बाराबंकी, (हि.स.)। रोगों से पीड़ित मानवता के लिए होम्योपैथी डा. हैनीमैन का वरदान है जो कम खर्च, कम जाँच एवं सुरक्षित तरीके से समग्र स्वास्थ्य प्रदान करती है। इस पद्धति का लाभ निरोग होने के लिए उठाना चाहिए।
यह विचार शुक्रवार को प्रदेश के सूचना आयुक्त नरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने रिसर्च सोसाइटी आफ होम्योपैथी द्वारा विश्व होम्योपैथी दिवस के अवसर पर होम्योपैथी जन जागरूकता संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि होम्योपैथी जन स्वास्थ्य की चुनौतियों का सामना करने में पूरी तरह सक्षम है। केवल होम्योपैथी ही लोगों को महंगे इलाज के जाल से निकाल सकती है।
सबसे पहले होम्योपैथी ही अपनायें
समारोह के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड के अध्यक्ष प्रोफेसर डाॅ. बी०एन० सिंह ने कहा कि दुनिया में रोगों के उपचार की अनेक पद्धतियां प्रचलित हैं। पद्धतियों की अपेक्षा होम्योपैथी सरल, सुलभ, दुष्परिणाम रहित अपेक्षाकृत कम खर्चीली एवं दूरगामी लाभदायक परिणामों वाली पद्धति है। इसलिए रोग मुक्त होने के लिए सबसे पहले होम्योपैथी से ही उपचार कराना चाहिए। कहा कि होम्योपैथी असाध्य रोगों को साध्य करने वाली पद्धति है जो जनस्वास्थ्य को विकल्प बनकर उभर रही है।
होम्योपैथी में रोगी को लक्षणों के आधार पर दी जाती है दवाएं
होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड के रजिस्ट्रार डा. अनिल कुमार मिश्रा ने बताया कि होम्योपैथी में हर रोगी के लिए उसके लक्षणों के आधार पर अलग-अलग दवाइयाँ दी जाती हैं। कहा कि भारतीय एवं विदेशी दवाइयाँ समान रूप से कार्य करती हैं।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड के सदस्य डा. फतेह बहादुर वर्मा ने कहा कि देश की जनता की स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान होम्योपैथी में निहित है। जिला होम्योपैथिक चिकित्साधिकारी डा. ए.एन. सिंह ने कहा कि अब होम्योपैथी शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोकप्रियता अर्जित कर रही है।
अपर महानिदेशक प्रेस इंन्फार्मेशन ब्यूरो, भारत सरकार अरिमर्दन सिंह ने कहा कि होम्योपैथी को जन-जन तक पहुँचाना आवश्यक है जिससे कि जनता इसका लाभ ले सके।
विश्व का हर पांचवा रोगी होम्योपैथी से ले रहा उपचार
केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद के पूर्व सदस्य एवं मुख्य वक्ता डाॅ. अनुरूद्ध वर्मा ने कहा कि दुनिया के 100 से अधिक देशों में लोकप्रियता अर्जित कर रही है। होम्योपैथी 80 प्रतिशत स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान में सक्षम है।
कहा कि होम्योपैथी विश्व में दूसरे नम्बर पर अपनायी जाने वाली पद्धति है जो 25 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से वृद्धि कर रही है और भारत का हर 5 वां रोगी होम्योपैथी से उपचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि होम्योपैथी गैर-संक्रामक रोगों जैसे- हृदय रोग, डायबिटीज, कैंसर, गठिया आदि के साथ-साथ संक्रामक रोगों जैसे- स्वाइन फ्लू, डेंगू, चिकनगुनिया, खसरा, चिकनपाक्स आदि के उपचार एवं बचाव में कारगर है। होम्योपैथी को राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों में शामिल किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि होम्योपैथी बीमारी को जड़ से तो ठीक करती ही है बल्कि शरीर में बीमारी की प्रवृत्ति को भी समाप्त करती है। उन्हेांने कहा कि होम्योपैथी वैज्ञानिक एवं परिष्कृत पद्धति है न कि घरेलू चिकित्सा पद्धति है। आधी अधूरी जानकारी प्राप्त कर उपचार करना नुकसानदायक भी हो सकता है। इसलिए केवल प्रशिक्षित चिकित्सक से इलाज कराना चाहिए।
डा. निशांत श्रीवास्तव न कि होम्योपैथी में चर्मरोगों जैसे सोरियासिस, इक्जिमा, सफेद दाग, पित्ती, खुजली आदि का सफल उपचार उपलब्ध है। डा. पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि हड्डी एवं जोड़ों के रोगों जैसे गठिया, अर्थराइटिस, रिकेट्स, स्पान्डलाइटिस, मोच, सियाटिका एवं रीढ़ की बीमारियों का सफल उपचार होम्योपैथी में सम्भव है। समारोह का संचालन श्री प्रदीप सारंग ने किया। कार्यक्रम के अन्त में सभी लोगों को मतदान करने की शपथ दिलाई गयी।