वाशिंगटन(एजेंसी)। कोरोना वायरस की जिस दवा को ‘बेअसर’ बताकर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्युएचओ) ने क्लिनिकल ट्रायल रोक दिया था, उस हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन ने रिसर्च में चौंकाने वाले नतीजे दिए हैं। भारत इस दवा का सबसे बड़ा प्रोड्यूसर है। अमेरिका के हेनरी फोर्ड हेल्थ सिस्टम के मुताबिक, कोरोना मरीजों पर शुरुआत में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के इस्तेमाल से उन्हें बचाया जा सकता है। इंटरनैशनल जर्नल ऑफ इन्फेक्शियस डिजीजेज में प्रकाशित स्टडी के मुताबिक, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन देने से मरीजों के मरने की दर कम हो गई। अस्पताल में सिर्फ एचसीक्यू देने पर मॉर्टलिटी रेट 13.5 पर्सेंट था। सिर्फ एजीथ्रोमाइसिन देने पर मॉर्टलिटी रेट 22.4 पीसदी हो गया। दोनों दवाओं को एक साथ देने पर मॉर्टलिटी रेट 18.1 पर्सेंट पर आ गया। यानी एचसीक्यू कोरोना मरीजों पर सबसे असरदार रही। हालांकि रिसर्चर्स ने और ट्रायल्स की जरूरत बताई है।
अमेरिकी रिसर्चर्स की टीम ने कहा है कि ये दवा कोरोना मरीजों के लिए ‘लाइफसेवर’ साबित हो सकती है। यह रिसर्च ऐसे समय में छपी है, जब अमेरिका के नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने एचसीक्यू का क्लिनिकल ट्रायल रोक दिया है। हेनरी फोर्ड अस्पताल ने भी माना कि उनकी रिसर्च ने कई अन्य रिसर्च से अलग नतीजे दिए है। हॉस्पिटल की इन्फेशियस डिजीज यूनिट के चीफ डॉ मार्कर्स जरवोस ने कहा कि ‘हमें लगता है कि हमारी स्टडी में पेशेंट्स का इलाज जल्दी किया गया। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के असर करने के लिए, इसकी शुरुआत उन गंभीर लक्षणों से पहले करनी चाहिए जो कोविड मरीजों को होते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस दवा को ‘गेमचेंजर’ करार दिया था। मगर अलग-अलग स्टडीज में इसे ‘नाकाफी’ बताए जाने पर कई देशों ने इस दवा का इस्तेमाल रोक दिया। ट्रंप कैम्पेन की तरफ से ताजा रिसर्च के बाद मीडिया और डेमोक्रेट्स से कहा गया है कि वे ‘अपने एंट्री-ट्रंप एजेंडा को संतुष्ट करने के लिए एचसीक्यू को डिस्क्रेडिट न करें।’ गौरतलब है कि डब्ल्युएचओ ने पिछले महीने एचसीक्यू की कोविड मरीजों पर टेस्टिंग रोक दी थी। नए डेटा में इस दवा से कोई फायदा नहीं दिखाया गया था। इसके बाद अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने भी कोविड मरीजों पर इमर्जेंसी में एचसीक्यू के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी।