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एसटीएफ के रडार पर आया शातिर बेखौफ तौकीर तो प्रतापगढ़ के चिलबिला कोट के पास बीती रात में बेखौफ शातिर बदमाश का एसटीएफ ने किया काम तमाम

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प्रतापगढ़। बदमाश और एसटीएफ में कोतवाली नगर के चिलबिला कोट के पास बीती रात 3 बजे मुठभेड़ हुई, जिसमें एक लाख का इनामियां बदमाश को एसटीएफ ने मौके पर ही ढेर कर दिया। मुठभेड़ में मारे गए शातिर बदमाश तौकीर पर रंगदारी, हत्या, बैंक लूट समेत दर्जनों में मुकदमें दर्ज थे। पुलिस को अर्से से तौकीर की तलाश थी। इसीलिए उस पर पुलिस ने एक लाख का इनाम घोषित किया था। शातिर बदमाश कोतवाली नगर के भुलियापुर का रहने वाला था। गोली लगाने से शातिर बदमाश की मौत हो गई, जिसकी पुष्टि जिला अस्पताल के चिकित्सकों ने ईलाज के दौरान की। तौकीर के साथ रहने वाला साथी बदमाश फरार हो गया। मौके से दो पिस्टल, बाइक भी पुलिस ने किया बरामद। एसटीएफ लखनऊ ने आज बड़ी कार्यवाही की जिसे प्रतापगढ़ के लोंग सालों से माँग कर रहे थे कि दो चार बिकट अपराधियों के गिराए बिना प्रतापगढ़ के अपराध में कमी आने वाली नहीं है। शातिर और बेखौफ बदमाश ईद मनाने कल अपने घर आया था।

#सालों से आमजन जीवन में आतंक पैदाकर रंगदारी का धंधा करने वाले पर पहली बार एसटीएफ और बेखौफ बदमाशों के बीच सही मुठभेड़ हुई। नतीजा सबके सामने। अब नहीं उठाएगा कोई सवाल। क्योंकि मुठभेड़ में एक लाख के इनामियां शातिर अपराधी को एसटीएफ ने मौत के घाट उतार दिया है। अभी तक प्रतापगढ़ की पुलिस और अपराधियों के बीच जो मुठभेड़ होने की खबर आती थी वो किसी दंगल से कम नहीं होती थी। यहाँ पकड़ा, वहाँ मारा। इधर भागा उधर गया। कभी शनिदेव धाम के पास जंगल में भुठभेड़ तो कभी गायघाट के पुल के पास भुठभेड़ तो कभी किसी नदी के किनारे भुठभेड़ प्रतापगढ़ की पुलिस दिखाया करती थी और पुलिस द्वारा बदमाशों के पैर में गोली मारने और बदमाशों द्वारा पुलिस के हथेलियों में गोली मारने की जैसे चलन सा हो गया था। प्रतापगढ़ की पुलिस अपने ही हाथों अपनी पीठ जोर-जोर से थपथपा लेती थी। दो दिन बाद जब दूसरी बड़ी घटना घटित होती थी तो वही पुलिस मुँह चुराते फिरती थी। सही मुठभेड़ न होने से ही प्रतापगढ़ के बदमाश बेखौफ हो चुके थे। उन्हें पता हो गया था कि वो जब चाहेंगे या तो न्यायालय में आसानी से सरेंडर कर लेंगे अथवा पुलिस से सेटिंग कर सरेंडर कर लेंगे।

#कई बेखौफ बदमाशों को लगा कि अब वो बाहरी दुनिया में सुरक्षित नहीं हैं तो चहरदीवारी के अंदर जाकर अपने दूसरे साथियों से अपना खेल जारी रखे। कल शाम शहर में इनामियां बदमाश तौकीर अपने साथी अपराधी के साथ शहर में बाइक से घूमते देखा गया था। तभी से किसी अनहोनी की आशंका आमजनों में ब्यक्त की जाने लगी थी। चिलबिला और कोहड़ौर के ब्यापारी से माँगी लगातार रंगदारी माँगी जा रही थी। सच तो ये है कि प्रतापगढ़ के 10फीसदी बड़े ब्यापारियों का पुलिस से भरोसा उठ गया था और वो अपने जीवन की सलामती के लिए बदमाशों द्वारा माँगी जाने वाली रंगदारी देने लगे थे। पुलिस भी इस तथ्य से अनजान नहीं रही। उसे जब भनक लगती कि किसी ब्यापारी ने रंगदारी दी तो पुलिस उससे पूंछतांछ जरूत करती थी, परन्तु रंगदारी देने वाला साफ मना कर देता था तो पुलिस असहाय होकर लौट आती थी। पुलिस भी जानती थी कि ब्यापारी रंगदारी देने की बात क्यों स्वीकार नहीं रहा है ? अहम सवाल था, उसकी सुरक्षा का जो पुलिस नहीं दे पा रही थी। सुरक्षा ब्यवस्था के बाद भी बेखौफ बदमाशों द्वारा सदर मोड़ के पास सड़क से शोरूम की तरफ गोलियों की कई राउंड फायरिंग सभी सवालों की पुष्टि कर देती है।

#STFसे मुठभेड़ में अपराध का पर्याय बना शातिर तौकीर आज जब ढेर हुआ तो जिन लोंगो से रंगदारी माँगी जा रही थी वो और उनके घर वाले को राहत मिली। साथ ही उन मृतक परिजनों को इस बात से थोड़ी राहत हुई कि जिसने उनके घरों से सुख चैन छीनकर उनके पिता,भाई, पुत्र एवं पति की हत्या की आज वो भी इस दुनिया से चल बसा। आधा दर्जन हत्याओं के साथ ही व्यापारियों से रंगदारी और बैंक लूट सहित दर्जनों वारदातों को अंजाम देने वाले शातिर तौकीर का पुलिस कई महीने से दिनरात तलाश कर रही थी। साल भर से प्रतापगढ़ पुलिस के लिये बेखौफ बदमाश तौकीर सिरदर्द बना था। एसएसपी एसटीएफ अभिषेक सिंह ने बीती रात जब बदमाश तौकीर की लोकेशन प्रतापगढ़ मिली तो ऑपरेशन की कमान स्वयं संभाल लिया। चूँकि प्रतापगढ़ के अपराध पर नियंत्रण न मिलने से एसटीएफ पर भी सवाल उठने लगे थे। बंदी रक्षक, ग्राम प्रधान और मार्बल व्यापारी की दिनदहाड़े हत्या में तौकीर वांछित था। उसके सिर पर एक लाख का पुलिस ने इनाम रखा हुआ था। बीती रात जब एसटीएफ और तौकीर में मुठभेड़ हुई तो जहाँ एसटीएफ की गोली से तौकीर ढेर हो गया वहीं साथी बदमाश अंधेरे में भागने में कामयाब रहा। मुठभेड़ के बाद मौके से दो पिस्टल, कारतूस, कार्बाइन, मोबाइल और बाइक को एसटीएफ ने बरामद कर सुरक्षित कर लिया। रात साढ़े तीन बजे ताबड़तोड़ फायरिंग से चिलबिला कोट का इलाका थर्रा गया। जब तक जनसामान्य को पता न चल जाए कि बदमाशों और पुलिस में मुठभेड़ हुई तब तक कोई भी मुठभेड़ सही नहीं मानी जाती। जब सही मुठभेड़ होती है तो परिणाम सुखद होता है और जनसामान्य भी उस पर अपनी मुहर लगाकर पुलिस की मुठभेड़ को सही और जायज ठहराता है।

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