अपने कुछ विश्वासपात्र सेवादारों और सुरक्षा में तैनात एक अंगरक्षक के खिलाफ महंत की कथित मेहरबानी को भी घटना से जोड़कर देखा जा रहा है।
नरेंद्र गिरि (फाइल फोटो) – फोटो : अमर उजाला
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अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और बाघंबरी गद्दी के महंत नरेंद्र गिरि करीबी सेवादारों के अलावा एक अंगरक्षक के नाम जमीन और मकान खरीदवाने के मामले को लेकर भी सुर्खियों में रहे हैं। मठ और अखाड़े से निष्कासन के बाद उनके शिष्य आनंद गिरि ने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर उन पर ऐसे कई गंभीर आरोप लगाए थे और जांच के लिए आवाज उठाई थी।
मठ में फंदे से लटके मिले महंत नरेंद्र गिरि पर उनके शिष्य आनंद गिरि पांच महीने पहले कई गंभीर आरोप लगा चुके हैं। इसमें सेवादारों के नाम पर जमीन और मकान खरीदने की शिकायतें शामिल हैं। सीएम को तब उन्होंन जो पत्र भेजा था, उसमें सिपाही अजय सिंह के नाम का उल्लेख चर्चा में रहा है। इसमें सिपाही के नाम पर कहीं बेनामी संपत्ति खरीदने की भी शिकायत का जिक्र किया गया था।
इसके अलावा विपिन सिंह नामक ड्राइवर को बड़ा मकान बनाकर दिलवाने, रामकृष्ण पांडेय नामक विद्यार्थी को बड़ा मकान और बड़े हनुमान मंदिर में दुकान दिलवाने के अलावा विवेक मिश्रा नामक विद्यार्थी के नाम जमीन खरीदने के साथ ही उसका मकान बनवाने, मठ में रहने वाले विद्यार्थी मनीष शुक्ला को करोड़ों रुपये का मकान बनवाकर देने, आनंद गिरि के नाम की फार्च्यूनर गाड़ी भी उसके नाम करवाने के आरोप रहे हैं।
इसके अलावा मठ में रह रहे अभिषेक मिश्रा और मिथिलेश पांडेय को भी मकान बनवाकर देने का मामला भी विवाद का हिस्सा रहे है। इसके अलावा आनंद गिरि ने आदित्य नाथ मिश्रा नामक व्यक्ति से महंत के विवाद को लेकर भी शिकायत की थी।
आत्महत्या या हत्या: कई सवालों का जवाब मिलना बाकी 1- पुलिस के मुताबिक मामला खुदकुशी का लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर महंत ने जान देने जैसा कदम क्यों उठाया? 2- पुलिस की थ्योरी सच मानी जाए तो आत्महत्या जैसा कदम उठाने से पहले क्या उनकी मनोदशा ऐसी थी कि इतना लंबा चौड़ा सुसाइड नोट लिख सकें। 3- मौके से मिले सुसाइड नोट में आनंद गिरि का भी नाम लिखा है तो क्या आनंद गिरि उन्हें किसी बात को लेकर परेशान कर रहे थे? 4- महंत की मौत के बाद शिष्यों ने आखिर पुलिस के आने से पहले ही दरवाजा क्यों तोड़ा? इतना ही नहीं उनका शव भी फंदे से नीचे उतार लिया? 5- सूचना पर आला पुलिस अफसरों ने आखिर इस बात के लिए निर्देशित क्यों नहीं किया कि फोरेंसिक टीम के मौके पर पहुंचने से पहले शव को न छुआ जाए?
