क्रांति समय ( दैनिक समाचार & चैनल )

प्रशासन की सुस्‍ती के चलते गहराया गोमती नदी के अस्‍तित्‍व पर खतरा

जौनपुर (ईएमएस)। जौनपुर सहित आसपास के इलाकों के लिए जीवनदायनी आदि गंगा गोमती नदी का अस्‍तित्‍व अब खतरे में है। शासन प्रशासन की उपेक्षा और स्थानीय नागरिकों नासमझी की वजह से गोमती नदी में लगातार प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। यह नदी इस तरह से प्रदूषण की आगोश समा गई है कि इसके पानी को पीना तो दूर, लोग इसमें नहाने से भी लोग कतराने लगे है।


आदि गंगा गोमती में लगातार शहर का पूरा कचरा और गंदे नालों का पानी गिराया जा रहा है। नदी के दोनों किनारे बसे शहर और दो पाटों के बीच गोमती नदी पिस रही है। वहीं जिला प्रशासन बयानबाजी कर इस मामले में पल्लू झाड़ लेता है। गौरतलब है कि प्रदेश शासन ने 14 साल पहले गोमती में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए गोमती एक्सन प्लान नामक व्यवस्था बनाई थी, जिस पर धन भी स्वीकृत हुआ था। शहर में सीवर बनाने के नाम पर खोदी गईं सड़कों में आधी अधूरी पाइप डालकर स्वीकृत धन का बंदरबाट हुआ और जो भी पैसा खर्च हुआ तभी से वह जमीन में दबा हुआ है। गोमती में बढ़े प्रदूषण में नगर पालिका का भी अहम हिस्सा रहा है। सफाई कर्मचारियों द्वारा शहर का सारा कचरा लाकर नदी के दोनों किनारे उड़ेल दिया जाता रहा, जिससे गोमती में हर तरह के कूड़े प्लास्टिक व अन्य गंदगी लगातार बढ़ती जा रही थी। इस पर एक सामाजिक कार्यकर्ता ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करते हुए नदी में कचरा न गिराने और गंदे नाले न बहाने मांग की।
जिस पर उच्च न्यायालय ने सभी बातों को ध्यान में रखते हुए आदेश दिया कि गोमती नदी में कचरा न गिराया जाए और नाले न बहाए जाएं। परंतु शासन से लेकर प्रशासन तक न्यायालय की अवहेलना कर रहा है। जिला प्रशासन द्वारा गोमती नदी की सफाई के अभियान सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गया है। जिला प्रशासन द्वारा सफाई अभियान के तमाम दावों के उलट लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार जिला प्रशासन नदी में गिरने वाले नालों और गंदे पानी को रोकने में नाकाम साबित हो रहा है। जिस कारण आज जीवनदायनी गोमती नदी का जीवन खतरे में पड़ गया है।

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