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राजीव गांधी की वजह से कांग्रेस

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राजीव गांधी की वजह से कांग्रेस

लखनऊ(एजेंसी)कांग्रेस पार्टी एक बार फिर से वेंटीलेटर पर जा पहुंची है। आखिर कांग्रेस में ये क्या हो रहा है। सिर्फ सत्ता के लिए कांग्रेस संतरे की तरह आपस में चिपकी रहती है या फिर सत्ता का चरित्र ही हर तरफ ऐसा देखा जाता है। गांधी, नेहरू, पटेल, मौलाना की पार्टी जिसने देश को आजाद कराया उसका ये हाल होना करोड़ों उसके चाहने वालों को दुखी बना रहा है। असल में लग रहा है कांग्रेस को उसका जातिवाद कहें या ऊँची जाति वालों की तानाशाही खोखला करती देखी जा रही है। इन्दिरा जी के दौर 1977-80 में जब उन्हें गिरफ्तार किया गया था शाह आयोग की सिफारिश पर तब यू.पी. के एक पाण्डे नामक युवक ने एक हवाई जहाज का अपहरण करके उन्हें छोड़ने की मांग उठाई थी। इनाम के तौर पर पाण्डे को राज्यसभा टिकट दिया गया था। कुछ लोग बता रहे हैं वो विधायक बनाये गये थे।

उत्तर प्रदेश व बिहार में पार्टी को इन्दिरा जी गलत नीतियों व राजीव गांधी के अनुभवहीन होने का काफी हर्जाना चुकाना पड़ा था। इन दोनों राज्यों में कमलापति त्रिपाठी, नारायण दत्त तिवारियों की छवि नकारा व अध्यक्ष नेताओं की रही थी। ये लोग सिर्फ और सिर्फ ऊँची जातियों ब्राम्हणों को संरक्षण देते सुने व देखे जाते रहे थे। यही हाल बिहार में जगन्नाथ मित्र व ललित नारायण मिश्र व भगवत आजाद आदि ने भी किया। इन दोनों सूबों में लोकसभा के 150 से भी ज्यादा सदस्य चुने जाते रहे थे। वहां गलत नीतियों व ऊँची जाति वालों के अत्याचारों की सैकड़ों कहानियां आती रही हैं जिस के चलते कांग्रेस का परम्पराओं से जुड़ा दलित मुस्लिम पिछड़ा, अति पिछड़ा वोट बैंक उससे दूर होकर मुलायम सिंह यादव व लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में चला गया। ब्राम्हण मतदाता संघ परिवार से शुरू से ही जुड़ा था। वो भारतीय जनता पार्टी के साथ चला गया। नतीजे में तमाम शुक्ला, चतुर्वेदी व विकास दुबे की सत्ता की आड़ में पल रहे सियासतदां व पुलिस प्रशासन उन्हें संरक्षण देता रहा है।

उ.प्र. से उखड़ी कांग्रेस उत्तर प्रदेश व बिहार में कांग्रेस पार्टी अपने वोट बैंक को 10 फीसद तक भी नहीं सम्भाल पा रहे हैं। तमाम फिल्म स्टार वो ला चुके हैं व तमाम ढोंगी बाबाओं को कांग्रेस वहां ला चुकी है, सब नाकाम रहे थे। कांग्रेसियों का मिजाज सामंती होता जा रहा था 1984 से क्योंकि राजीव गांधी ने कांग्रेस को उत्तर भारत में पूर्व राजा महाराजाओं के हवाले खुले आम जो कर दिया था। चाहे उत्तर प्रदेश में राजा मोडा हों या फिर मिर्जापुर इलाहाबाद, बनारस, कानपुर के माफिया डॉन ये ही लोग उसके आका बना दिए गए थे। आम कांग्रेस कार्यकर्त्ता इससे दूर होते गये। बहुगुणा तक यहां लोकप्रिय लोग कांग्रेस में रहे।

