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नरेंद्र गिरि मौत मामला : आरोपी आनंद गिरि के चेहरे पर पश्चाताप के भाव नहीं, सिर्फ एक ही बात दोहराई- मैं निर्दोष

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सार

उसके हावभाव और अंदाज में नहीं दिखा कोई बदलाव, पूछताछ के दौरान कोई ग्लानि नहीं, शून्य भाव से देता रहा जवाब।

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महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हाल में मौत के मामले में जेल भेजे जाने से पहले आनंद गिरि से करीब 27 घंटे तक पूछताछ चलती रही। इस दौरान उसके चेहरे पर किसी तरह के पश्चाताप के भाव नहीं दिखे। पुलिस के ज्यादातर सवालों पर वह सिर्फ एक ही जवाब देता रहा कि वह निर्दोष है। इस दौरान उसके चेहरे पर ग्लानि या गुरु की मौत पर किसी तरह के दुख के भाव भी नहीं दिखे। वह शून्य भाव से जवाब देता रहा।

महंत की मौत के बाद आनंद गिरि को सोमवार रात ही हरिद्वार से गिरफ्तार कर लिया गया था। मंगलवार दोपहर 12 बजे के करीब उसे शहर लाकर पुलिस लाइन ले जाया गया, जहां उससे पूछताछ शुरू हुई। आला अफसरों ने एक-एक कर उससे पूछताछ की।

एक दिन पहले गठित एसआईटी के सदस्यों भी उससे सवाल किए। सूत्रों का कहना है कि इस दौरान उसके चेहरे पर पश्चाताप या ग्लानि का कोई भाव नहीं रहा। वह हर सवाल का शून्य भाव से जवाब देता रहा। ज्यादातर सवालों के जवाब पर उसका यही कहना था कि वह निर्दोष है और उसे फंसाया गया।

उच्चस्तरीय जांच करा लीजिए, सच्चाई आ जाएगी सामने
सूत्रों का कहना है कि पूछताछ के दौरान फिर आनंद ने मामले की उच्चस्तरीय जांच की बात कही। वह बार-बार खुद को निर्दोष और फंसाए जाने की बात कह रहा था। एक अफसर ने जब उससे पूछा कि उसे फंसाने की साजिश कौन रच सकता है, तो उसने जवाब दिया कि मामले की उच्चस्तरीय जांच करा ली जाए, सच्चाई सामने आ जाएगी।

खाना खाने से किया इंकार, सिर्फ पानी पीया
सूत्रों का यह भी कहना है कि पूछताछ के दौरान आनंद गिरि ने खाना खाने से इंकार कर दिया। जब उसे खाना दिया गया तो उसने इसे खाने से इंकार कर दिया। इस दौरान वह केवल पानी पीकर रहा। उसने न ही मंगलवार को कुछ खाया और न ही सोमवार खाना खाया था। सूत्रों का यह भी कहना है कि खाने को लेकर उसने किसी अन्य चीज की डिमांड भी नहीं की।

‘गुरुजी का अंतिम दर्शन करा दीजिए’
एक खास बात यह रही कि आनंद गिरि ने पूछताछ के दौरान अफसरों से महंत नरेंद्र गिरि के अंतिम दर्शन की भी इच्छा जताई। हालांकि पुलिस अफसरों ने उसे इसकी अनुमति नहीं दी। उसने कहा कि उस एक बार गुरु के अंतिम दर्शन करा दिए जाएं।

बता दें कि  आनंद गिरि के अधिवक्ता विजय द्विवेदी ने भी एक दिन पहले यह मांग उठाई थी। उन्होंने कहा था कि उनके मुवक्किल अभी सिर्फ मामले में आरोपी हैं और जब तक कोर्ट फैसला न करे, किसी को दोषी कहना सही नहीं है। ऐसे में उन्हें अपने गुरु के अंतिम दर्शन की अनुमति देनी चाहिए।
फूट-फूटकर रोया आद्या
उधर मामले में गिरफ्तार किया गया एक अन्य आरोपी आद्या तिवारी पूछताछ के दौरान फूट-फूटकर रोया। उसका कहना था कि उसने अपना जीवन भगवान की पूजा अर्चना में अर्पण कर दिया था। महंत के बाबत कहा कि वह उसके लिए भगवान की तरह थे। ऐसे में उनके अहित के बारे में वह सोच भी नहीं सकता। 

विस्तार

महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हाल में मौत के मामले में जेल भेजे जाने से पहले आनंद गिरि से करीब 27 घंटे तक पूछताछ चलती रही। इस दौरान उसके चेहरे पर किसी तरह के पश्चाताप के भाव नहीं दिखे। पुलिस के ज्यादातर सवालों पर वह सिर्फ एक ही जवाब देता रहा कि वह निर्दोष है। इस दौरान उसके चेहरे पर ग्लानि या गुरु की मौत पर किसी तरह के दुख के भाव भी नहीं दिखे। वह शून्य भाव से जवाब देता रहा।

महंत की मौत के बाद आनंद गिरि को सोमवार रात ही हरिद्वार से गिरफ्तार कर लिया गया था। मंगलवार दोपहर 12 बजे के करीब उसे शहर लाकर पुलिस लाइन ले जाया गया, जहां उससे पूछताछ शुरू हुई। आला अफसरों ने एक-एक कर उससे पूछताछ की।

एक दिन पहले गठित एसआईटी के सदस्यों भी उससे सवाल किए। सूत्रों का कहना है कि इस दौरान उसके चेहरे पर पश्चाताप या ग्लानि का कोई भाव नहीं रहा। वह हर सवाल का शून्य भाव से जवाब देता रहा। ज्यादातर सवालों के जवाब पर उसका यही कहना था कि वह निर्दोष है और उसे फंसाया गया।

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