नई दिल्ली (एजन्सी)। लाहौर में महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा को तोड़े जाने के बाद भारत ने आज पाकिस्तान की खिंचाई करते हुए कहा कि इस्लामाबाद ऐसे हमलों को रोकने के अपने कर्तव्य में पूरी तरह विफल रहा है जो अल्पसंख्यक समुदायों के बीच “भय का माहौल” पैदा कर रहे हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं, जिनमें उनके पूजा स्थलों, उनकी सांस्कृतिक विरासत और साथ ही उनकी निजी संपत्ति पर हमले शामिल हैं, पाकिस्तान में “खतरनाक दर” से बढ़ रही हैं।
उन्होंने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा, “हमने आज लाहौर में महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा को तोड़े जाने के बारे में मीडिया में परेशान करने वाली खबरें देखी हैं। यह तीसरी ऐसी घटना है।”
उन्होंने कहा, “पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों की सांस्कृतिक विरासत पर इस तरह के हमले पाकिस्तानी समाज में बढ़ती असहिष्णुता और अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति सम्मान की कमी को उजागर करते हैं।”
ज्ञात रहे कि पाकिस्तान में लाहौर के किले में स्थित महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति को एक धार्मिक कट्टरपंथी ने तोड़ डाला। बताया जा रहा है कि इस इस घटना को अंजाम देने वाला शख्स प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान से जुड़ा हुआ है।
पाकिस्तान के सूचना और प्रसारण मंत्री चौधरी फवाद हुसैन ने मूर्ति को तोड़ते कट्टरपंथी के एक वीडियो को रिट्वीट करते हुए अपनी भड़ास निकाली है। उन्होंने लिखा कि शर्मनाक, अनपढ़ों का यह झुंड दुनिया में पाकिस्तान की छवि के लिए वाकई खतरनाक है।
बताया जा रहा है कि मशहूर लाहौर किले में स्थापित महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति पर यह तीसरा हमला था। इससे पहले यह मूर्ति दो बार कट्टरपंथियों के हमले का शिकार हो चुकी है। इन कट्टरपंथियों की दलील है कि इस्लाम में बुत की पूजा हराम है। ऐसे में किसी सिख या हिंदू धर्म के महापुरुष की प्रतिमा को एक इस्लामी देश में कैसे स्थापित किया जा सकता है।
सामने आए सोशल मीडिया वीडियोज में दिखाया गया है कि संदिग्ध हमलावर ने हाथ से ही मूर्ति पर हमला किया और इसके पैर और दूसरे हिस्से तोड़ दिए। हालांकि, जब तक वह ज्यादा नुकसान पहुंचाता, दूसरे लोग आ गए और उसे रोक दिया गया। हमलावर ने रणजीत सिंह के खिलाफ नारे भी लगाए। कांस्य से बनी इस 9 फीट की मूर्ति में रणजीत सिंह घोड़े पर बैठे हैं और उनके हाथ में तलवार है। वह सिखों के परिधान में बैठे दिखते हैं। इस मूर्ति को जून 2019 में लगाया गया था।
इससे पहले पिछले साल दिसंबर में भी एक शख्स ने मूर्ति पर हमला किया था। उसने मूर्ति का हाथ तोड़ दिया था। वह और नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा था। उसे भी लोगों ने पकड़ लिया था। इसके अलावा एक बार और भीड़ ने मूर्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी।