Home अर्थव्यवस्था आरटीआई कानून की धारा 8(1)(ई) पर हुई चर्चा,रिजर्व बैंक के गवर्नर को एनपीए बैंक खातों की जानकारी देने के लिए किया बाध्य – शैलेश गांधी,

आरटीआई कानून की धारा 8(1)(ई) पर हुई चर्चा,रिजर्व बैंक के गवर्नर को एनपीए बैंक खातों की जानकारी देने के लिए किया बाध्य – शैलेश गांधी,

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आरटीआई कानून की धारा 8(1)(ई) पर हुई चर्चा,रिजर्व बैंक के गवर्नर को एनपीए बैंक खातों की जानकारी देने के लिए किया बाध्य – शैलेश गांधी,

रीवा- मप्र 42 वें राष्ट्रीय वेबीनार का हुआ आयोजन

सूचना के क्षेत्र में क्रांति का दौर है। सूचना जन जन तक कैसे पहुंचे इसके लिए सतत प्रयास किए जा रहे हैं। यद्यपि सरकार और विभाग सूचना को बाधित करने का काम कर रहे हैं लेकिन दूसरी तरफ आरटीआई कार्यकर्ता सूचना के क्षेत्र में क्रांति ला रहे हैं।

 भारत के इतिहास में अपने अनोखे किस्म के प्रयोग जिसमें की आरटीआई एक्टिविस्ट, पूर्व सूचना आयुक्त एवं वर्तमान सूचना आयुक्त सहित अन्य आरटीआई से संबंधित लोग और आम जन मिलकर  प्रत्येक रविवार सुबह 11:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक वेबिनार का आयोजन करते हैं इसमें देश के विभिन्न कोनों से आरटीआई एक्टिविस्ट जुड़ते हैं और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते हैं। इसी तारतम्य में 11 अप्रैल 2021 को सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8(1)(ई) जिसमें विभाग और व्यक्ति के विषय में जानकारी चाही गई है उसके बीच विश्वसनीयता और आपस के ट्रस्ट संबंधी मामले को लेकर जानकारी चाही जाती है वह जानकारी किन किन परिस्थितियों में देय होती है और कैसे प्राप्त होती है इस विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। ऑनलाइन परिचर्चा मे मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह सम्मिलित हुए जिन्होंने कार्यक्रम की अध्यक्षता की जबकि विशिष्ट अतिथि के तौर पर पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी, आरटीआई एक्टिविस्ट भास्कर प्रभु एवं वीरेश बेल्लूर सम्मिलित हुए। कार्यक्रम का संचालन एवं प्रबंधन का कार्य आरटीआई एक्टिविस्ट एवं सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी, अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा, आरटीआई एक्टिविस्ट देवेंद्र अग्रवाल ने किया।

🔹 विभागों की ऑडिट रिपोर्ट से भ्रष्टाचार का होता है खुलासा – वीरेश बेल्लूर

कार्यक्रम में प्रारंभ से जुड़े कर्नाटका से आरटीआई स्टडी सेंटर के ट्रस्टी और आरटीआई एक्टिविस्ट वीरेश बेल्लूर ने बताया कि सामान्यतया उप पंजीयक कार्यालय से जानकारी प्राप्त की जा सकती है लेकिन उसकी कई कैटेगरी होती है। जहां तक सवाल दो पक्षों के बीच विश्वसनीयता के संबंधों को लेकर है और जिसमें धारा 8(1)(ई) का उल्लेख होता है इस विषय पर जानकारी आसानी से नहीं मिलती। जैसे यदि बैंक में किसी खातेदार की जानकारी चाहिए तो बैंक ऐसी जानकारी देने से मना कर देता है। इसी प्रकार यदि किसी लीगल एडवाइजर से उसके मुवक्किल की जानकारी चाहिए तो ऐसी जानकारी आसानी से हासिल नहीं होती है। उसी प्रकार कई बार इनकम टैक्स विभाग से भी जानकारी प्राप्त करने में कठिनाई होती है। डॉक्टर और मरीज के बीच के संबंध को लेकर भी धारा 8(1)(ई) का कई बार हवाला देकर जानकारी देने से मना कर दिया जाता है ऐसी स्थितियों में व्यापक जनहित बता कर ही जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

🔸 ऑडिट रिपोर्ट हासिल कर 22 सौ करोड़ का घोटाला किया उजागर

ऑडिट रिपोर्ट पर कार्य करने वाले वीरेश बेल्लूर ने बताया कि उन्होंने बैंगलोर में काफी कार्य किया है और आरटीआई के माध्यम से बृहद बैंगलोर म्युनिसिपल कारपोरेशन से संबंधित काफी जानकारी इकट्ठी की। जब वह ऑडिट रिपोर्ट की जानकारी प्राप्त करते हैं तो उसमें कई कमियां उजागर होती है जो सिस्टम में होने वाले भ्रष्टाचार को भी उजागर करती है जिसके विषय पर समय-समय पर लोकायुक्त और एंटी करप्शन ब्यूरो में कंप्लेन फाइल कर जांच की मांग की जाती है। वेल्लूर ने बताया कि ऑडिट रिपोर्ट के विषय में हमें कार्य करना चाहिए और उसके माध्यम से काफी खुलासे होते हैं। वीरेश बेल्लूर ने बताया कि उन्होंने ऑडिट रिपोर्ट हासिल कर बेंगलुरु में 22 सौ करोड़ रुपए के घोटाले का पर्दाफाश किया।

⚫ रिजर्व बैंक के गवर्नर को एनपीए बैंक खातों की जानकारी देने के लिए किया बाध्य – शैलेश गांधी

 पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने बताया कि उनके कार्यकाल में एक ऐसा मामला आया था जिसमें धारा 8(1)(ई) एवं 8(1)(ए) का हवाला देते हुए जानकारी देने से मना कर दिया गया था। मामला बैंकों के संदर्भ में नॉन परफॉर्मिंग असेट्स अर्थात एनपीए खातों का था जिसके विषय में बैंक द्वारा तर्क दिया गया कि यदि यह जानकारी सार्वजनिक की जाएगी तो इससे पूरे देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा। अपना पक्ष सुप्रीम कोर्ट पर रखते हुए रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने काफी मशक्कत की और केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी के आदेश के विरुद्ध अपील दायर की। ऐसे 10 से अधिक मामलों में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा और बताया कि किस प्रकार वांछित जानकारी देने से देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। लेकिन शैलेश गांधी द्वारा बताया गया इस बात को स्वयं सुप्रीम कोर्ट ने भी नहीं माना और सभी मामलों में सूचना आयोग के निर्णय को ही सही ठहराते हुए जानकारी देने के लिए कहा। अपने पक्ष में शैलेश गांधी ने बताया की जो जानकारी देने के लिए उन्होंने आदेश दिया है वह पर एक्यूरियम है जोकि नियम कानून के तहत ही है और कानून से हटकर नहीं है जिसे स्वयं सुप्रीम कोर्ट को भी मानना पड़ा। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आयोग जो कह रहा है वह सही है और एनपीए खातों से संबंधित जानकारी देने से किसी भी प्रकार से विश्वसनीयता संबंधी फ़ेडयूशरी संबंध में असर नहीं पड़ेगा। यद्यपि शैलेश गांधी द्वारा बताया गया कि आदेश के बाद भी अभी भी पूरी तरह से जानकारी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा नहीं दी गई है और मामला अभी भी कोर्ट में चल रहा है।

🔹 हमने धारा 4 और सार्वजनिक मामलों पर ही ज्यादा जोर दिया – भास्कर प्रभु

सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के द्वारा आरटीआई एक्टिविस्ट भास्कर प्रभु से जानकारी चाही गई कि क्या उन्हें भी कभी आरटीआई आवेदन दायर करते समय धारा 8(1)(ई) का हवाला देते हुए फ़ेडयूशरी संबंध बताकर जानकारी छुपाने का प्रयास किया गया? इस पर जवाब देते हुए भास्कर प्रभु ने बताया कि उन्होंने ज्यादातर मामले सार्वजनिक हित से संबंधित ही दायर किए हैं। उदाहरण के लिए उन्होंने धारा 4 पर ज्यादा जोर दिया और साथ में सोशल ऑडिट की ही वकालत करते हैं। उनके द्वारा बताया गया कि कभी भी उन्होंने व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करने का प्रयास नहीं किया इसलिए ऐसी समस्याओं का कम सामना करना पड़ा है। यद्यपि बाद में उपस्थित एक्सपर्ट्स ने बताया कि आवश्यक नहीं है की दुर्भावना से प्रेरित होकर ही व्यक्तिगत जानकारी चाही जाए पर कई बार लोक सूचना अधिकारी सही जानकारी देने से भी मना कर देते हैं और धारा 8(1)(ई) कहकर मना कर देते हैं।

