Home बड़ी खबरें भारत में टल सकती है 5.8 लाख सर्जरी -कोवीड-19 महामारी का असर

भारत में टल सकती है 5.8 लाख सर्जरी -कोवीड-19 महामारी का असर

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लंदन (ईएमएस)। एक ताजा अध्ययन में कहा गया है कि कोवीड-19 महामारी की वजह से भारत में पूर्व निर्धारित 5.80 लाख से अधिक लोगों की सर्जरी या तो रद्द हो सकती है या उन्हें टाला जा सकता है। यह दावा एक अंतरराष्ट्रीय फैकल्टी ने अपनी शोध में किया है। अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि कोवीड-19 चरम पर पहुंचने पर 12 हफ्तों की अफरा-तफरी से दुनियाभर में इस साल दो करोड़ 84 लाख सर्जरी या तो रद्द की जा सकती हैं या उन्हें टाला जा सकता है। स्टडी के मुताबिक इससे मरीजों की समस्या का समाधान होने में लंबे समय तक इंतजार करना पड़ेगा। यह अध्ययन 120 देशों के पांच हजार सर्जन के नेटवर्क के जरिये किया गया।
अध्ययन का नेतृत्व नौ देशों ब्रिटेन, बेनिन, घाना, भारत, इटली, मेक्सिको, नाइजीरिया, रवांडा, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका के शोधकर्ताओं ने किया। अध्ययन के आकलन के मुताबिक कोवीड-19 की वजह से प्रत्येक हफ्ते अस्पतालों में किसी अन्य तरह की बाधा आने पर 24 लाख और सर्जरी रद्द हो सकती हैं। ब्रिटेन स्थित बर्मिंघम विश्वविद्यालय सहित विभिन्न संस्थानों के शोधकर्ताओं ने दुनिया के 71 देशों के 359 अस्पतालों में सर्जरी से जुड़ी विस्तृत जानकारी एकत्रित की और इन चुनिंदा सर्जरी को रद्द करने की योजना का विश्लेषण किया। इन आंकड़ों के आधार पर दुनिया के 190 देशों का आकलन किया गया। शोधकर्ताओं का आकलन है कि कोवीड-19 के चरम पर होने पर दुनियाभर में पूर्व निर्धारित करीब 72।3 प्रतिशत सर्जरी रद्द की जा सकती हैं। इनमें अधिकतर गैर कैंसर सर्जरी होंगी। भारत में कोरोना वायरस की महामारी चरम पर पहुंचने के 12 हफ्ते की अवधि में 5,84,737 मरीजों की सर्जरी या तो रद्द की जा सकती है या उनमें देरी हो सकती है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, करीब 12 हफ्तों में सबसे अधिक 63 लाख हड्डी से जुड़ी सर्जरी टाली गई है। अध्ययन का आकलन है कि दुनियाभर में 23 लाख कैंसर से जुड़ी सर्जरी भी या तो रद्द की जाएंगी या उनकी तारीख आगे बढ़ा दी जाएगी। बर्मिंघम विश्वविद्यालय के शोधकर्ता अनिल भांगू ने कहा, ‘कोरोना वायरस की महामारी के दौरान अधिकतर चुनिंदा सर्जरी को इसलिए टाला गया ताकि मरीजों को कोवीड-19 के खतरे से बचाया जा सके और अस्पतालों में ज्यादा क्षमता के साथ वायरस संक्रमितों का इलाज हो सके। उदाहरण के लिए ऑपरेशन थियेटर को गहन चिकित्सा कक्ष में बदला गया है।’ भांगू ने कहा, ‘हालांकि, अवश्यक सर्जरी को टालने से मरीज और समाज पर भारी बोझ पड़ेगा। सर्जरी की तारीख को बदलने से मरीजों की हालत और खराब हो सकती है। उनके जीवन की गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है। कुछ मामलों में उदाहरण के लिए कैंसर में लोगों की सर्जरी में देरी की वजह से अनावश्यक मौत तक हो सकती है।’

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