति,


माघ मकरगत रवि जब होई,तीरथ पतिहिं आव सब कोई। देव दनुज किन्नर नर श्रेनी, सादर मज्जहिं सकल त्रिवेनी।भरद्वाज आश्रम अति पावन, परम् रम्य मुनिवर मन भावन।तहाँ होइ मुनि रिषय समाजा,जाहिं जे मज्जन तीरथ राजा।
इस महीने में त्रिवेणी संगम स्नान का रोचक प्रसंग कुंभ के समय साकार होता है रामचरितमानस में तीर्थराज प्रयाग की महत्ता का यह वर्णन बहुत ही रोचक और विस्तार पूर्वक है।
पद्म पुराण मैं भी प्रयागराज में गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम का विस्तृत वर्णन है इन नदियों के संगम में स्नान करने और गंगा जल पीने से मुक्ति मिलती है इसमें किंचित भी संदेह नहीं है इन तथ्यों का प्रमाण स्कंद पुराण अग्नि पुराण शिव पुराण ब्रह्म पुराण वामन पुराण मनुस्मृति वाल्मीकि रामायण महाभारत तथा रघुवंश महाकाव्य में भी विस्तार से मिलता है।
कुंभ भारतीय संस्कृति का महापर्व कहा गया है इस पर्व पर स्नान दान ज्ञान मंथन के साथ ही अमृत प्राप्ति की बात भी कही जाती है कुंभ का बौद्धिक पौराणिक ज्योतिषीय के साथ साथ वैज्ञानिक आधार भी है वेद भारतीय संस्कृत के आदि ग्रंथ है कुंभ का वर्णन वेदो में भी मिलता है कुंभ का महत्व न केवल भारत में वर्णन विश्व के अनेक देशों में है इस तरह कुंभ को वैश्विक संस्कृति का महापर्व भी कहा जाता है यहां दुनिया के अनेक देशों से लोग आते हैं और हमारी संस्कृत में रचने बसने की कोशिश करते हैं इसलिए भी कुंभ का महत्व और बढ़ जाता है यूट्यूब कुंभ के संबंध में अनेक कथाएं प्रमाण मिलते हैं किंतु ऋषि कश्यप की पत्नी दिति और अदिति की संतानों देव और दैत्यों के बीच समुद्र मंथन के उपरांत प्राप्त अमृत कलश को पाने के लिए बारह दिनों तक चले संघर्ष के बाद इंद्र पुत्र जयन्त द्वारा ले जाते समय कलश से छलकी अमृत की बूंदें जहां गिरी वहां वहां आज भी कुंभ पर्व मनाया जाता है इनमें गंगा के तट पर हरिद्वार में त्रिवेणी संगम प्रयागराज में क्षिप्रा तट उज्जैन में और गोदावरी तट नासिक में क्रमशः छा और 12 बरसों में कुंभ आयोजित किया जाता है जिस दिन अमृत कुंभ गिरने वाली राशि पर सूर्य चंद्रमा और बृहस्पति का संयोग हो उस समय पृथ्वी पर कुंभ होता है अर्थात राशि विशेष में सूर्य और चंद्रमा के स्थित होने पर उक्त चारों स्थानों पर शुभ प्रभाव के रूप में अमृत वर्षा होती है और यही वर्षा श्रद्धालुओं के लिए पुण्य दाई मानी गई है इस प्रकार वृष के गुरु में प्रयागराज कुंभ के गुरु पर हरिद्वार तुला के गुरु में उज्जैन और कर्क के गुरु में नासिक में कुंभ होता है सूर्य की स्थिति के अनुसार कुंभ पर्व की तिथियां निश्चित होती हैं चल की अमृत की बूंदे जागरी वहां वहां आज भी स्कूल पर्व मनाया जाता है इनमें गंगा के तट पर हरिद्वार में रेडी संगम आगरा में शिप्रा तट उज्जैन में और गोदावरी पटना शिकवे रमसा अच्छा और 12 वर्षों में कुंभराज किया जाता है जिस दिन अमृत कुंग गिरने वाली राशि पर सूर्य चंद्रमा और बहस पति का सहयोग हो उस समय तस्वीर पर शुभ होता है अर्थात राशि दिस इस में सूर्य और चंद्रमा की स्थिति होने पर मुफ्त चारों स्थानों पर शुभ प्रभाव के रूप में अमृत वर्षा होती है और यही वर्षा श्रद्धालुओं के लिए पुणे दाई मानी गई है इस प्रकार उसके गुरु में यार आज कुंभ के गुरुवे हरिद्वार के गुरु में उज्जैन और करते गुरु में नासिक में कुंभ होता है शूज की स्थिति के अनुसार कुम पार्वती तिथियां निश्चित होती है मकर के सूर्य में प्रयागराज मेश के सूर्य में हरिद्वार तुला के सूर्य में उज्जैन और कर्क के सूर्य में नासिक का कुंभ पर्व आता है


