जामनगर (ईएमएस)| जामनगर के अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने जामजोधपुर के 29 साल पुराने कस्टोडियल डेथ केस में निलंबित आईपीएस संजीव भट्ट और पुलिस कांस्टेबल प्रवीणसिंह झाला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है| 1990 की साल में जामजोधपुर में पुलिस हिरासत में एक शख्स की मौत हो गई| परिवार ने लगाया था कि पुलिस कस्टडी में बुरी मारपीट की वजह से मौत हुई| इस मामले के अन्य आरोपियों को अलग अलग सजा सुनाई गई है|
दरअसल 1990 में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा पूरे भारत मे निकली थी| उसी दौरान दंगे भड़कने के आसार को देखकर जामनगर जिले में कर्फ्यू लगाया गया था| संजीव भट्ट उस समय जामनगर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक तौर कार्यरत थे| भट्ट ने 30 अक्टूबर 1990 को जामखंभालिया से 133 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें प्रभुदास माधवजी वैष्नानी भी थे| प्रभुदास को कस्टडी में ही संजीव भट्ट समेत 7 लोगों ने टॉर्चर किया, बाद में अस्पताल में प्रभुदास की मौत हो गई| मृतक प्रभुदास वैष्नानी के भाई अमृत वैष्नानी की शिकायत के आधार पर उस समय संजीव भट्ट समेत 7 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था| लेकिन केस आगे नहीं बढ़ रहा था| बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद यह केस जामनगर डिस्ट्रिक एंड सेशन कोर्ट तक आया और आज संजीव भट्ट और उनके साथी कॉन्स्टेबल प्रवीण सिंह झाला को आजीवन कारावास की सजा हुई|