उन्हें भी राजीव गांधी की नादानी के चलते कांग्रेस में विदा कर दिया गया। एक गैर अनुभवी सियासतदां उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को शमशान में खुले आम ले जाने लगे। 30 साल से वहां कांग्रेस उतर नहीं सकी है। उत्तर भारत में राजीव गांधी के पट्ठे म.प्र., उ.प्र., बिहार व महाराष्ट्र में काबिज थे जो गांधीवादी विचारों से कोसों नहीं हजारों मील दूर रहते देखे गये थे। इनके ज्यादातर पूर्व राजा महाराजा ही ज्यादा थे जिन्होंने 1990-95 में रहे सहे कांग्रेसियों को जमीदोज कर दिया था। म.प्र. में छोटे से इलाके राजा दिग्विजय सिंह जरूर कांग्रेस की गांधीवादी विचारधारा व संत कबीर के विचारों से जुड़े देखे गये थे व कभी कभी संघ परिवार व भा.ज.पा. के नेताओं के दंगा कराने व हिन्दू मुस्लिम व मंदिर मस्जिद के बयानों पर जवाब देते रहे थे। माधवराव सिंधिया सामतं के तौर पर जरूर काफी लोकप्रिय रहे थे। उन्हें विकास का मसीहा कहा जाता था।

सत्ता की मलाई खा जाते हैं आज कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व गांधी परिवार पर फिर से कुछ कांग्रेस सवाल दाग रहे हैं ये ओपन सीक्रेट है कि कांग्रेसियों का मिजाज सामंती बन चुका है और वो गांधी परिवार से दूर नहीं रह सकता। ये परिवार जहां एक तरफ देश को आजादी दिलाने वाला रहा है वहीं उसके तीन-तीन लोग शहीद हुए हैं। आतंकवाद से उनके विरोधियों ने उनकी सुरक्षा तक हटवा दी है जो सरासर गलत मानी जाती है। नेहरू गांधी परिवार ने देश को कई बार अच्छा नेतृत्व दिया पर आज वो मजबूत विपक्ष का संदेश देने में नाकाम रही है। राज्यों में सिंधिया जैसे लोग भा.ज.पा. में 22-24 विधायक लेकर कांग्रेस से जा चुके हैं व मध्य प्रदेश सरकार को गिरा देने से कांग्रेस की शाख को खास बट्टा लगा है। उधर केन्द्र सरकार के मुखिया दिन पर दिन आम जनता को गुमराह करते देखे जा रहे हैं।

चीन सहित तमाम पड़ोसी देशों से भारत के सम्बन्ध खराब हो रहे हैं, खासतौर से नेपाल से। ये सरेआम केन्द्र सरकार की नाकामी है। राहुल गांधी 2019 की हार के बाद कांग्रेस से इस्तीफा देकर चले गये। वो जरूरी नहीं था। उन्हें पुन: आ जाना होगा वरना देश को और भी खामियाजा भुगतना पड़ेगा। प्रधानमंत्री कहते रहेंगे कि चीन ने हमारी एक इंच भी भूमि नहीं हड़पी है और फिर रक्षा मंत्रालय दावा करेगा कि चीन काफी अन्दर तक आ चुका है। नेपाल भी आँखें दिखा रहा है और भा.ज.पा. संघ परिवार वाले कोविड के दौर में भी साम्प्रदायिक बातें करके देश तोड़ने की कार्यवाहियां लगातार करते आ रहे हैं।

कांग्रेस की कमी है कि वो दलित मुस्लिम पिछड़ों के वोटों से सत्ता पर जरूर बैठ जाती है पर फिर उसे ऊँची जाति के नेता सत्ता की मलाई खाने आ जाते हैं और दलित और पिछड़े मुस्लिम पीछे ढकेल दिये जाते हैं। तमाम लोग कांग्रेस की सत्ता की मलाई खाने फिर आ जाते हैं। ये वही लोग होते हैं जो उसके खिलाफ चुनाव तक लड़ चुके होते हैं। वो कांग्रेस में ऊँचे पद पा जाते हैं। खनिज लूट व सरकारी जमीनों के खेल करके ये लोग करोड़ों डकार कर कांग्रेस को कमजोर करते रहे हैं।

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