Home उत्तर प्रदेश अयोध्या मामले में कोई ढिलाई नहीं बरती जा रही-सुन्नी वक्फ बोर्ड

अयोध्या मामले में कोई ढिलाई नहीं बरती जा रही-सुन्नी वक्फ बोर्ड

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लखनऊ (ईएमएस)। जमीयत उलमा-ए-हिन्द (महमूद मदनी गुट) के आरोपों को उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सिरे से खारिज किया है। सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा कि बोर्ड द्वारा बाबरी मस्जिद मामले पर अपने रुख में ढिलाई बरते जाने की खबरें बिल्कुल गलत हैं। उन्होंने कहा कि बोर्ड को उच्चतम न्यायालय में यह मामला रख रहे अपने वकीलों की टीम पर पूरा भरोसा है और वह हमेशा उनके शुक्रगुजार रहेंगे। फारूकी के मुताबिक बोर्ड ने न्यायालय में अपना पक्ष रख रहे वकीलों को बदलने के लिये कोई प्रक्रिया नहीं शुरू की है और जमीयत के जो लोग ऐसा इल्जाम लगा रहे हैं, उन्हें वह जानते तक नहीं हैं। वह सिर्फ अरशद मदनी की अगुवाई वाली जमीयत के लोगों को जानते हैं, जो इस मामले में पक्षकार भी है।
विदित हो कि जमीयत उलमाकृएकृहिन्द के महमूद मदनी वाले गुट के संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक उसामा कासमी ने बुधवार को लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि सुन्नी वक्फ बोर्ड अदालत में मजबूती से पक्ष रख रहे वकील शकील सैयद को हटाकर शाहिद रिजवी को पैनल में शामिल करने की कोशिश कर रहा है, जिनकी इस मामले में भूमिका शुरू से ही संदिग्ध रही है। उन्होंने कहा था कि हाल के कुछ दिनों में सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी की तरफ से जो रवैया अपनाया गया उससे पूरी कौम में चिंता की लहर दौड़ गयी है। अगर उन्होंने अपना रवैया नहीं बदला तो जमीयत को बोर्ड के कार्यालय के सामने बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन के लिए मजबूर होना पड़ेगा। फारूकी ने कहा कि मुस्लिम पक्ष के वकीलों के पैनल में शाहिद रिजवी पहले से ही शामिल हैं, लिहाजा अब कोई सवाल ही नहीं उठता। इस सवाल पर कि शाहिद रिजवी ने शकील सैय्यद के पास अनापत्ति के सिलसिले में वकालतनामा हस्ताक्षरित करने के लिये क्यों भेजा था, फारूकी ने कहा कि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं मालूम है।
विदित हो कि उच्चतम न्यायालय में मुस्लिम पक्ष के वकीलों में शामिल ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य जफरयाब जीलानी ने बुधवार को बताया था कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय में मुसलमानों का पक्ष रख रहे ‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ शकील अहमद सैय्यद के स्थान पर शाहिद रिजवी को पैनल में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की है। मगर अभी तक ऐसा कोई बदलाव अमल में नहीं आया है। जीलानी ने बताया था कि शाहिद रिजवी ने शकील सैय्यद के पास अनापत्ति के लिये वकालतनामा हस्ताक्षरित करने के वास्ते भेजा था, मगर उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि उच्चतम न्यायालय की इजाजत के बगैर वह ऐसा नहीं कर सकते।

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