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अंतिम संस्कार के लिए लंबी लाइनें; बॉम्बे हाई कोर्ट ने मांगा सरकार से जवाब

बॉम्बे हाई कोर्ट

मुंबई। मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि कोविड-19 से जान गंवाने वालों के शव घंटों तक नहीं रखे जा सकते और इसके साथ ही कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और मुंबई मनपा से राज्य तथा मुंबई में श्मशानों की स्थिति के बारे में अदालत को अवगत कराने का निर्देश दिया. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी.एस.कुलकर्णी की पीठ ने कहा कि कई श्मशानों में शव के अंतिम संस्कार के लिए काफी इंतजार करना पड़ता है और पीड़ितों के रिश्तेदारों को श्मशान के बाहर कतार में लगे रहना पड़ता है.

अदालत ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र सरकार और अन्य नगर निकायों को इस मुद्दे के समाधान के लिए कुछ ठोस व्यवस्था तैयार करनी चाहिए. घंटों तक शव नहीं रखे जा सकते.’’ अदालत ने कहा कि अगर श्मशान में कतार लगी हुई है तो अस्पतालों से शव नहीं छोड़े जाने चाहिए. न्यायमूर्ति कुलकर्णी ने महाराष्ट्र के बीड जिले की एक घटना का हवाला दिया जहां कोविड-19 संक्रमण के शिकार 22 लोगों के शव को एक ही एंबुलेंस से श्मशान में पहुंचाया गया. अदालत कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी, ऑक्सीजन की आपूर्ति, बेड की किल्लत और अन्य मुद्दों के संबंध में निर्देश देने का अनुरोध किया गया.

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