Home उत्तर प्रदेश मऊ में आरोपियों के बचाव में ‘‘डीएम’’ने ‘‘पद’’ का किया ‘‘दुरूपयाग’’

मऊ में आरोपियों के बचाव में ‘‘डीएम’’ने ‘‘पद’’ का किया ‘‘दुरूपयाग’’

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आजमगढ( एजेंसी) उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में मनरेगा मद से लूट के मामले में जिलाधिकारी किसी बीडीओं से कम दोषी लगते है। जिलाधिकारी ने आरोपों को साबित होने के बावजूद दागी ‘‘बीडीओ’ज’’ को बचाने में पद का खूब दुरूप्योग किया है। डीएम ने ऐसा क्यो किस प्रतिफल में किया ? इस ओर लिफाफे के साथ सियासी दबाव के संकेत है। डीएम की लिफाफा पकड़शैली ने ही मनरेगा से 5 करोड़ से अधिक के धनों की बंदरबांट करने के आरोपी बीडीओं रानीपुर जयेस सिंह समेत 2 को कल तक बचाते रहे हैं। इसमें जयेस का राजनीतिक रसूख रतनपुरा के निलंबित बीडीआ रमेंश यादव से उंचा होना भी एक कारण है।

—रानीपुर ब्लाक में बीते अगस्त माह में ही घोटाले के आरोप साबित होने के बावजूद डीएम ने बीडीओ जयेस सिंह पर नही की कार्यवाही ।
—राज्य मंत्री के जांच के बाद जांच में उतरे डीएम ने जब बीडीओं के खिलाफ शासन को संस्तुति भेजी तो सियासी दाॅवपेंचो मे बीडीओं पर ‘‘ कारण बताओं नोटिस’’ तक सिमित कर दी कार्यवाही।
विभागीय सूत्रों के अनुसार बीते अगस्त माह में ही अपने 10-12 दिन के कार्यकाल में वतौर बीडीओं जयेस सिंह ने मनरेगा से 5 करोड से अधिक की धनराशि की बंदरबांट कर दिया था। बंदरबांट करने के बाद जयेस ंिसंह ने डीएम को पटा कर खुद का स्थानांतरण मुहम्मदाबाद गोहना करा लिया। विकास खंड रतनपुरा में बीडीओं के द्वारा किए गए करोड़ों की घोटाले की जांच के दौरान बीडीओं रानीपुर की ओर जब नजर गई तो रतनपुरा के तत्कालीन बीडीओं रमेश यादव से बड़े निकले जयेस सिंह। जयेस ने 12 दिन में ही ग्राम विकास को मनरेगा में आए 5 करोड़ से अधिक की रकम को का गला घोंट दिया। बहरहाल वर्तमान जांच में भी रानीपुर बीडीओं को लेकर डीएम ने पद का चाबुक चलाया तो उसी तरह से सियासत आड़े आ गई जैसे बीते अगस्त माह में सियासतदारों की पैरवी के बीच आए लिफाफे का हाल रहा, इसके बाद दागी बीडीओं के बचाव में उतरे डीएम की कार्यवाही ‘‘ कारण बताओं नोटिस’’ तक सिमित हो कर रह गई। डीएम ने तत्कालीन सीडीओं आलोक कुमार के पत्र संख्या 105/पीए-सीडीओ/2019 दिनांक 22 अगस्त 2019 में बीडीओं आदि को दोषी पाए जाने पर कार्यवाही क्यो नही की, इसकी जानकारी शासन तक क्यो नही दी? को लेकर कही लिफाफा तो कही सियासत तो कही सियासत बीच लिफाफे की चर्चाए उठनी शुरू हो गई। इन्ही चर्चाओं की सत्यता जानने निकले ईएमएस’’ को सीडीओं का बीडीओं के खिलाफ आरोपों से भरा पत्र हाथ तो लग गया लेकिन डीएम ने लिफाफा लिया या सियासती दबाव में लिफाफे के बदले में बीडीओ पर कार्यवाही नही की, का कोई सिवाय इसके लिए की कार्यवाही अब तक नही हुई , कोई अन्य सबूत हाथ नही लगे। सीडीओं ने 20 और 21 अगस्त 2019 को एक बार 6.02 लाख श्रमांश पर और 566.12 लाख का भुगतान सामग्री अंश पर किया है जिसमें श्रम और सामग्री अनुपात में गंभीर विचलन पाये जाने की सीडीओं ने डीएम को अपने पत्र के माध्यम से जानकारी 22 अगस्त 2019 को ही देते हुए यह भी कहा गया कि लंबित देयता की स्वीकृतियों के लिए रजनीश कुमार सिंह खंड विकास अधिकारी/तत्कालीन कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा रानीपुर दोषी भी बताया गया। डीएम ने अपनी वर्तमान जांच में बीडीओं जयेस सिंह के खिलाफ शासन को कार्यवाही के लिए संस्तुति भेजी तो सियासी दाॅवपेंचों में डीएम की बीडीओं पर यह कार्यवाही ‘‘ कारण बताओं नोटिस’’ तक सिमित हो गई। डीएम ने इस पत्र को दबाने के लिए आए सियासी ठीकेदारों के बीच किस तरह से और किस प्रतिफल में अपने पद का दुरूपयोग किया है? इसका आंकलन ही लगाया जा सकता है। डीएम का सीडीओं के पत्र पर कार्यवाही नही किया जाना डीएम के लिफाफापकड़ शैली की ओर संकेत तो करता है लेकिन क्या डीएम ने ऐसा किया है, पर डीएम का ईएमएस के संपर्क में जुबाॅन नही खुली।ं डीएम के जबाब की ‘‘ईएमएस’’ को प्रतिक्षा रहेगी।

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