मनामा (ईएमएस)। बहरीन में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने पूर्व वित्त मंत्री और अपने घनिष्ठ मित्र अरुण जेटली को श्रद्धांजलि दी. मोदी ने बेहद भावुक लहजे में कहा, ‘जिस दोस्त के साथ सार्वजनिक जीवन और राजनीतिक यात्रा पर कदम से कदम मिलाकर चले। हर पल एक-दूसरे के साथ जुड़े रहे और साथ मिलकर जूझे। सपनों को सजाने और सपनों को निभाने का सफर जिनके साथ किया, उस दोस्त अरुण जेटली ने अपनी आज देह छोड़ दी। मैं कल्पना यह नहीं कर सकता कि मैं यह बैठा हूं और मेरा दोस्त अरुण चला गया।’
अगस्त महीने को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि कुछ दिन पहले ही हमारी पूर्व विदेश मंत्री बहन सुषमा जी चली गईं। आज मेरा दोस्त अरुण चला गया। पीएम मोदी ने कहा कि मेरे सामने यह बेहद दुख के क्षण हैं। किसी तरह से अपने मन में दुख को दबाए हुए अपनी बात आप सभी से कह रहा हूं।
पीएम मोदी ने बहरीन में अपने दौरे और अरुण जेटली के निधन को लेकर कहा, ‘बहुत दुविधा के पल हैं मेरे सामने। एक तरफ कर्तव्य भाव से बंधा हूं और दूसरी तरफ दोस्ती का एक सिलसिला भावनाओं से भऱा है। बहरीन की धरती से भाई अरुण को श्रद्धांजलि देता हूं और नमन करता हूं।’
पीएम नरेंद्र मोदी ने भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए भारत और बहरीन के संबंधों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि भारत और बहरीन के संबंध 5,000 साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता और दिलमन के दौर के हैं। अब 21वीं सदी हमें हजारों साल पुराने संबंधों को ताजगी देनी है। उन्होंने कहा, ‘हमारी इंद्रधनुषी छवि पूरी दुनिया को आकर्षित करती है। बहरीन की यात्रा भले ही पीएम के तौर पर है, लेकिन मेरा मकसद यहां बसे भारतीयों से मिलना है।’
पीएम मोदी ने कहा कि भारत के रुपे कार्ड और इसरो का दुनिया में डंका बज रहा है। उन्होंने कहा कि रुपे कार्ड दुनिया में ट्रांजैक्शन का पसंदीदा माध्यम बन रहा है। 7 सितंबर को चंद्रयान चंद्रमा पर उतरने वाला है। इसरो की और हमारे स्पेस मिशन की दुनिया में तारीफ हो रहा है। दुनिया हैरान है कि आखिर इतनी कम पूंजी में ही हम कैसे यह कर पा रहे हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि 2022 में आजाद भारत 75 वर्ष का हो जाएगा। इस अहम पड़ाव के लिए हर भारतीय ने संकल्प लिए हैं। मेरा आपसे भी आग्रह रहेगा कि आप भी अपने स्तर पर कुछ नए संकल्प लेकर चलें। जैसे आप तय करें कि हर व्यक्ति हर वर्ष अपने कुछ बहरीन दोस्तों को इंडिया टूर के लिए मोटिवेट करेंगे। भारत के खूबसूरत हिल स्टेशनों से लेकर उन्हें भारत के आध्यात्मिक परंपरा से परिचित कराएं।