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“गरीबों के विशेषाधिकार से बड़ा किसका विशेषाधिकार होता है।”

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नगर निगम के कमिश्नर सभाजीत यादव ने विधानसभा की विशेषाधिकार समिति को अपना जवाब भेज दिया है। निगम कमिश्नर  ने विधानसभा विशेषाधिकार समिति को भेजे गए जवाब में कहा है “गरीबों के विशेषाधिकार से बड़ा किसका विशेषाधिकार होता है।”

दरअसल निगम कमिश्नर ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  और पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला  के खिलाफ 4.94 करोड रुपए का एक रिकवरी लेटर जारी किया था जिसमें उन पर आरोप लगाया गया था कि चुनाव में उन्होंने जो वादे किए उनके चलते नगर निगम को 4.94 करोड़ रूपये का नुकसान हुआ । इस पर भाजपा  विधायकों ने आपत्ति उठाते हुए प्रमुख सचिव विधानसभा  को विशेषाधिकार हनन का सभाजीत यादव के खिलाफ नोटिस दिया था। विशेषाधिकार समिति ने यादव से जवाब मांगा था। विधायकों ने अपनी बातें रखी थी लेकिन निगमायुक्त ने अपना जो 700 पेज का जवाब भेजा है उसमें आईएचएसडीपी योजना सहित पीएम आवास योजना, एमआईसी के मनमानी निर्णय और योजनाओं के निगम स्तर पर हुए घोटालों की रिपोर्ट का विस्तृत विवरण भेजा गया है, यानी नगर निगम कमिश्नर भी अब ताल ठोक कर मैदान में हैं । अब विशेषाधिकार समिति इस बारे में आकलन करेगी। आयुक्त को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा और एक बार फिर यह देखना होगा कि आखिर सच कौन बोल रहा है।

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दरअसल यह पूरा मामला नगर निगम कमिश्नर द्वारा सितंबर 2019 में विधायक राजेंद्र शुक्ला  को चार 4.94 करोङ रुपए के नुकसान के नोटिस थमाने का है ।आरोप लगाया गया था कि 2013 में चुनाव में विधायक प्रत्याशी के रूप में राजेन्द्र शुक्ल ने चूना भट्टी और रानी तालाब के विस्थापितों को रतहरा और रतहरी में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए बनाई जा रहे डब्ल्यू एस मकान देने का वादा किया था। यह लोग मकान में काबिज हो गए लेकिन मार्जिन मनी जमा नहीं किया।

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