वह अपनी बटालियन के साथ निकलने की तैयारी कर ही रहे थे कि तभी उनके मोबाइल पर मैसेज आया कि ‘आपकी छुट्टी मंजूर कर ली गई है’, यह मैसेज पढ़ते ही बेलकर गाड़ी से उतरकर अपने कैंप से गांव के लिए निकलने की तैयारी करने के लिए उतर गए और उनकी जान बच गई.अहमदनगर के पारनेर जिले का एक अकाल पीड़ित गांव है जहां थाका बेलकर का घर है. बेलकर के परिवार में माता-पिता और एक छोटी बहन है. बेलकर के घर उनकी शादी की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थी. सभी शादी की तैयारियों में लगे थे. अगर उस वक्त बेलकर को छुट्टी नहीं मिली होती तो उन्हें भी बटालियन के साथ जाना पडता. शादी के लिए छुट्टी अप्लाई करने के बाद बेलकर को अपनी छुट्टी की मंजूरी मिलने का इंतजार का कर रहे थे, लेकिन 13 फरवरी तक उन्हें छुट्टी का कोई मैसेज नहीं आया था. दूसरी तरफ बटालियन को यहां से कश्मीर जाने का ऑडर भी मिला गया था. बटालियन में सभी कश्मीर जाने के लिए अपना-अपना सामान पैक कर रहे थे. लेकिन 14 की सुबह बेलकर अपने बाकी साथियों के साथ गाड़ी में बैठे ही थे कि तभी उनके मोबाइल पर मैसेज आ गया था और गाड़ी से उतर गए और उनकी जिंदगी बच गई.
गाड़ी से उतरकर बेलकर अपने कैंप में वापस आ गए और अपने गांव के लिए निकल पडे. लेकिन रास्ते में कुछ ही घंटे बाद उन्हें पता चला कि जिस गाड़ी से बेलकर बटालियन के साथ कश्मीर के लिए निकलने वाले थे उसी गाड़ी पर आतंकी हमला हो गया और इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए. बेलकर अगली सुबह अपने गांव पहुंच गए, लेकिन उन्हें अपने 40 साथियों की मौत का गहरा सदमा है. उन्होंने मीडिया के सामने आकर कुछ भी कहने से मना कर दिया. बेलकर के परिवार को भी इस घटना से सदमा पहुंचा. शादी का जश्न मातम में बदल गया.मीडिया से खास बातचीत में थाका बेलकर के पिता ने बताया की ‘हमें अपने बेटे के घर वापस आ जाने की खुशी से ज्यादा इस बात का गम है कि मेरे 40 बेटों की जान चली गई. हमले की घटना के बाद हम सब दुखी हैं. अपने बेटे की शादी हम बिना किसी तामझाम के करेंगे. ठका बेलकर की ताई का कहना है कि इस हमले के बाद उनके यहां शादी को लेकर कोई उत्साह नहीं है. हम आगे कोई खरीदारी नहीं कर रहे. शादी का माहौल होने के बाद भी हमारा मन खरीदारी करने को नहीं हो रहा है।