नई दिल्ली (एजेसी)। चीन के साथ पूर्वी लद्दाख पर सीमा विवाद के बाद यूरोप के एक थिंक टैंक का दावा है कि अमेरिका ने भारत को बीजिंग के खिलाफ क्वाड गठन करने का मौका दिया, लेकिन भारत ने दिखाया है कि वह खुद ही चीन के सामने किसी भी मुद्दे पर मजबूती से खड़ा हो सकता है। गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में झड़प के बाद से अभी भी चीनी सेना देपसांग, गोरा और फिंगर इलाकों में टिकी हुई है।
-यूरोप के थिंक टैंक का दावा, बीजिंग के खिलाफ अमेरिकी प्रस्ताव का नहीं लिया लाभ
यूरोपीय फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज (ईएफएसएएस) ने एक समीक्षा में कहा, ‘पैंगोंग त्सो में डिसइंगेजमेंट की शुरुआती प्रक्रिया में चाइनीज फिंगर 2 से फिंगर 5 इलाकों में पीछे हटे, लेकिन रिज लाइन पर तैनाती बनी रही। भारत जोर दे रहा है कि चीनी सैनिक फिंगर 5 से फिंगर 8 तक से हटें। भारत ने चीनी सैनिकों के पूरी तरह पीछे हटने तक अग्रिम इलाकों से हटने पर विचार से इनकार कर दिया है। थिंक टैंक ने कहा, साल 2017 में डोकलाम की तरह, ड्रैगन की आक्रामकता के खिलाफ भारतीय राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व की ओर से दिखाए गए दृढ़ता और संकल्प ने चीन को हैरान कर दिया है। भारतीय रक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए ईएफएसएएस ने कहा कि जब तक सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बीतचीत के जरिए सहमति नहीं बन जाती, तनातनी लंबे समय तक रह सकती है। ईएफएसएएस ने कहा कि भारत ने सियाचिन ग्लेशियर की तरह यहां बड़े पैमाने पर सैन्य सामान और रसद एकत्रित कर लिया है। भारत की ओर से तैयारी से पता चलता है कि भारत सीमा पर किसी गंभीर टकराव का मुकाबला करने के लिए काफी मजबूत है। ईएफएसएएस के मुताबिक, भारत उम्मीद करता है कि मौजूदा तनाव का हल बाचतीच के जरिए निकल जाएगा, लेकिन इसने अपने इलाकों की रक्षा के लिए संभावित टकराव को लेकर इसने तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसलिए, यह भारत और चीन के लिए पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान बनाना सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है, जिसमें चीन का चेहरा बचाकर निकलने का रास्ता शामिल है।