Site icon क्रांति समय ( दैनिक समाचार & चैनल )

370 का जश्न फीका पड़ा, छोड़ कर चली गई सुषमा…

नई दिल्ली ( ईएमएस)। धारा 370 की समाप्ति के जश्न में डूबे देश को उस वक्त धक्का लगा जब पूर्व विदेश मंत्री और देश की सबसे लोकप्रिय राजनीतिज्ञों में से एक भाजपा नेता सुषमा स्वराज का अचानक एम्स में निधन हो गया।
67 वर्षीय सुषमा स्वराज को रात 10:20 के वक्त हार्ट अटैक के बाद दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया था। अचानक उनके अस्वस्थ होने की खबर के बाद केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह – नितिन गडकरी – हर्षवर्धन समेत भाजपा के वरिष्ठ नेता अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान पहुंचे और उनकी निधन की खबर सुनाई दी।
शाम को ही उन्होंने लगभग 7:23 पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धारा 370 की समाप्ति पर हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि मैं अपने जीवन में इसी दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी। इससे पहले सोमवार को भी उन्होंने राज्यसभा में अमित शाह कौन के शानदार भाषण के लिए बधाई दी थी। स्वस्थ और प्रसन्न लग रही सुषमा स्वराज के अचानक जाने की उम्मीद किसी को नहीं थी लेकिन उनके निधन से भारतीय जनता पार्टी सहित समूचे देश में शोक की लहर व्याप्त हो गई है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुषमा स्वराज के निधन पर शोक जताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर ट्वीट किया, ‘भारतीय राजनीति का एक गौरवशाली अध्याय खत्म हो गया। एक ऐसी नेता जिन्होंने जन सेवा और गरीबों का जीवन संवारने के लिए अपनी जिंदगी समर्पित कर दी, उनके निधन पर भारत दुखी है। सुषमा स्वराज जी अपनी तरह की इकलौती नेता थीं, वह करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा की स्रोत थीं।’
वाजपेई सरकार में पहली बार मंत्री बनी सुषमा स्वराज मध्य प्रदेश के विदिशा से सोलहवीं लोक सभा के लिए सांसद चुनी गई थीं। 17वीं लोकसभा में चुनाव के समय उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया।
विदेश मंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी सरकार में उनका कार्यकाल अभूतपूर्व सफलता और लोकप्रियता से भरा रहा। भारत की विदेश नीति को उन्होंने नए आयाम प्रदान किए। सुषमा जी विदेश में बसे भारतीय लोगों के लिए देवदूत के सामान थी। दुनिया के किसी भी देश में किसी भी भारतीय को किसी भी तरह का कोई भी कष्ट हो सुषमा जी के पास गुहार लगाता और सुषमा स्वराज ट्वीट तथा अन्य माध्यम से उनकी समस्याओं का समाधान कर देती थी। पार्टी के भीतर ही नहीं बल्कि अपने विरोधियों के बीच भी अपने व्यवहार और मृदुता के लिए लोकप्रिय सुषमा स्वराज की वक्तृत्व कला के सभी कायल थे। भारतीय जनता पार्टी में उन्हें अटल बिहारी वाजपई के बाद सर्वाधिक प्रखर और मुखर वक्ता माना जाता था। उन्होंने कुछ समय दिल्ली के मुख्यमंत्री का भी पद संभाला लेकिन उनका वह कार्यकाल उतना संतोषजनक नहीं रहा। दिल्ली की राजनीति में उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली, किंतु राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी को लगातार लोकप्रिय बनाने और भाजपा के विस्तार में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
सुषमा स्वराज राजनीतिक पटल पर उस समय उभरी जब उन्होंने चंद हफ्ते की मेहनत के बल पर कांग्रेस के गढ़ कहे जाने वाले बेल्लारी में सोनिया गांधी को कड़ी टक्कर दी और मात्र 50000 वोट से उनकी पराजय हुई।

Exit mobile version