नई दिल्ली (एजेसी)। राजस्थान कांग्रेस में छिड़े राजनीतिक महाभारत का पटाक्षेप हो गया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 3 सदस्यीय कमेटी घोषित करने के साथ राज्य के प्रभारी पद से अविनाश पांडे को हटाकर अजय माकन को जिम्मेदारी सौंप दी है। कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व राजस्थान के मामले को स्थाई तौर पर सुलझाना चाहता है। ऐसे में बहुत जल्द राजनीतिक नियुक्तियां और मंत्रिमंडल में फेर बदल कर गहलोत और पायलट समर्थकों को संतुष्ट किया जा सकता है।
बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कैबिनेट से सचिन पायलट, विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा हटाए जाने के बाद मंत्रिमंडल में कुल 22 मंत्री बचे हैं। इनमें मास्टर भंवरलाल मेघवाल कोमा में हैं और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। ऐसे में इन दोनों नेताओं की कैबिनेट से छुट्टी हो सकती है। इतना ही नहीं गहलोत सरकार अपनी कैबिनेट से भी करीब 5 मंत्रियों की छुट्टी कर सकते हैं। इस तरह से करीब 15 मंत्रियों की जगह खाली हो सकती है।
राजस्थान कैबिनेट में कुल सदस्यों की संख्या 30 तक हो सकती है। सीएम गहलोत लंबे समय से बहुजन समाज पार्टी से आए हुए विधायकों और समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह देकर उपकृत करना चाह रहे हैं। माना जा रहा है कि बसपा से आने वाले विधायक राजेंद्र गुढ़ा और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा को मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है। हालांकि, सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी और सचेतक महेंद्र चौधरी भी मंत्री बनना चाह रहे हैं, लेकिन अशोक गहलोत फिलहाल इनको विधानसभा की जिम्मेदारी तक ही सीमित रखना चाहते हैं।
सचिन पायलट को डिप्टी सीएम पद से हटाए जाने बाद गुर्जर नेता के रूप में शकुंतला रावत या फिर जितेंद्र सिंह को कैबिनेट में जगह मिल सकती है। राज्य मंत्री के लिए जोगेंद्र सिंह अवाना और गिरिराज मलिंगा भी कोशिश कर रहे हैं। माना जा रहा है कि सचिन पायलट को छोड़कर आने वाले चेतन डूडी, दानिश अबरार और रोहित बोहरा में से किसी को संसदीय सचिव या राज्य मंत्री बनाया जा सकता है। हालांकि, राजकुमार शर्मा जैसे कुछ विधायक भी मंत्री पद के लिए दावेदारी कर रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो सचिन पायलट अपने खेमे के रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह की वापसी चाह रहे हैं जबकि जो दो मंत्रालय उनके पास थे उसकी जगह दो मंत्री हेमाराम चौधरी और दीपेंद्र सिंह शेखावत को भी मंत्री बनावाना चाहते हैं। दोनों कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं। ऐसे में आलाकमान को भी इन्हें मंत्री बनाने में परेशानी नहीं आएगी। इसके अलावा पायलट चाह रहे हैं कि दो राज्य मंत्री और 2 संसदीय सचिव भी उनके खेमे के विधायकों को बनाया जाए। इन नामों में मुरारी लाल मीणा, गजेंद्र सिंह शेखावत, मुकेश भाकर और वेद सोलंकी की चर्चा है।
कांग्रेस आलाकमान ही नहीं सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट पर भी मंत्रिमंडल के नामों को लेकर भारी दबाव है। अशोक गहलोत ने बहुत सारे विधायकों को साथ देने पर इनाम देने का वादा कर रखा है। वहीं, सचिन पायलट भी अपने समर्थक विधायकों को सम्मान जनक जगह पर बैठाना चाहते हैं। इसलिए कहा जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान के लिए इन दोनों के बीच सामंजस्य बैठाना आसान काम नहीं है।