Home राज्य मध्यप्रदेश मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार राज्य सूचना आयुक्त की बड़ी कार्यवाही

मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार राज्य सूचना आयुक्त की बड़ी कार्यवाही

0
मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार राज्य सूचना आयुक्त की बड़ी कार्यवाही

बुरहानपुर के तत्कालीन CMHO के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी, हेल्थ कमिश्नर को नोटिस; दो साल से आयोग की अनदेखी भारी पड़ी

मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार राज्य सूचना आयुक्त की बड़ी कार्यवाही

राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने गिरफ्तारी वारंट किया जारी

बुरहानपुर सीएमएचओ के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी

पांच हज़ार रुपए का ज़मानती गिरफ्तारी वारंट किया जारी

इंदौर डीआईजी को वारंट तामीली के दिए आदेश

हेल्थ कमिश्नर आकाश त्रिपाठी को भी शोकाज नोटिस जारी

आयोग के आदेश की अवहेलना का मामला

पिछले 2 साल से आदेश की हो रही थी अवहेलना

मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने बुरहानपुर के सीएमएचओ डॉ विक्रम सिंह को आयोग के समक्ष हाजिर करने के लिए अरेस्ट वारंट जारी कर दिया है। वही इस प्रकरण में आकाश त्रिपाठी कमिश्नर स्वास्थ्य संचनालय मध्यप्रदेश द्वारा पिछले दो साल से आयोग के आदेश की अनदेखी करने पर उनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई  के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। साथ में अयोग ने त्रिपाठी की व्यक्तिगत सुनवाई के लिए समन भी जारी किया है।

इस RTI अपील प्रकरण में  पहले सुनवाई के समय आदेश की लगातार अनदेखी की गई और बाद में आयोग ने जब दोषी अधिकारी के ऊपर ₹25000 के जुर्माने की कार्रवाई कर दी तो जुर्माना वसूलने के आयोग के आदेश पर जिम्मेदार अधिकारी आँख मुंदे पड़े रहे। आयोग ने सिविल प्रक्रिया संहिता 1980 के तहत प्रकरण में जांच दर्ज कर समन और बेलेबल अरेस्ट वारंट जारी करने के आदेश दिए है।

इस प्रकरण में अपीलकर्ता दिनेश सदाशिव सोनवाने ने RTI  आवेदन दिनांक 10/08/2017 को सीएमएचओ बुरहानपुर डॉक्टर विक्रम सिंह के समक्ष लगाया था।

RTI आवेदन में बुरहानपुर जिले के स्वास्थ्य विभाग में वाहन चालकों की नियुक्ति और पदस्थापना संबंधित जानकारी मांगी थी।

लेकिन डॉ विक्रम सिंह ने कानून का उल्लंघन करते हुए कोई भी जवाब 30 दिन में नहीं दिया इसके बाद आवेदक ने प्रथम अपील दायर की तो प्रथम अपीलीय अधिकारी संयुक्त संचालक स्वास्थ्य इंदौर में इसमें जानकारी देने के आदेश दिनाक 7/10/2017 को जारी कर दिए।

लगातार होता रहा आयोग के सनवाई समन का उल्लंघन

आयोग ने डॉक्टर विक्रम सिंह को आयोग के समक्ष अपना जवाब पेश करने के लिए लगातार समन जारी किए। पहला समन 18/10/2019 को हुआ दूसरा 29/11/2019 को हुआ, तीसरा 27/12 /2020 को, चौथा 21/9/2020 को, पांचवा 2/11/2020 छठवां 16/12/2020 और सातवा समन 10/2/2021  को जारी  हुआ। पर इन सभी समनो के बावजूद डॉ विक्रम सिंह आयोग के समक्ष हाजिर नहीं हुए। आयोग ने इन समनो मे डॉ विक्रम सिंह की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य संचालनालय के कमिश्नर को भी निर्देशित किया था। लेकिन अधिनियम को लेकर के लापरवाह स्वास्थ्य विभाग में इस पर भी ध्यान नहीं दिया। आयोग ने 16/12/2020 को इस प्रकरण में ₹25000 का जुर्माना डॉक्टर सिंह के ऊपर लगा दिया और साथ ही कमिश्नर स्वास्थ संचनालय को 1 महीने में पेनल्टी की राशि जमा ना होने पर  डॉक्टर सिंह की वेतन से काटकर आयोग में जमा करने के लिए निर्देशित किया गया।

