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भारत-चीन के बीच लद्दाख पर तनाव में कमी के संकेत

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नई दिल्ली (एजेंसी)। भारत और चीनी सेना ने मेजर जनरल स्तर की बातचीत के पहले तनाव में कमी के संकेत दिए हैं। घटनाक्रम से जु़ड़े सूत्रों के मुताबिक, दोनों सेनाएं सांकेतिक तौर पर पूर्वी लद्दाख के कुछ क्षेत्रों से पीछे हटी हैं। सैन्य सूत्रों ने कहा कि दोनों सेनाओं ने गलवान घाटी के पेट्रोलिंग प्वॉइंट 14-15 और हॉट स्प्रिंग क्षेत्र के आसपास से पीछे हटना शुरू किया है। चीनी सेना दो क्षेत्रों से डेढ़ किलोमीटर पीछे हटी है। हालांकि इस बारे में रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया है।
सूत्रों का कहना है कि दोनों सेनाओं ने सैनिकों के अलावा इन तीन इलाकों से कुछ अस्थायी ढांचा वहां से हटाया है। चीनी सेना ने कुछ तंबू भी वहां से हटाए हैं। एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने इसे सकारात्मक घटनाक्रम बताया है। वहीं चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दोनों देश वास्तविक नियंत्रण रेखा एलएसी पर शांति कायम रखने और बातचीत के जरिए गतिरोध को सुलझाने पर सहमत हैं। सूत्रों का कहना है कि दोनों सेनाएं पैंगोंग सो, दौलत बेग ओल्डी, डेमचोक जैसे क्षेत्रों में तो अपने मोर्चे पर डटी हैं और अगले कुछ दिनों में टकराव का समाधान खोजने के लिए कई दौर की वार्ताएं होंगी।
सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच छह जून को सैन्य वार्ता के बाद सहमति बनी थी कि दोनों सेनाएं सांकेतिक तौर पर कुछ पीछे हटेंगी, ताकि सकारात्मक संदेश दिया जाए। इसका यह मतलब नहीं है कि सैनिकों की वापसी में बड़ा बदलाव आया हो। अभी भी बड़ी तादाद में चीनी सैनिक गलवान घाटी क्षेत्र में मौजूद हैं, जिस पर भारत ने आपत्ति जताई है। पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भारत और चीन के बीच लगातार चल रहे तनाव और कम करने के लिए दोनों देशों के बीच मेजर जनरल स्तर की बातचीत होगी। फील्ड कमांडरों के बीच भी वार्ता होगी। उम्मीद की जा रही है कि कुछ और सकारात्मक नतीजे निकलेंगे। सेना के 14 कोर कमांडर लेफ्टिनेट जनरल हरिंदर सिंह और चीन के दक्षिणी शिंजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक के कमांडर मेजर जनरल लियु लिन के बीच पिछली वार्ता हुई थी। भारतीय और चीनी सैनिकों में पैंगोंग सो इलाके में पांच और छह मई को हिंसक झड़प हुई थी। इसके बाद से दोनों पक्ष वहां आमने-सामने थे और गतिरोध बरकरार था। यह 2017 के डोकलाम घटनाक्रम के बाद सबसे बड़ा सैन्य गतिरोध बन रहा था।

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