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राहुल के कड़े तेवर: सरकार के साथ मीडिया पर भी साधा निशाना, किसान बोले- सरकार किसी मुद्दे पर कोई जवाब नहीं देती

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सार

संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता डॉ. आशीष मित्तल ने अमर उजाला से बातचीत में आरोप लगाया कि केंद्र सरकार आज खुद को किसी के भी प्रति जवाबदेह नहीं समझती है। संसद को केवल खानापूर्ति के लिए चलाया जाता है। संसद में वह विपक्ष के सवालों के जवाब नहीं देती तो संसद के बाहर मीडिया को सवाल उठाने की आजादी नहीं दी जा रही है…

लखनऊ एयरपोर्ट पर धरने पर बैठे राहुल गांधी (दाएं से दूसरे), छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल (बाएं) और पंजाब के सीएम चरनजीत सिंह चन्नी (बाएं से दूसरे)
– फोटो : अमर उजाला

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प्रियंका गांधी की 48 घंटे से ज्यादा की गिरफ्तारी के बाद अब राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश में विरोध की कमान संभाल ली है। बुधवार को उन्होंने बेहद कड़े तेवर में केंद्र पर हमला बोला और कहा कि सरकार किसानों की आवाज दबाना चाहती है। वे खुद लखनऊ जाकर स्थिति समझना चाहते हैं क्योंकि लखीमपुर की घटना की पूरी सच्चाई अभी सामने नहीं आई है। सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने मीडिया को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि उसे लोकतंत्र में सरकार से सवाल पूछने का काम करना चाहिए। मीडिया अपनी भूमिका नहीं निभा रहा है, जिससे उन्हें यह काम करना पड़ रहा है। वहीं, किसान नेताओं ने भी कहा कि यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद, विपक्ष और मीडिया में किसी एक के भी सवालों का जवाब दे रहे होते तो आज यह आंदोलन न होता। किसी के भी सवालों के जवाब न देने के कारण किसानों को आंदोलन की राह पकड़नी पड़ी है।

संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता डॉ. आशीष मित्तल ने अमर उजाला से बातचीत में आरोप लगाया कि केंद्र सरकार आज खुद को किसी के भी प्रति जवाबदेह नहीं समझती है। संसद को केवल खानापूर्ति के लिए चलाया जाता है। संसद में वह विपक्ष के सवालों के जवाब नहीं देती तो संसद के बाहर मीडिया को सवाल उठाने की आजादी नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार किसी के भी सवाल का जवाब दे रही होती तो आज यह नौबत नहीं आती। अपनी आवाज सुनाने के लिए किसानों को सड़क पर उतरना पड़ रहा है।

विपक्ष की भूमिका भी सवालों के घेरे में

किसान नेता ने कहा कि कृषि कानूनों के बारे में विपक्ष की भूमिका भी सही नहीं है। विपक्ष यह तो कह रहा है कि किसानों की मांगें मानी जानी चाहिए और केंद्र सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए, लेकिन वह किसानों के सामने कोई बड़ा समाधान पेश करने की स्थिति में नहीं है। यदि विपक्षी दल किसानों के सामने उनकी आय बढ़ाने, बिजली और खाद सब्सिडी देने और भूमि के बेहतर उपयोग पर एक बेहतर कानूनी विकल्प देने का प्रस्ताव पेश कर पाते, तो आज किसानों का पूरा समर्थन उस दल के साथ होता। लेकिन विपक्षी दलों के द्वारा कोई ठोस प्रस्ताव न होने के कारण किसान सीधे तौर पर किसी के समर्थन में नहीं है।

भाजपा की सफाई – आरोप बेबुनियाद

वहीं, भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि केंद्र सरकार पर यह आरोप लगाना सही नहीं है कि वह किसानों की आवाज नहीं सुन रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद समाज के हर वर्ग से सीधा संवाद करते रहते हैं। किसानों, महिलाओं, छात्रों, वंचित वर्गों के विशेष कार्यक्रम कर वे सीधे उनसे संवाद करते हैं। पूरे देश ने देखा कि एक मुद्दे पर अड़कर विपक्ष ने संसद को सही तरीके से चलने नहीं दिया और सार्थक बहस नहीं होने दी।

भाजपा नेता ने कहा कि किसानों से भी केंद्र सरकार अब तक 12 दौर की बातचीत कर चुकी है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर खुद किसानों से कई दौर की बातचीत कर चुके हैं। उन्होंने अभी भी कहा है कि सरकार खुले मन से किसानों से बातचीत को तैयार है। उन्होंने आरोप लगाया कि लेकिन कुछ लोग केंद्र और किसानों के बीच बातचीत में व्यर्थ के अड़ंगे लगाकर वार्ता को सफल नहीं होने देना चाहते हैं। नेता के मुताबिक भाजपा भी इसी प्रकार किसानों, युवाओं, महिलाओं से सीधे संवाद कर रही है। ऐसे में यह आरोप लगाना उचित नहीं है कि केंद्र सरकार या भाजपा बातचीत को लेकर सकारात्मक नहीं है।

विस्तार

प्रियंका गांधी की 48 घंटे से ज्यादा की गिरफ्तारी के बाद अब राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश में विरोध की कमान संभाल ली है। बुधवार को उन्होंने बेहद कड़े तेवर में केंद्र पर हमला बोला और कहा कि सरकार किसानों की आवाज दबाना चाहती है। वे खुद लखनऊ जाकर स्थिति समझना चाहते हैं क्योंकि लखीमपुर की घटना की पूरी सच्चाई अभी सामने नहीं आई है। सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने मीडिया को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि उसे लोकतंत्र में सरकार से सवाल पूछने का काम करना चाहिए। मीडिया अपनी भूमिका नहीं निभा रहा है, जिससे उन्हें यह काम करना पड़ रहा है। वहीं, किसान नेताओं ने भी कहा कि यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद, विपक्ष और मीडिया में किसी एक के भी सवालों का जवाब दे रहे होते तो आज यह आंदोलन न होता। किसी के भी सवालों के जवाब न देने के कारण किसानों को आंदोलन की राह पकड़नी पड़ी है।

संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता डॉ. आशीष मित्तल ने अमर उजाला से बातचीत में आरोप लगाया कि केंद्र सरकार आज खुद को किसी के भी प्रति जवाबदेह नहीं समझती है। संसद को केवल खानापूर्ति के लिए चलाया जाता है। संसद में वह विपक्ष के सवालों के जवाब नहीं देती तो संसद के बाहर मीडिया को सवाल उठाने की आजादी नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार किसी के भी सवाल का जवाब दे रही होती तो आज यह नौबत नहीं आती। अपनी आवाज सुनाने के लिए किसानों को सड़क पर उतरना पड़ रहा है।

विपक्ष की भूमिका भी सवालों के घेरे में

किसान नेता ने कहा कि कृषि कानूनों के बारे में विपक्ष की भूमिका भी सही नहीं है। विपक्ष यह तो कह रहा है कि किसानों की मांगें मानी जानी चाहिए और केंद्र सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए, लेकिन वह किसानों के सामने कोई बड़ा समाधान पेश करने की स्थिति में नहीं है। यदि विपक्षी दल किसानों के सामने उनकी आय बढ़ाने, बिजली और खाद सब्सिडी देने और भूमि के बेहतर उपयोग पर एक बेहतर कानूनी विकल्प देने का प्रस्ताव पेश कर पाते, तो आज किसानों का पूरा समर्थन उस दल के साथ होता। लेकिन विपक्षी दलों के द्वारा कोई ठोस प्रस्ताव न होने के कारण किसान सीधे तौर पर किसी के समर्थन में नहीं है।

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