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विश्व वन्य जीव सप्ताह: गौरैया बचाएं, घोंसला दिखे तो वन विभाग को बताएं, मेरठ में शुरू हुई अनोखी पहल

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सार

मेरठ में विश्व वन्य जीव सप्ताह के दौरान वन विभाग ने की गौरैया बचाने की पहल की है। वन विभाग ने लोगों से गौरैया के ठिकानों घोंसलों की फोटो खींचकर जीपीएस लोकेशन के साथ भेजने की अपील की है। इसका मकसद यह जानना है कि आखिर कैसा माहौल गौरैया का रहने के लिए पसंद आ रहा है।  
 

गौरैया-प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला

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गौरैया को बचाने के लिए मेरठ वन विभाग ने अच्छी पहल की है। लोगों से गोरैया के ठिकानों-घोंसलों की फोटो खींचकर जीपीएस लोकेशन के साथ व्हॉट्सएप पर भेजने की अपील की गई है। इसके जरिये गौरैया के रहवास का पता चलने पर वन विभाग इन स्थानों को चिह्नित करेगा। इन इलाकों में गौरैया को ऐसा क्या भा रहा है, जो उसे दूसरी जगह भी मुहैया कराया जा सके, इसके लेकर शहर की बड़ी आरडब्लूए के पदाधिकारियों के साथ चर्चा की जाएगी। मेरठ में अभी तक सिर्फ चार लोगों ने ही गौरैया के ठिकाने की फोटो भेजी है। अगर आपके घर के आसपास भी ये नन्ही चिड़िया आती है, तो इसकी सूचना वन विभाग को जरूर दें।

गौरैया के बारे में खास 
-गौरैया एक छोटी प्रजाति की चिड़िया है। यह एशिया, अमेरिका, यूरोप आदि देशों में पाई जाती है। 
-इंसान जहां घर बनाते हैं, यह वहीं पहुंच जाती है। इन्हें घरेलू चिड़िया भी कहते हैं। 
-शहरी इलाकों में गौरैया की छह प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें हाउस स्पैरो, स्पेनिश स्पैरो, सिंड स्पैरो, रसैट स्पैरो, डेड सी स्पैरो और ट्री स्पैरो शामिल हैं। 

यह भी पढ़ें: शानदार पहल: अब बायोगैस से चलेंगे वाहन, कचरा, पराली व खोई से बनने वाली बायोगैस खरीदेगा आईओसी

पेड़ कटने से घटती जा रही है संख्या
एक समय था जब गौरैया गांवों-शहरों के हर घर में फुदकती नजर आती थी। गर्मियों में पानी के आसपास चहल कदमी करने वाली वो नन्ही चिड़िया अब कहीं- कहीं ही दिखाई देती है। पेड़ों के काटे जाने और घरों के आसपास का माहौल बदलने के कारण उनकी संख्या लगातार घटती जा रही है। गौरैया को बचाने के लिए पहल नहीं की तो वह दिन दूर नहीं जब गौरैया सिर्फ किताबों-कहानियों में ही याद बनकर रह जाएगी। 

ईमेल और व्हॉट्सएप पर दें सूचना, लोकेशन बताएं
डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि गौरैया के संरक्षण के लिए सबसे पहले उसके रहवास को चिह्नित करना होगा। ऐसे में लोगों से कहा गया है कि अगर कहीं गौरैया का घोंसला है या फिर वो अकसर आती है तो उसका फोटो खींचकर ईमेल आईडी या व्हॉट्सएप पर भेज दें। इसमें वहां का पूरा पता लिखें, अगर जीपीएस लोकेशन भेज दी जाए तो और बेहतर होगा।

अगर कहीं पेड़ पर उसका घोंसला है तो उसके बारे में भी पूरी जानकारी दें। जिससे उनका वहां पर तो संरक्षण कराया ही जा सके। साथ ही उसको वहां का माहौल क्यों भा रहा है, ये देखकर दूसरी जगहों पर भी ऐसा माहौल बनाया जा सके। मेरठ समेत कई दूसरे जिलों से घोंसलों के बारे में जानकारी दी जा चुकी है। इसके लिए वन विभाग की ईमेल आईडी [email protected] और डीएफओ के सीयूजी नंबर 7839435168 पर व्हॉट्सएप किया जा सकता है। 

विस्तार

गौरैया को बचाने के लिए मेरठ वन विभाग ने अच्छी पहल की है। लोगों से गोरैया के ठिकानों-घोंसलों की फोटो खींचकर जीपीएस लोकेशन के साथ व्हॉट्सएप पर भेजने की अपील की गई है। इसके जरिये गौरैया के रहवास का पता चलने पर वन विभाग इन स्थानों को चिह्नित करेगा। इन इलाकों में गौरैया को ऐसा क्या भा रहा है, जो उसे दूसरी जगह भी मुहैया कराया जा सके, इसके लेकर शहर की बड़ी आरडब्लूए के पदाधिकारियों के साथ चर्चा की जाएगी। मेरठ में अभी तक सिर्फ चार लोगों ने ही गौरैया के ठिकाने की फोटो भेजी है। अगर आपके घर के आसपास भी ये नन्ही चिड़िया आती है, तो इसकी सूचना वन विभाग को जरूर दें।

गौरैया के बारे में खास 

-गौरैया एक छोटी प्रजाति की चिड़िया है। यह एशिया, अमेरिका, यूरोप आदि देशों में पाई जाती है। 

-इंसान जहां घर बनाते हैं, यह वहीं पहुंच जाती है। इन्हें घरेलू चिड़िया भी कहते हैं। 

-शहरी इलाकों में गौरैया की छह प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें हाउस स्पैरो, स्पेनिश स्पैरो, सिंड स्पैरो, रसैट स्पैरो, डेड सी स्पैरो और ट्री स्पैरो शामिल हैं। 

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