अहमदाबाद,इंसान अपनों को खोकर आधा सा रह जाता है। और जब कोई मां अपनी संतान को खो दे, तब वो शायद आधी भी नहीं पाती। बाकी जिंदगी मानो जिंदा लाश की तरह ही काट पाती है। अहमदाबाद की एक मां का भी यही हाल है। पूनम सोलंकी को छह महीने बाद भी शहर के सिविल अस्पताल के कैंपस में फोन मिलाते पाया गया। वो कोविड वार्ड में पड़े बेटे को बाहर से वीडियो कॉल कर रही हैं। लेकिन, उनके बेटे महेंद्र की मृत्यु तो पिछले साल 24 सितंबर को ही हो गई। फिर वो वीडियो कॉल पर बात कैसे कर सकती हैं? दरअसल, वो बात नहीं कर रही हैं। उनकी महेंद्र से हुई आखिरी बातचीत का वीडियो रिकॉर्डिंग उनके मोबाइल फोन में है और वो इसे प्ले करके समझती हैं कि बेटे से बातचीत हो रही है। यह सिलसिला छह महीने से जारी है।
वीडियो कॉल पर मृत बेटे से बात करती हैं पूनम
रिश्तेदार बताते हैं कि पूनम को भी पता है कि उनका बेटा अब अस्पताल के अंदर क्या दुनिया में ही नहीं है। फिर भी वो उसी जगह पर खड़े होकर वीडियो प्ले करने में शुकून महसूस करती हैं जहां से उन्होंने आखिरी बार वीडियो कॉल के जरिए बेटे महेंद्र से बातचीत की थी। रिश्तेदार ने कहा, महेंद्र नरोल में एक मिल्क पार्लर चलाते थे। वो यहां कोविड के कारण हुई मौत से 5-6 दिन पहले यहां भर्ती हुए थे। मां उनसे बहुत प्यार करती है। मां को पता है कि उनका बेटा अब नहीं रहा लेकिन वो ज्यादा दिनों तक खुद को यह समझा नहीं पातीं। दुखी होती हैं तो कहने लगती हैं कि महेंद्र अस्पताल में भर्ती है और फिर वो यहां आकर उसे फोन लगाने की कोशिश में जुट जाती हैं। उन्होंने कहा, ज्यादातर दिन वो ठीक-ठीक रहती हैं। वो यहां आकर शुकून महसूस करती हैं। हम जानते हैं कि यह सब भ्रम है, लेकिन उन्हें दुख से उबारने का इससे बेहतर तरीका हमारे पास नहीं है।