नई दिल्ली (एजेंसी)। चीन के साथ बढ़ते तनाव के बाद केंद्र सरकार ने सेना के तीनों अंगों को विशेष रूप से सतर्क कर दिया है। वायु सेना की ताकत बढ़ाने के लिए विशेष प्रस्तावों पर काम तेज कर दिया गया है। इस दौरान एयर फोर्स स्टेशन ग्वालियर की भूमिका खास तौर पर बढ़ गई है। पुलवामा हमले के बाद की गई बालाकोट एयर स्ट्राइक में भी ग्वालियर स्टेशन की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। यहां से 12 मिराज-2000 ने पाकिस्तान की सीमा में घुस कर जैश ए मोहम्मद के ट्रेनिंग कैंपों को नेस्तनाबूद कर दिया था। सूत्रों के अनुसार चीन से टकराव की स्थिति में ग्वालियर के वायुवीरों को प्राथमिकता पर एक बार फिर बड़ा टारगेट दिया जा सकता है। एयर फोर्स स्टेशन को एक्शन मोड में रहने के निर्देश मिल चुके हैं। भारतीय वायु सेना की सेंट्रल कमांड के तहत आने वाले ग्वालियर एयर फोर्स स्टेशन के नाम वीरता के एक से बढ़कर एक अनुभव और उपलब्धियां हैं। इनमें नवीनतम फरवरी 2019 में पुलवामा हमले के बाद बालाकोट में एयर स्ट्राइक कर आतंकियों कैंपों का सफाया शामिल है।
ग्वालियर को दिया गया था सर्जिकल स्ट्राइक का जिम्मा
पाकिस्तान की सीमा में घुसकर हमला करने का जिम्मा ग्वालियर के वायुवीरों को दिया गया था। जिसे उन्होंने बखूबी अंजाम दिया। यहां से 12 मिराज 2000 लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी थी। ये सभी इजरायल निर्मित स्पाइस 2000 बम (लगभग एक हजार किलो का एक बम) से लैस थे। ये फाइटर जेट हिमाचल प्रदेश और कश्मीर के ऊपर उड़ान भरते हुए एलओसी से लगभग 60 किलोमीटर पाकिस्तान के अंदर घुस कर आतंकी कैंपों को तबाह कर सकुशल वापस लौट आए थे।