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यूपी में राशन वितरण में बड़ा खेल: सरकार को बेचा लाखों का अनाज और लेते रहे मुफ्त राशन, 874 किसान जांच के घेरे में

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सार

बलिया में सरकारी खरीद केंद्रों पर किसानों ने अपना गेहूं 1975 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचा। इसके बाद कोटेदारों के यहां से फ्री राशन भी उठाते रहे। आधार कार्ड से एक वर्ष में तीन लाख से अधिक का गेहूं और धान बेचने वाले अब तक 874 किसान जांच के घेरे में आ गए हैं। 

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उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में राशन वितरण में बड़ा खेल उजागर हुआ है। एक तरफ किसान अपनी उपज बेचकर मुनाफा कमाते रहे, वहीं यूपी सरकार की तरफ से मिलने वाला मुफ्त राशन भी लेते रहे। बलिया में सरकारी खरीद केंद्रों पर उन्होंने अपना गेहूं 1975 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचा। इसके बाद कोटेदारों के यहां से फ्री राशन भी उठाते रहे। आधार कार्ड से एक वर्ष में तीन लाख से अधिक का गेहूं और धान बेचने वाले अब तक 874 किसान जांच के घेरे में आ गए हैं। जांच के बाद ऐसे किसानों के राशनकार्ड निरस्त किए जाएंगे। विभाग जांच पड़ताल में जुट गया है।

शासन ने माना, बड़ी संख्या में अपात्र ले रहें लाभ
शासन का मानना है कि जिले में बड़ी संख्या में अपात्रों के राशन कार्ड बनाए गए हैं। इस बात को विभागीय अधिकारी भी स्वीकार करते हैं, लेकिन जांचकर अपात्रों के राशन कार्ड निरस्त करने की जहमत नहीं उठाना चाहते। इस बीच खाद्य विपणन विभाग की जांच में यह सामने आया है कि जिले में 874 किसान ऐसे हैं, जो सैकड़ों क्विंटल गेहूं सरकारी खरीद केंद्रों पर बेचते हैं। इसके साथ ही वह जिला आपूर्ति विभाग से राशन कार्ड बनवाकर कोरोना काल में मुफ्त राशन का भी लाभ ले रहे हैं। वास्तव में राशनकार्ड के लिए वही परिवार पात्र होता है, जिसकी शहरी इलाकों की आमदनी प्रतिवर्ष तीन लाख और ग्रामीण इलाकों में दो लाख रुपये वार्षिक से कम है। 

मुख्यालय में जब विपणन विभाग से डाटा लेकर आपूर्ति विभाग में मिलान किया गया तो खुलासा हुआ कि जिले में 792 काश्तकार ऐसे हैं, जो राशनकार्ड बनवाकर सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान से राशन ले रहे हैं। इसके बाद दूसरी सूची में 92 और किसान मिले। इस तरह ऐसे किसानों की कुल संख्या 884 पहुंच गई। हालांकि इसमें 10 किसान गाजीपुर जिले के भी शामिल थे, जिसे विभाग ने गाजीपुर जनपद के संबंधित विभाग को प्रेषित कर दिया। अब बलिया में 874 किसान जांच के घेरे में हैं। 

बलिया के जिला पूर्ति अधिकारी कृष्ण गोपाल पांडेय का कहना है कि 874 किसानों में किसने कितना गेहूं बेचा है, इसका आंकड़ा जुटाया जा रहा है। दरअसल, गेहूं की खरीद करने के लिए पीसीएफ और अन्य इकाइयों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उन किसानों के राशन कार्ड निरस्त होंगे, जिन्होंने राशन लेने के साथ ही गेहूं की बिक्री की है। ऐसे लोगों का डाटा शासन द्वारा विभाग को उपलब्ध कराया गया है, जिसकी आपूर्ति निरीक्षकों द्वारा जांच कराई जा रही। रिपोर्ट मिलते ही कार्रवाई की जाएगी। 

विस्तार

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में राशन वितरण में बड़ा खेल उजागर हुआ है। एक तरफ किसान अपनी उपज बेचकर मुनाफा कमाते रहे, वहीं यूपी सरकार की तरफ से मिलने वाला मुफ्त राशन भी लेते रहे। बलिया में सरकारी खरीद केंद्रों पर उन्होंने अपना गेहूं 1975 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचा। इसके बाद कोटेदारों के यहां से फ्री राशन भी उठाते रहे। आधार कार्ड से एक वर्ष में तीन लाख से अधिक का गेहूं और धान बेचने वाले अब तक 874 किसान जांच के घेरे में आ गए हैं। जांच के बाद ऐसे किसानों के राशनकार्ड निरस्त किए जाएंगे। विभाग जांच पड़ताल में जुट गया है।

शासन ने माना, बड़ी संख्या में अपात्र ले रहें लाभ

शासन का मानना है कि जिले में बड़ी संख्या में अपात्रों के राशन कार्ड बनाए गए हैं। इस बात को विभागीय अधिकारी भी स्वीकार करते हैं, लेकिन जांचकर अपात्रों के राशन कार्ड निरस्त करने की जहमत नहीं उठाना चाहते। इस बीच खाद्य विपणन विभाग की जांच में यह सामने आया है कि जिले में 874 किसान ऐसे हैं, जो सैकड़ों क्विंटल गेहूं सरकारी खरीद केंद्रों पर बेचते हैं। इसके साथ ही वह जिला आपूर्ति विभाग से राशन कार्ड बनवाकर कोरोना काल में मुफ्त राशन का भी लाभ ले रहे हैं। वास्तव में राशनकार्ड के लिए वही परिवार पात्र होता है, जिसकी शहरी इलाकों की आमदनी प्रतिवर्ष तीन लाख और ग्रामीण इलाकों में दो लाख रुपये वार्षिक से कम है। 


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10 किसान गाजीपुर जिले के भी मिले

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