नई दिल्ली(एजेंसी)। आजादी के बाद (1947) से हर साल छपते आ रहे बजट दस्तावेज पर भी कोरोना का ग्रहण लग गया है। संक्रमण के डर से इस बार बजट 2021-22 के दस्तावेज नहीं छापे जा रहे हैं। सरकार को इसके लिए संसद के दोनों सदनों की मंजूरी मिल गई है। सभी संसद सदस्यों को इस बार बजट के दस्तावेजों की सॉफ्ट कॉपी मुहैया कराई जाएगी।
ऐसे में इस बार बजट के दिन संसद के बाहर दस्तावेज पहुंचाने वाले ट्रक नजर नहीं आएंगे। केंद्रीय बजट की छपाई हर साल वित्त मंत्रालय की प्रिंटिंग प्रेस में होती रही है। वित्त मंत्रालय का कहना था कि बजट के दस्तावेजों की छपाई के लिए 100 से ज्यादा लोगों को दो हफ्ते तक एक ही जगह रखना होता है। कोरोना को देखते हुए सरकार इतने लोगों को इतने लंबे समय तक प्रिंटिंग प्रेस में नहीं रख सकती।[ads1]
सॉफ्ट कॉपी पर सांसदों को मनाने के लिए हुई बड़ी मशक्कतसूत्रों के मुताबिक, सॉफ्ट कॉपी के लिए सांसदों को मनाने में लोकसभा अध्यक्ष और उपसभापति को काफी मशक्कत करनी पड़ी। बजट के डॉक्यूमेंट्स को लेकर दो विकल्प रखे गए थे। सभी सांसदों को सॉफ्ट कॉपी दी जाए या किसी को नहीं। वहीं, जो सांसद टेक सैवी नहीं हैं, उनके लिए सीमित संख्या में कॉपी छापना मुमकिन नहीं था। दलील दी गई कि दस्तावेज छापे गए तो उन्हें लाने-ले जाने में कोरोना संक्रमण का जोखिम हो सकता है।[ads1]
एक पखवाड़े पहले हलवा सेरेमनी से छपाई प्रक्रिया की शुरुआत स्वतंत्र भारत में केंद्रीय बजट पहली बार 26 नवंबर 1947 को पेश किया गया था। इसके दस्तावेज तब से हर साल छापे जाते रहे हैं। वित्त मंत्रालय बजट दस्तावेजों की छपाई प्रक्रिया की शुरुआत के मौके पर हर साल हलवा सेरेमनी करता है। सेरेमनी का आयोजन संसद में बजट पेश किए जाने से एक पखवाड़ा पहले नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में होता है। अब सवाल यह है कि जब बजट छप नहीं रहा, तो हलवा सेरेमनी होगी या नहीं।[ads3]