कब क्या हुआ
11 बजे: अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेंद्र गिरि अल्लापुर स्थित बाघंबरी मठ पहुंचे 11.30 बजे: अन्य पदाधिकारियों व शिष्यों संग भोजन किया 12 बजे: आराम करने की बात कहते हुए गेस्ट हाउस वाले कमरे में चले गए 4.30 बजे: महंत के बाहर न आने पर सेवादार बबलू व सुमित उन्हें बुलाने पहुंचे 5 बजे: दोनों सेवादार दरवाजा तोड़कर भीतर घुसे और तब घटना की जानकारी हुई 5.10: शव फंदे से नीचे उतारा गया 5.20: सूचना आईजी रेंज केपी सिंह को दी गई 5.40: आईजी, डीआईजी समेत तमाम अफसर मौके पर पहुंचे 6 बजे: बाघंबरी गद्दी के बाहर जुटी भीड़
विस्तार
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और बाघंबरी गद्दी के महंत नरेंद्र गिरि करीबी सेवादारों के अलावा एक अंगरक्षक के नाम जमीन और मकान खरीदवाने के मामले को लेकर भी सुर्खियों में रहे हैं। मठ और अखाड़े से निष्कासन के बाद उनके शिष्य आनंद गिरि ने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर उन पर ऐसे कई गंभीर आरोप लगाए थे और जांच के लिए आवाज उठाई थी।
मठ में फंदे से लटके मिले महंत नरेंद्र गिरि पर उनके शिष्य आनंद गिरि पांच महीने पहले कई गंभीर आरोप लगा चुके हैं। इसमें सेवादारों के नाम पर जमीन और मकान खरीदने की शिकायतें शामिल हैं। सीएम को तब उन्होंन जो पत्र भेजा था, उसमें सिपाही अजय सिंह के नाम का उल्लेख चर्चा में रहा है। इसमें सिपाही के नाम पर कहीं बेनामी संपत्ति खरीदने की भी शिकायत का जिक्र किया गया था।
इसके अलावा विपिन सिंह नामक ड्राइवर को बड़ा मकान बनाकर दिलवाने, रामकृष्ण पांडेय नामक विद्यार्थी को बड़ा मकान और बड़े हनुमान मंदिर में दुकान दिलवाने के अलावा विवेक मिश्रा नामक विद्यार्थी के नाम जमीन खरीदने के साथ ही उसका मकान बनवाने, मठ में रहने वाले विद्यार्थी मनीष शुक्ला को करोड़ों रुपये का मकान बनवाकर देने, आनंद गिरि के नाम की फार्च्यूनर गाड़ी भी उसके नाम करवाने के आरोप रहे हैं।
इसके अलावा मठ में रह रहे अभिषेक मिश्रा और मिथिलेश पांडेय को भी मकान बनवाकर देने का मामला भी विवाद का हिस्सा रहे है। इसके अलावा आनंद गिरि ने आदित्य नाथ मिश्रा नामक व्यक्ति से महंत के विवाद को लेकर भी शिकायत की थी।
आत्महत्या या हत्या: कई सवालों का जवाब मिलना बाकी 1- पुलिस के मुताबिक मामला खुदकुशी का लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर महंत ने जान देने जैसा कदम क्यों उठाया? 2- पुलिस की थ्योरी सच मानी जाए तो आत्महत्या जैसा कदम उठाने से पहले क्या उनकी मनोदशा ऐसी थी कि इतना लंबा चौड़ा सुसाइड नोट लिख सकें। 3- मौके से मिले सुसाइड नोट में आनंद गिरि का भी नाम लिखा है तो क्या आनंद गिरि उन्हें किसी बात को लेकर परेशान कर रहे थे? 4- महंत की मौत के बाद शिष्यों ने आखिर पुलिस के आने से पहले ही दरवाजा क्यों तोड़ा? इतना ही नहीं उनका शव भी फंदे से नीचे उतार लिया? 5- सूचना पर आला पुलिस अफसरों ने आखिर इस बात के लिए निर्देशित क्यों नहीं किया कि फोरेंसिक टीम के मौके पर पहुंचने से पहले शव को न छुआ जाए?
कब क्या हुआ
11 बजे: अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेंद्र गिरि अल्लापुर स्थित बाघंबरी मठ पहुंचे 11.30 बजे: अन्य पदाधिकारियों व शिष्यों संग भोजन किया 12 बजे: आराम करने की बात कहते हुए गेस्ट हाउस वाले कमरे में चले गए 4.30 बजे: महंत के बाहर न आने पर सेवादार बबलू व सुमित उन्हें बुलाने पहुंचे 5 बजे: दोनों सेवादार दरवाजा तोड़कर भीतर घुसे और तब घटना की जानकारी हुई 5.10: शव फंदे से नीचे उतारा गया 5.20: सूचना आईजी रेंज केपी सिंह को दी गई 5.40: आईजी, डीआईजी समेत तमाम अफसर मौके पर पहुंचे 6 बजे: बाघंबरी गद्दी के बाहर जुटी भीड़