Home दिल्ली राष्ट्रीय शिक्षा नीति से संबंधित घोषणाएं वास्तव में एक झटका है

राष्ट्रीय शिक्षा नीति से संबंधित घोषणाएं वास्तव में एक झटका है

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति से संबंधित घोषणाएं वास्तव में एक झटका है

नई दिल्ली (एजेंसी)। ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (JEE)-मेन और नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट (UG) (NEET) के अगले माह सितंबर में होने जा रहे टेस्ट को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक बुलाईं। इस वर्चुअल बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति से संबंधित घोषणाएं वास्तव में हमें चिंतित कर सकती हैं क्योंकि यह वास्तव में एक झटका है।

उन्होंने आरोप लगाया कि छात्रों की समस्याओं और परीक्षाओं के मुद्दे से केंद्र लापरवाही से निपट रहा है। विपक्षी दलों की यह बैठक ऐसे समय पर हुई है जब एक दिन पहले नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने सुप्रीम कोर्ट के 17 अगस्त के आदेश का हवाला देते हुए परीक्षा शेड्यूल में बदलाव की मांग को खारिज कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा स्थगित करने की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि छात्रों के एक महत्वपूर्ण वर्ष को बर्बाद नहीं किया जा सकता है और जीवन को आगे बढ़ना है। बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोविड-19 हालात में परीक्षा स्थगित कराने के लिए सुपीम कोर्ट जाने का सुझाव दिया।

ममता ने कहा, मेरा सभी राज्य सरकारों से यह अनुरोध रहेगा कि वे एक साथ आएं जब तक छात्रों के परीक्षा में उपस्थित होने की स्थिति नहीं बन जाती, उस समय तक परीक्षा स्थगित कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट चलें। ममता बनर्जी ने अपने उन दो पत्रों का भी हवाला दिया जो उन्होंने इससे पहले प्रवेश परीक्षा को स्थगित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखा था।

ममता ने कहा कि परक्षाएं सितंबर में हैं। क्यों छात्रों के जीवन को खतरे में डाला जा रहा है? हमने इस बारे में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा लेकिन वहां से कोई भी जवाब नहीं मिला। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अमेरिका की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि वहां 97,000 बच्चे कोरोनो बीमारी से संक्रमित थे जब स्कूलों को फिर से खोल दिया गया था।

अगर ऐसी स्थिति यहां आएगी तो हम क्या करेंगे? उन्होंने यह भी कहा कि स्कूल को जून में नहीं खोला गया जबकि जब मामलों की संख्या अपेक्षाकृत कम थी, तो अब परीक्षाओं को आयोजित करने के लिए स्थिति को कैसे अनुकूल माना जा सकता है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, मुझे ऐसा लगता है कि सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले हमें प्रधानमंत्री या फिर राष्ट्रपति के पास जाना चाहिए।

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