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राज्य के वन्यजीव विभाग के साथ विषेशज्ञता को साझा करेंगे षोधार्थी एवं विद्वान

अलीगढ़ (ईएमएस)। अलीगढ़ मुस्लिम विष्वविद्यालय के वन्यजीव विज्ञान के षोधार्थी एवं विद्वान अब राज्य के वन्यजीव विभाग के साथ मिलकर अपनी विषेशज्ञता को साझा करेंगे। साथ ही उोप्रो में वन्यजीव संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
अलीगढ़ मुस्लिम विष्वविद्यालय के वन्यजीव विज्ञान विभाग द्वारा भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के सहयोग से आयोजित अंतर्राश्ट्रीय कांफ्रेस के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्यजीव उोप्रो लखनऊ सुनील पांडे ने कहा कि उनका विभाग पूर्व में भी एएमयू को लिख चुका है कि यहां के षोधार्थी किस प्रकार से वन्यजीव संरक्षण में अपनी विषेशज्ञता का उपयोग कर सकते हैं।पांडे ने कहा कि उनका विभाग वन्यजीवों के संरक्षण के लिये प्रोद्यौगिकी का उपयोग कर रहा है। इसके लिए आईआईटी कानपुर और डीआरडीओ ने उनकी मदद की है। उन्होंने कहा कि उनके पास सर्वेक्षणों के लिये वार्टिकल टेक ऑफ लैंडिंग इंस्ट्रूमेंट मौजूद है जिसका षांत तरीके से जीवों के लिये उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा एरोस्टैट तथा हीलियम गैस भरा गुब्बारा भी जंगल में सर्वेक्षण के लिये मौजूद है। श्री पांडे ने कहा कि तकनीकी पहलू को मजबूती प्रदान करने के लिए एएमयू इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
अमेरिका के स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूट से पधारे डाो विल्यिम मैकषिया ने कहा कि भारत में विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृश्ट षोध कार्य हो रहा है और यहां पर अंतर्राश्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक पैदा हो रहे है। उन्होंने कहा कि इसके प्रकार के कार्यक्रमों का नियमित रूप से आयोजन होते रहना चाहिए। जीवविज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर कय्यूम हुसैन ने कहा कि इस कांफ्रेस के आयोजन से संरक्षण जीव विज्ञान के ज्ञान की वृद्धि में मदद मिलेगी। वन्यजीव विज्ञान विभाग के अध्यक्ष एवं कांफ्रेस के निदेषक प्रोफेसर अफीफउल्लाह खान ने स्वागत भाशण में विभाग की उपलब्धियों से अवगत कराया। कार्यक्रम में प्रमुख वनस्पति वैज्ञानिक प्रोफेसर वज़ाहत हुसैन को षिक्षा एवं षोध के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय कार्य पर लाइफ टाईम अचीवमेंट एवार्ड प्रदान किया गया। कांफ्रेस की कार्डीनेटर डाो उरूस इलियास ने उपस्थितजनों का आभार जताया तथा कांफ्रेस के पूर्व सत्र के बारे में भी बताया कार्यक्रम का संचालन मदीहा ने किया

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