खरगोन,निमाड़ के सबसे बड़े लोकपर्व गणगौर की तैयारियां शुरू हो गई है। एकादशी बुधवार से शहर सहित समूचे अंचल में बाड़ी बुआई के साथ ही झालरियां गीत और पाली खेलने का दौर शुरु हो जाएगा। उल्लास, पवित्रता व श्रद्धा के पर्व पर गणगौर माई व ईशर राजा की भक्ति की बयार बहेगी। पर्व की शुरुआत से पहले गलियों में रगो.रंगो रणुबाई का हाथ…, तोड़ो.तोड़ो रे डेडम डेड लिंबुआ तोड़ी लाऊजो…, घाटी चढ़ी न हऊं हारी वो चंदा…, म्हारा पीहर म बोई गणगौर सखी रे…, अना.बना म चंपो मवरियो… जैसे झालरिया गीत गूंजने लगे हैं।
पंडित जगदीश ठक्कर ने बताया नवरात्र की शुरुआत 13 अपै्रल गुडी पड़वा से होगी। इस बार दो अमावस्या की तिथि होने से बुधवार और गुरुवार दो दिन बाड़ी बुआई होगी। एकादशी पर बाड़ी (जवारे)बुआई होकर चैत्र तृतीया याने तीज पर दर्शनार्थ खोली जाएगी। इसके बाद जवारे श्रृंगारित रथों में विराजित कर श्रद्धालू अपने- अपने घरों पर बाजे. गाजे के साथ ले जाते है। हालांकि इस बार कोरोना महामारी के दोबार पैर पसारने से सामुहिक आयोजनों पर रोक लगी है, जिसका असर गणगौर बाडिय़ों पर भी होगा।
9 दिन सेवा नहीं होगी
उल्लेखनीय है कि शहर में करीब 30 से अधिक स्थानों पर माता की पवित्र बाडिय़ां परंपरागत रुप से बोई जाती है। एकादशी पर जिनके घर माता लाई जाती है वे श्रद्धालु माता की बाडिय़ों में बांस से बनी टोकनियां लेकर पहुंचेंगे। पुजारी द्वारा माता की मूठ रखी जाएगी। गणगौर त्यौहार को लेकर बाजार में चहल. पहल भी बड़ गई है। माता की मूठ रखने के साथ 8 दिनों तक महिलाएं रात के समय माता की बाडिय़ों में जाकर माता की भजन. कीर्तन आराधना करेगी। नवरात्र के पूर्व बाजार में बांस से बनी टोकनियों की मांग बढ़ गई है।