तीर्थराज प्रयाग में माघ के महीने में विशेष रूप से कुंभ के अवसर पर गंगा यमुना एवं अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान का बहुत ही महत्व बताया गया है अनेक पुराणों में इसके प्रमाण भी मिलते हैं ब्रह्म पुराण के अनुसार संगम स्नान का फल अश्वमेध यज्ञ के समान कहा गया है अग्नि पुराण के अनुसार प्रयागराज में प्रतिदिन स्नान का फल उतना ही है जितना कि प्रतिदिन करोड़ों गायों के दान करने से मिलता है मत्स्य पुराण के अनुसार हजारों तीर्थों का पुणे यहां स्नान करने से मिलता है यहां पर मुंडन कराना भी श्रेष्ठ फलदाई कहा गया है प्रयागराज में मुंडन के पश्चात संगम स्नान तथा दान करने की प्रथम परंपरा है जैन धर्म मानने वाले भी यहां के सलूशन को महत्वपूर्ण मानते हैं।
रामचरितमानस के अनुसार प्रयागराज का प्रभाव विभिन्न रूपों में हमारे जीवन पर पड़ता है यथा को कहीं सकइ प्रयाग प्रभाउ, कलुष पुंज कुंजर मृगराउ।
अस तीरथपति देखी सुहावा,सुख सागर रघुबर सुख पावा।3) तीन नदियों के संगम को तीर्थराज प्रयाग यूं ही नहीं कहा जाता यहां देशभर से तीर्थ यात्रियों का रेला प्रयागराज पहुंचता है और जैसे ही शहर की सड़कें संगम की ओर बढ़ती हैं तो गंगे तव दर्शनार्थ मुक्ति का मंत्र वाक्य नजर आता है इस बार यदि कुंभ मेले की विस्तार की बात करें तो 3200 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली कुंभ नगरी को 20 सेक्टरों में बांटकर प्रशासनिक व्यवस्था को अंजाम दिया गया है जबकि पिछली बार मात्र 2013 हेक्टेयर में मेला क्षेत्र बसाया गया था श्रद्धालुओं के आवागमन के लिए 217 सटल बसे शहर और मेला क्षेत्र में चलाई जा रही हैं साथ ही 500 ई रिक्शा भी आम जनों की सुविधा के लिए सेवा में लगाए गए हैं रेलवे ने भी दर्जनों स्पेशल ट्रेनिंग चलाकर पुण्य का भागीदार बन रहा है। ।
स्वास्थ्य चिकित्सा के लिए भी 450 से अधिक बेड वाले 22 अस्पताल 150 एंबुलेंस 2000 मेडिकल स्टाफ मेडिकल क्षेत्र में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए तैनात किए गए हैं।
क्षेत्र में प्रकाश की व्यवस्था इस बार देखने लायक है 40000 से अधिक led लाइट लगाई गई है जो नदी के किनारे पूरे मेला क्षेत्र को आकर्षण का केंद्र बना रही है।
स्वास्थ चिकित्सा के लिए भी 450 से अधिक बेड वाले वाइस अस्पताल 150 एंबुलेंस 2000 मेडिकल स्टाफ मेडिकल छेत्र में श्रद्धालुओं कि चिकित्सा सेवा के लिए तैनात किए गए हैं। संपूर्ण मेला क्षेत्र में 90 पार्किंग स्थल बाहर से आने वाले यात्रियों के लिए बनाए गए हैं जिनकी क्षमता 500000 वाहनों के पार्किंग की है इस बार गंगा में पांटून पुल की संख्या 22 है जो यात्रियों को गंगा जमुना के आर पार आने जाने में मददगार है मेला क्षेत्र में कुल 250 किलोमीटर कीचकर्ड प्लेटें बिछाई गई है संगम के घाटों का विस्तार और विकास 8 किलोमीटर की दूरी में है महिलाओं के लिए लगभग 2000 चेंज रूम नदी की बैरिकेडिंग व जत्ती की सुविधाएं एक आध्यात्मिक स्नान का अनुभव देती है। सुरक्षा व्यवस्था के लिए 25000 से अधिक सुरक्षाकर्मी त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था संभालने में लगाए गए हैं जल पुलिस के 16 स्टेशन बनाए गए हैं यही नहीं अमेरिका और नीदरलैंड तक के आधुनिक राहत नौकरी भी भक्तों की सेवा में लगाई गई हैं कुंभ मेले को जन जन तक पहुंचाने के लिए 600000 गांव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से कुंभ में शामिल होने का निमंत्रण भेजा गया है इसके साथ ही विश्व के 192 देशों को भी भारत सरकार ने कुंभ में आने के लिए निमंत्रित किया है ।
मेला क्षेत्र में सफाई अभियान को बनाए रखने के लिए 122000 शौचालय की स्थापना की गई है इसमें खास बात यह है शौचालय का डिस्चार्ज नदी में नहीं गिरेगा और ना ही जमीन में दबाया जाएगा इसे एक खास मशीन से निकालकर मेला क्षेत्र से बाहर सुरक्षित निस्तारित करने की व्यवस्था है इसके साथ ही 20,000 से अधिक स्वच्छता कर्मी मेले की सफाई के लिए भी तैनात किए गए हैं लगभग 20,000 डस्टबिन भी मेला क्षेत्र में रखे गए हैं।

 

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