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पीएमके नेता चाहते हैं कि तमिलनाडु की पाठ्यपुस्तकों में जाति के उपनाम जारी रहें

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पीएमके नेता रामदास- उन्होंने कहा कि जाति को खत्म करने के सरकार के कदम का स्वागत है, लेकिन विद्वानों की पहचान मिट जाएगी।

पीएमके नेता रामदास- उन्होंने कहा कि जाति को खत्म करने के सरकार के कदम का स्वागत है, लेकिन विद्वानों की पहचान मिट जाएगी।

पीएमके नेता उन खबरों पर प्रतिक्रिया दे रहे थे कि तमिलनाडु राज्य पाठ्यपुस्तक निगम ने यू.वी. स्वामीनाथन अय्यर ने उन्हें यू.वी. स्वामीनाथन।

  • आईएएनएस
  • आखरी अपडेट:अगस्त 06, 2021, 08:06 IST
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पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) के संस्थापक एस. रामदास ने गुरुवार को कहा कि तमिलनाडु में स्कूली पाठ्यपुस्तकों से प्राप्तकर्ताओं के जाति नाम हटाने का कोई मतलब नहीं है, और राज्य सरकार से प्रख्यात विद्वानों के जाति नामों का उल्लेख करने की अनुमति देने का आह्वान किया। तमिल पाठ्यपुस्तकों में।

पीएमके नेता उन खबरों पर प्रतिक्रिया दे रहे थे कि तमिलनाडु राज्य पाठ्यपुस्तक निगम ने यू.वी. स्वामीनाथन अय्यर ने उन्हें यू.वी. स्वामीनाथन, बारहवीं कक्षा के छात्रों के लिए तमिल पाठ्य पुस्तकों में।

रामदास ने एक बयान में कहा कि जाति को खत्म करने के सरकार के कदम का स्वागत है, लेकिन विद्वानों की पहचान मिट जाएगी।

पीएमके नेता, जो सबसे पिछड़ी जाति (एमबीसी) वर्ग के भीतर अपने समुदाय वन्नियार के लिए 10.5 प्रतिशत आरक्षण की मांग का नेतृत्व कर रहे हैं, ने एक बयान में कहा कि लोगों में समानता पैदा करके ही जाति व्यवस्था को समाप्त किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों में और नौकरियों के लिए आरक्षण केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लोगों के बीच समानता सुनिश्चित करने के लिए किए गए उपाय हैं।

रामदास ने कहा कि जाति के उपनाम छोड़ना इस मुद्दे की समझ की कमी को दर्शाता है। पीएमके नेता ने कहा, “आम लोगों के जाति उपनाम छोड़ने में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन प्राप्तकर्ताओं के जाति उपनामों को छूट दी जानी चाहिए क्योंकि उनकी पहचान मिटाने की संभावना है।”

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