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प्रयागराज : अब महंत आशीष गिरि की मौत का भी खुलेगा राज, आनंद गिरि के अधिवक्ता ने दी दारागंज थाने में तहरीर

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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Mon, 04 Oct 2021 10:52 PM IST

सार

दो साल पहले निरंजनी अखाड़े के सचिव आशीष गिरि की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। इस मामले में अखाड़े की ओर से कोई तहरीर थाने में नहीं दी गई थी। मौत के मामले को दबाने का आरोप भी अखाड़े पर लगा था। 

Prayagraj News : आनंद गिरि
– फोटो : प्रयागराज

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निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत आशीष गिरि की दो साल पहले संदिग्ध हाल में हुई मौत का राज भी अब जल्द ही खुल सकता है। नरेंद्र गिरि की मौत के मामले में गिरफ्तार आनंद गिरि पहले ही इसे हत्या बताकर जांच की मांग कर चुके हैं। और अब उसके अधिवक्ता की ओर से इस मामले में दारागंज थाने में तहरीर दी गई है।

महंत आशीष गिरि की मौत 17 नवंबर 2019 को निरंजनी अखाड़े के दारागंज स्थित आश्रम में हुई थी। वह अपने कमरे में संदिग्ध हाल में मृत पड़े मिले थे। पुलिस ने इसे सुसाइड बताया था लेकिन मौके की स्थितियों को लेकर पुलिस की थ्योरी पर सवाल भी खड़े हो गए थे। तमाम संगठनों के साथ ही आनंद गिरि ने भी इसे हत्या का मामला बताते हुए जांच की मांग की लेकिन पुलिस की ओर से एफआईआर तक नहीं दर्ज की गई।

दारागंज पुलिस से लेकर आला अफसर तक सभी इसे खुदकुशी ही बताते रहे। लीपापोती का आलम यह कि मामले में अब तक मौके से बरामद पिस्टल की फोरेंसिक जांच रिपोर्ट भी नहीं आई। गुरु से विवाद के बाद आनंद गिरि ने आशीष गिरि की हत्या किए जाने का आरोप लगाकर उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी और इसके बाद ही अखाड़े के भीतर संपत्ति को लेकर विवाद की बातें उठने लगीं। नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हाल में मौत के बाद एक बार फिर यह मामला चर्चा में आ गया और अब इसकी जांच को लेकर फिर मांग तेज हो गई है।

क्या लिखा है तहरीर में
आनंद गिरि के अधिवक्ता विजय द्विवेदी की ओर से इस मामले में सोमवार को दारागंज पुलिस को तहरीर दी गई। इसमें लिखा गया है कि 17 नवंबर 2019 को आशीष गिरि की संदिग्ध परिस्थिति में गोली लगने से मौत हो गई थी। घटना में उनकी ओर से स्वयं को अपनी लाइसेंसी पिस्टल से कनपटी पर गोली मारने की बात बताई गई थी। साथ ही मौके से दो कारतूस पुलिस को मिले थे। प्रकरण में पूर्व में जीडी में आत्महत्या की सूचना दर्ज कर शव परीक्षण कराया गया था। ऐसे में प्रकरण में मुकदमा दर्ज कर आवश्यक विधिक कार्रवाई की जाए। अधिवक्ता का कहना है कि पुलिस रिपोर्ट दर्ज नहीं करती है तो वह कोर्ट में भी गुहार लगाएंगे।

मेरे पास कोई तहरीर नहीं आई है। सोशल मीडिया में आई सूचना पर दारागंज पुलिस से भी पूछा गया, लेकिन वहां भी कोई तहरीर नहीं आई। – दिनेश कुमार सिंह, एसपी सिटी

विस्तार

निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत आशीष गिरि की दो साल पहले संदिग्ध हाल में हुई मौत का राज भी अब जल्द ही खुल सकता है। नरेंद्र गिरि की मौत के मामले में गिरफ्तार आनंद गिरि पहले ही इसे हत्या बताकर जांच की मांग कर चुके हैं। और अब उसके अधिवक्ता की ओर से इस मामले में दारागंज थाने में तहरीर दी गई है।

महंत आशीष गिरि की मौत 17 नवंबर 2019 को निरंजनी अखाड़े के दारागंज स्थित आश्रम में हुई थी। वह अपने कमरे में संदिग्ध हाल में मृत पड़े मिले थे। पुलिस ने इसे सुसाइड बताया था लेकिन मौके की स्थितियों को लेकर पुलिस की थ्योरी पर सवाल भी खड़े हो गए थे। तमाम संगठनों के साथ ही आनंद गिरि ने भी इसे हत्या का मामला बताते हुए जांच की मांग की लेकिन पुलिस की ओर से एफआईआर तक नहीं दर्ज की गई।

दारागंज पुलिस से लेकर आला अफसर तक सभी इसे खुदकुशी ही बताते रहे। लीपापोती का आलम यह कि मामले में अब तक मौके से बरामद पिस्टल की फोरेंसिक जांच रिपोर्ट भी नहीं आई। गुरु से विवाद के बाद आनंद गिरि ने आशीष गिरि की हत्या किए जाने का आरोप लगाकर उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी और इसके बाद ही अखाड़े के भीतर संपत्ति को लेकर विवाद की बातें उठने लगीं। नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हाल में मौत के बाद एक बार फिर यह मामला चर्चा में आ गया और अब इसकी जांच को लेकर फिर मांग तेज हो गई है।

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