आरटीआईटीम,पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी और सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने संयुक्त तौर पर दिनांक 4 अगस्त 2021 को मुख्य न्यायाधीश मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के नाम पर एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने शिवानंद द्विवेदी के ट्विटर वाल पर पोस्ट का हवाला देते हुए कहा है कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के एक माननीय जज के द्वारा स्पष्ट तौर पर सुनवाई के दौरान वीडियो क्लिप में कहा जा रहा है कि अधिकतर आरटीआई एक्टिविस्ट ब्लैकमेलर होते हैं। उन्होंने कहा की इसका कोई बौद्धिक और तर्कसंगत आधार नहीं है और यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण वक्तव्य है जो की एक जिम्मेदार जज के द्वारा कहा गया है। उन्होंने आगे लिखा की आम नागरिक के अनुच्छेद 19(1)(ए) का यह सीधा-सीधा उल्लंघन और दमन है।
पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी
श्री गांधी ने आगे लिखा की सूचना के अधिकार का उपयोग करते समय एक भारतीय नागरिक लोकतंत्र के उस वादे को साकार कर रहा है कि वह आम नागरिक सरकार का मालिक हैं। अधिकांश नागरिकों को उनके मौलिक अधिकार का उपयोग करने के लिए इस प्रकार वरिष्ठ जज द्वारा निंदा करने से उनके मौलिक अधिकार का हनन होगा। न्यायपालिका लगातार नागरिक के मौलिक अधिकार के दायरे का विस्तार कर रही है और न्यायाधीश द्वारा दिए गए बयान को आरटीआई के उपयोग को रोकने और निंदा करने के लिए कई जगहों पर उद्धृत किया जाएगा और इसका आधार बनाकर अपमान किया जाएगा और आर टी आई कानून और इसके उपयोगकर्ता को कमजोर किया जाएगा। उन्होंने कहा की ऐसे बयान का समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं है और अगर कोई व्यक्ति ब्लैकमेल का सहारा ले रहा है तो उसे कानून द्वारा दंडित किया जाना चाहिए। बोलते या प्रकाशित करते समय आरोप लगाए जा सकते हैं जो मानहानिकारक हो सकते हैं।
हाईकोर्ट जज ने आरटीआई एक्टिविस्टों को ब्लेकमेलर कहा
आरटीआई का उपयोग कर नागरिक केवल वही जानकारी प्राप्त कर सकता है जो सरकारी रिकॉर्ड में है। अगर यह कुछ गलत करते हुए दिखता है तो इसे उजागर किया जाना चाहिए। अच्छा होगा यदि अदालतें आरटीआई अधिनियम की धारा 4 द्वारा अपेक्षित अधिकांश सूचनाओं को स्वप्रेरणा से घोषित नहीं करने के लिए सार्वजनिक प्राधिकरण को फटकार लगाती रहें। लोक प्राधिकारीयों को धारा 1.4.1 के तहत डीओपीटी के कार्यालय ज्ञापन संख्या 1/6/2011-आईआर जिसमें कहा गया है सभी सार्वजनिक प्राधिकरण मुख्य शब्दों के आधार पर सर्च फैसिलिटी के साथ सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा बनाए गए वेबपोर्टल पर आरटीआई आवेदन और प्राप् अपीलों और उनके जवाबों को एक्टिव तौर पर प्रकट करेंगे। श्री गाँधी ने कहा की पारदर्शी होने के इच्छुक हैं तो ब्लैक मेलिंग की कोई संभावना नहीं होगी। उन्होंने कहा की वह जज महोदय से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध करते हैं कि न्यायपालिका नागरिकों के मौलिक अधिकारों का प्रहरी के रूप में समर्थन करती है।
ट्विटर पर इन इन लोगों ने किया कमेंट
पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त द्वारा ट्विटर पर मुख्य न्यायाधीश मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को साझा किए गए इस पत्र पर कमेंट करने वाले लोगों में पंकज मालवीय ने कहा कि वास्तव में देखा जाए तो ब्लैकमेलर वह लोग हैं जो जनता की जानकारी को दबाए रखे हुए हैं। वही एक अन्य ट्विटर उपयोगकर्ता बीएस रंगा राव ने कहा कि हम शैलेश गांधी से 100 प्रतिशत सहमत हैं। रंगा राव ने कहा कि आखिर ब्लैकमेलर को जानकारी क्यों दे रहे हैं ऐसा क्यों नहीं करते कि ऐसे ब्लैकमेलर को सलाखों के पीछे पहुंचाया जाए और उन्हें एक्स्पोज किया जाए। आगे कहा की कानून में गैरकानूनी लोगों के विरुद्ध कार्यवाही करने के पर्याप्त सेफगार्ड उपलब्ध हैं और यह कहने से नहीं हो जाता कि आरटीआई उपयोगकर्ता ब्लैकमेलर है। वही अमित शर्मा ने कहा कि वास्तव में जो स्वयं ब्लैकमेल कर रहे हैं वही ब्लैकमेलर की बात कर रहे हैं सभी अधिकारी कर्मचारी ब्लैक मेलिंग के ही सिद्धांत पर काम कर रहे। एक अन्य उपयोगकर्ता अशोक ओझा ने कहा कि शासकीय कर्मचारियों को आरटीआई आवेदनकर्ता को परेशान नहीं करना चाहिए।
🔹 ट्विटर पर पत्र साझा करने के साथ बढ़ी प्रतिक्रियाएं
जैसे ही पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने 5 अगस्त 2021 को सुबह लगभग 10:54 पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भेजा गया पत्र ट्विटर पर साझा किया वैसे ही प्रतिक्रियाओं का दौर चालू हो गया।