नीचे के अधिकारी करते रहे उल्लंघन और ऊपर के अधिकारी साधे रहे चुप्पी

आयोग ने 16/12/2020 के बाद दोबारा कमिश्नर स्वास्थ संचनालय मध्य प्रदेश को  दिनांक 7/04/2021, 7/6/2021 और 27/8/2021 को जुर्माने की राशि अधिकारी की सैलरी से काट कर आयोग में जमा करने के लिए आदेशित किया।

पिछ्ले 2 साल से लगातार इन सब कार्रवाईयो के बावजूद आयोग दोषी सीएमएचओ को अपने समक्ष हाजिर करवाने और उसके बाद जुर्माने की राशि वसूलने  में विफल साबित रहा। राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अपने आदेश में कहा कि  सीएमएचओ द्वारा जानबूझकर कर आयोग के आदेश की अवहेलना की गई। सिंह ने यह भी कहा कि आयोग के आदेश के बावजूद कमिश्नर द्वारा इसमें कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं करने से कमिश्नर की नियत कार्रवाई नहीं करने की साफ झलकती है और यह मध्य प्रदेश आरटीआइ फीस अपील नियम  8 (6) (3),  2005 का उल्लंघन है।

आयुक्त राहुल सिंह की तल्ख टिप्पणी

राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने सीएमएचओ को कमिश्नर हेल्थ पर  तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि दोनों अधिकारियों का व्यवहार संसद द्वारा स्थापित पारदर्शी और जवाबदेह सुशासन सुनिश्चित करने वाले RTI कानून का मखौल उड़ाने वाला है। सिंह ने साथ में आदेश में यह भी लिखा कि  RTI Act,  संविधान के अनुच्छेद 19 (1) का भाग होने से हर भारतीय का मूल अधिकार है। पर इन अधिकारियों को आम जनता के मूल अधिकार और कायदे कानून की भी परवाह नहीं है।

सिंह ने इन दोनों अधिकारियों की कार्रवाई को आयोग के अपीलीय प्रक्रिया में बाधा पहुंचाने वाला बताया है। राज्य सूचना आयुक्त ने अपने आदेश में कहा कि आयोग इस तरह के आरटीआई एक्ट के  लगातार खुलेआम उल्लंघन को मूकदर्शक बनकर नहीं देख सकता है। अगर इस तरह के उल्लंघन को मान्य कर दिया जाए तो आरटीआई कानून मजाक बनकर रह जाएगा।

अधिनियम के अंतर्गत क्या है नियम

राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह के मुताबिक आरटीआई एक्ट की धारा 7 (1) के तहत अगर 30 दिन के अंदर जानकारी नहीं मिलती है तो धारा 20 के तहत ₹250 प्रतिदिन के हिसाब से अधिकतम ₹25000 तक का जुर्माना लगाया जाता है। दोषी अधिकारी को 1 महीने का समय जुर्माने की राशि आयोग में जमा करने के लिए दिया जाता है। इसके बाद मध्यप्रदेश फ़ीस अपील नियम 2005 में  नियम 8 (6) (3) के तहत आयोग दोषी अधिकारी के कंट्रोलिंग अधिकारी को जुर्माने की राशि को वसूलने और साथ में दोषी अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई के लिए रिपोर्ट करता है। नियम के अनुसार आयोग का आदेश संबंधित कंट्रोलिंग अधिकारी पर बंधनकारी होता है। सिंह ने बताया कि नियम के मुताबिक आयोग जुर्माने की राशि को वसूलने के लिए सिविल कोर्ट की शक्तियों का उपयोग करता है।

आयोग द्वारा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का गिरफ्तारी वारंट जारी

राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने गिरफ्तारी वारंट जारी करते हुए डीआईजी इंदौर डिवीजन को  निर्देशित किया है कि आयोग के वारंट की तामील करा कर दोषी अधिकारी डॉ विक्रम सिंह को गिरफ्तार कर आयोग के समक्ष दिनाक 11/10/2021 को दोपहर 12 बजे  हाजिर करें। आयोग ने इस वारंट में कहा है कि अगर डॉक्टर विक्रम सिंह ₹5000 की जमानत देकर अपने आप को आयोग के समक्ष 11 अक्टूबर की पेशी में हाजिर होने कर लिए तैयार है  तो उनसे जमानत की राशि ₹5000 लेकर उन्हे आयोग के समक्ष हाजिर  होने के लिए रिहा कर दिया जाए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here