नई दिल्ली(एजेंसी)। बॉर्डर पर चीन की गुस्ताखी का सेना ने मुंहतोड़ जवाब तो दिया ही। अब आर्थिक मोर्चे पर भी चीन को उसकी हरकतों की सजा देने की शुरुआत हो गई है। भारत सरकार ने सरकारी टेलिकॉम कंपनियों से किसी भी चीनी कंपनी के इक्विपमेंट्स का इस्तेमाल न करने को कहा है। भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनल) और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) के टेंडर को कैंसिल कर दिया गया है। साथ ही, प्राइवेट मोबाइल फोन ऑपरेटर्स के लिए भी हुवाई और जेट जैसे चीनी ब्रैंड्स से दूर रहने का नियम बनाया जा सकता है। भारतीय टेलिकॉम इक्विपमेंट का एनुअल मार्केट 12,000 करोड़ रुपए है। इसमें से एक-चौथाई पर चीन का कब्जा है। बाकी में स्वीडन की एरिक्सन, फिनलैंड की नोकिया और साउथ कोरिया की सैमसंग शामिल है। दिल्ली और मेरठ के बीच रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम बन रहा है। इसके डिजाइन और एक अंडरग्राउंड हिस्से के कंस्ट्रक्शन का टेंडर एक चीनी कंपनी को मिलने की रिपोट्र्स थीं। मगर बुधवार को केंद्र सरकार ने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट देने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है। विपक्षी दलों ने चीनी कंपनी को ठेका देने का विरोध किया है। ऐसे में यह कॉन्ट्रैक्ट भी चीनी कंपनी के हाथ से जाने की संभावना है।