🔸 जीएसटी और स्कूली मान्यता से संबंधित जानकारी देने में धारा 8(1)(ई) का उपयोग गलत – राहुल सिंह

कार्यक्रम में अध्यक्ष के तौर पर सम्मिलित हुए मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने बताया कि हमें आरटीआई पब्लिक महत्त्व की बातों को लेकर ही लगाना चाहिए। कभी भी आरटीआई लगाते समय व्यक्तिगत स्वार्थ और निजी मोटिवेशन से जानकारी नहीं माननी चाहिए। क्योंकि ऐसी जानकारी देने के लिए विभाग मना कर देते हैं और विभिन्न धाराओं जैसे धारा 8 और 9 का हवाला देकर पल्ला झाड़ लेते हैं। उन्होंने बताया एक बार जीएसटी टीम से संबंधित मामला प्रकाश में आया था और साथ में स्कूल की मान्यता से संबंधित भी मामला देखा गया जिसमें उक्त जानकारी देने के लिए धारा 8(1)(ई) का हवाला देकर मना कर दिया गया जो कि गलत था। इस प्रकार कई बार सामान्य जानकारी देने में भी हीलाहवाली की जाती है। राहुल सिंह ने बताया की पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने आरबीआई के गवर्नर को लेकर प्राइवेट बैंक के नॉन परफॉर्मिंग असेट्स की जानकारी के लिए आदेश दिया था जो कि काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। राहुल सिंह ने यह भी कहा कि आवेदकों को ज्यादा बृहद जानकारी नहीं माननी चाहिए जिससे आयोग भी ऐसी जानकारी देने से मना ना करें।

🔹 पार्टिसिपेंट्स के प्रश्नों का एक्सपर्ट्स ने दिया जवाब

 कोलकाता से सिद्धांत ने पूछा कि उन्होंने पुलिस विभाग से कुछ जानकारी चाही थी तो विभाग द्वारा बताया गया कि अभी जांच चल रही है इसलिए जानकारी नहीं दी जा सकती। बाद में जब उन्होंने मामले की अपील की तो उनको और उनके परिवार को फोन कर बुरा व्यवहार किया गया और उनके ऊपर एफ आई आर भी दर्ज कर दी गई। जब उन्होंने एफ आई आर की जानकारी चाही तो उन्हें कोई जानकारी नहीं उपलब्ध कराई गई। इस पर सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने बताया कि यह गलत है और जांच के नाम पर अधिकारी जानकारी नहीं छुपा सकते। पुलिस विभाग में काफी डिसिप्लिन होता है इसलिए मामले की शिकायत उच्चाधिकारियों को की जानी चाहिए जिस पर कार्यवाही होती है। इसलिए सिद्धांत को शिकायत करनी चाहिए और कार्यवाही करनी चाहिए। इस विषय पर भास्कर प्रभु ने कहा कि कभी भी कोई भी अधिकारी कॉल करें तो उसकी रिकॉर्डिंग कर लेना चाहिए। लेकिन ऐसे अधिकारी कई बार व्हाट्सएप में कॉल करते हैं। 

🔸 महात्मा गांधी के सत्याग्रह की तरह है आरटीआई आंदोलन – भास्कर प्रभु

 भास्कर प्रभु ने बताया कि आज महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन का 91 वर्ष पूरा हुआ। आज ही के दिन महात्मा गांधी का नमक आंदोलन प्रारंभ हुआ था। जिस प्रकार गांधी ने अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई ली ठीक वैसे ही आरटीआई कानून को भी सत्याग्रह की तरह ही लेना चाहिए और इसे आंदोलन बनाकर काम करने की आवश्यकता है। सभी आरटीआई कार्यकर्ता आरटीआई कानून को एक आंदोलन की तरह लेकर जन जन के बीच पहुंचकर ज्योति प्रज्वलित करें और जिस प्रकार महात्मा गांधी ने सत्याग्रह का आंदोलन कर अंग्रेजों को नाकों चने चबाये थे ठीक वैसे ही समाज और देश में पारदर्शिता लाने में आरटीआई एक्टिविस्ट सत्याग्रह की तरह काम करें।

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