Home देश-दुनिया बैंकिंग लेन-देन पर रहेगी नजर,उम्मीदवारो को पृथक खाता खोलना होगा

बैंकिंग लेन-देन पर रहेगी नजर,उम्मीदवारो को पृथक खाता खोलना होगा

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ब्यूरों,बाड़मेर,  संदेहास्पद बैंकिंग लेन-देन पर निर्वाचन विभाग की कड़ी नजर रहेगी। लोकसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को चुनाव संबंधित कार्य संपादित करने के लिए अलग से बैंक खाता खोलना होगा।
जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि लोकसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार का खाता उसके एवं उसके एजेंट के संयुक्त नाम से हो सकता है। लेकिन परिवार के किसी सदस्य एवं रिश्तेदार के साथ संयुक्त खाता नहीं होगा तथा बैंक को खाते की चैक बुक देनी होगी। उनके मुताबिक खाता किसी भी बैंक में किसी भी जगह खोला जा सकता है। लोकसभा निर्वाचन से संबंधित सभी लेन-देन इसी खाते में होंगे। उन्हांने बताया कि चन्दा राशि 10 हजार रूपए से अधिक होने पर चैक अथवा डी.डी. से ही दिया जा सकेगा। इसको बैंक खाते में जमा कराना होगा। इसके अलावा 10 हजार रूपए से अधिक के भुगतान भी चैक किए जा सकेंगे। उन्होंने बैंक खातों में संदेहास्पद लेन-देन संबंधित मामलों की इकजाई सूचना प्रतिदिन जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय बाड़मेर में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है।
उनके मुताबिक दस लाख से अधिक के लेन-देन के संदेहास्पद मामलों की सूचना आयकर विभाग के नोडल अधिकारी को भी उपलब्ध करवानी होगी। एटीएम कैश-वेन के स्टाफ एवं चालक को अपना परिचय पत्र साथ में रखना होगा तथा उडनदस्ता या जांच अधिकारी की ओर से  मांगने पर दिखाना होगा। बैंक के आउटसोर्स एजेन्सी या कम्पनी जो एटीएम कैश परिवहन में लगे है वे बैंक के अलावा अन्य किसी तीसरी पार्टी की राशि का परिवहन नही करेंगे।
निर्वाचन संबंधित प्रचार सामग्री पर मुद्रक एवं प्रकाशक का नाम जरूरीः पेम्पलेट, पोस्टर, हैण्डबिल समेत अन्य प्रचार सामग्री पर प्रकाशक का नाम मुद्रित होना जरूरी है। मुद्रण संबंधी लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 127(क) के अनुसार मुद्रित सामग्री के मुख्य पृष्ठ पर मुद्रक एवं इसके प्रकाशक का नाम एवं पता तथा मुद्रित पोस्टर की संख्या लिखा जाना अनिवार्य है, जिससे प्रचार-प्रसार सामग्री के मुद्रण पर होने वाला व्यय अभ्यर्थी के निर्वाचन व्यय लेखों में सम्मिलित किया जा सके।
 जिला निर्वाचन अधिकारी  के मुताबिक मुद्रक पोस्टर एवं पेम्पलेट के प्रकाशन से पूर्व प्रकाशक से प्रपत्र (क) में घोषणा प्राप्त करेंगे, जो दो उत्तरदायी व्यक्तियों से अनुप्रमाणित होनी चाहिए। इसके अलावा प्रकाशन के बाद तीन दिवस के भीतर मुद्रित सामग्री की चार प्रतियां एवं प्रपत्र ख में सूचना जिला मजिस्ट्रेट को प्रस्तुत करनी होगी। उप-धारा (1) अथवा उप धारा (2) के किसी भी उपबंध के उल्लंघन पर दोषी को 6 माह तक के कारावास अथवा अधिकतम दो हजार रूपए जुर्माना अथवा दोनों से दण्डनीय किया जा सकता है।

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