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वायलिन से निकली राग सरस्वती, ठुमरी ने मोहा मन

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उदयपुर, (हि.स.)। महाराणा कुंभा संगीत परिषद द्वारा शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी रंगमंच पर आयोजित किये जा रहे तीन दिवसीय 57वें अखिल भारतीय महाराणा कुम्भा संगीत समारोह के दूसरे दिन शनिवार रात दिल्ली घराने के ख्याति प्राप्त वायलिन वादक असगर हुसैन एवं दिल्ली के ही पण्डित राजन साजन मिश्र के शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम में कुम्भा रत्न अवार्ड -2018 से सम्मानित उदीयमान कलाकार नीरज मिस्त्री ने तबला वादन की एकल प्रस्तुति देकर सभी का दिल जीत लिया।
दिल्ली घराने के ख्याति प्राप्त वायलिन वादक असगर हुसैन ने वायॅलिन वादन की शुरुआत राग सरस्वती में विलम्बित बंदिश से की, जो 11 मात्रा में निबद्ध (चार ताल की सवारी) थी। उस्ताद असगर हुसैन ने मध्य लय एवं दु्रत लय में तीन ताल की बंदिश पेश की। उस्ताद असगर हुसैन के सरस्वती राग में गायकी व तंत्रकारी का सुन्दर समावेश देखने को मिला जिसमें दिल्ली घराने की गायकी शैली की तानें और विभिन्न प्रकार की गमक का मिश्रण देखने को मिला | साथ ही विभिन्न प्रकार की लयकारियां एवं छन्दकारियों के साथ सुन्दर प्रस्तुति उस्ताद असगर हुसैन ने वाॅयलिन वादन में बहुत ही खुबसूरती दी ।
उस्ताद असगर हुसैन ने अपनी दिल्ली घराने की खुद की शैली को पेश किया। इनके साथ तबले पर फर्रुखाबाद घराने के उस्ताद अख्तर हसन ने खूबसूरत संगत की अपनी कला का शानदार प्रदर्शन किया जिस पर दर्शकों ने तालियों की दाद के साथ भरपूर स्वागत किया। इन्होंने विशेष रूप से झालें में तबले की ना-धिन-धिन-ना को पेश किया जिसकी वाॅयलिन के साथ बेजोड़ प्रस्तुति रही।
उस्ताद असगर हुसैन ने अपने कार्यक्रम का समापन राग पहाड़ी में ठुमरी में बोल ..सैंया गये परदेस… के साथ पेश करके की। यह दिल्ली घराने की प्रसिद्ध ठुमरी है जिसे अपने घराने की गायन शैली में पेश किया। उस्ताद असगर हुसैन ने वाॅयलिन के मूल रूप वेस्टर्न में ठुमरी को खूबसूरती के साथ पेश किया।
आज प्रसिद्व वायलिन वादक उस्ताद असगर हुसैन को मुरली नारायण माथुर पुरस्कार डाॅ. यशवन्तसिंह कोठारी, डाॅ. प्रेम भण्डारी, रमेश चौधरी, डाॅ. अरुण बोर्दिया, डाॅ. प्रदीप कुमावत, दिनेश माथुर, मुकेश माथुर, सुशील दशोरा ने स्मृति चिह्न एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया । कार्यक्रम की शुरुआत में नीरज मिस्त्री ने तबले पर चै ताल, एक ताल एवं जप ताल की प्रस्तुति देकर सभी को मोहित कर दिया।
द्वितीय चरण में दिल्ली के पं. राजन-साजन मिश्रा की शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति ने सभी को आनन्दित कर दिया। मिश्रा बन्धु के मुख से कार्यक्रम की शुरुआत राग कौंसी कान्हड़ा में विलम्बित एक ताल बोल राजन के राजा श्री रामचन्द्र… निकले तो सभी उसी में खो गये। इसके बाद इन्होंने दु्रत तीन ताल में बोल दामोदर हरी नाम…. के शब्द निकले तो सभी श्रोताओं ने उन शब्दों का आनन्द लिया। इनके साथ हारमोनियम पर सुमित मिश्रा, तबले पर अभिषेक मिश्रा, तानपुरे पर सदाशिव गौतम व डिम्पी सुहालका ने संगत की।
समारोह के तीसरे एवं अंतिम दिन रविवार को गुड़गांव की बनी माधव एंड पार्टी ओडिसी नृत्य प्रस्तुत करेगी एवं उसके पश्चात दिल्ली की कत्थक रत्न शम्भुवी शुक्ला मिश्र एण्ड पार्टी कत्थक नृत्य की प्रस्तुति देगी। इसी दिन प्रथम चरण में कुम्भा रत्न अवार्ड-2018 से सम्मानित उदीयमान कलाकार अर्पिता भारद्वाज एवं उनका दल कत्थक नृत्य की प्रस्तुति देंगे।

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