कानपुर में तैनात वरिष्ठ आईएएस मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन के धर्मांतरण को बढ़ावा देने संबंधी 65 वीडियो एसआईटी के हाथ लगे थे। जिसके बाद शासन ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था।
मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन,आईएएस अधिकारी – फोटो : अमर उजाला
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एसआईटी जांच में आईएएस मो. इफ्तिखारुद्दीन प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए हैं। एसआईटी ने तमाम साक्ष्यों के साथ मंगलवार को जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। 550 पेज की जांच रिपोर्ट में साहित्य व वीडियो के आपत्तिजनक कन्टेंट को साक्ष्य के तौर पर शामिल किया है।
अब शासन आगे की कार्रवाई तय करेगा। विभागीय कार्रवाई होना लगभग तय है। 26 सितंबर को तीन वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। इसमें इफ्तिखारुद्दीन तकरीरें करते दिखाई व सुनाई दे रहे थे। एक अन्य शख्स धर्मांतरण संबंधी बातें बता रहा था।
तकरीरें करते इफ्तिखारुद्दीन के वीडियो वायरल मामले ने तूल पकड़ा तो 28 सितंबर को शासन ने सीबीसीआईडी के डीजी जीएल मीणा और एडीजी जोन कानपुर भानु भास्कर के नेतृत्व में जांच के लिए एसआईटी गठित की। जांच में स्पष्ट हुआ कि वीडियो कानपुर स्थित मंडलायुक्त आवास के हैं।
तब इफ्तिखारुद्दीन कानपुर के मंडलायुक्त थे। सूत्रों के मुताबिक 20 दिन चली जांच में करीब 70 वीडियो जांचें गए। इफ्तिखारुद्दीन की तीन किताबों शुद्ध धर्म, शुद्ध भक्ति, उपासना तथा नमन की एक-एक लाइन का अर्थ समझा गया। तमाम धर्मांतरण व धार्मिक कट्टरता संबंधी बातें मिली हैं।
उसी आधार पर एसआईटी ने जांच कर उनको दोषी ठहराया है। सूत्रों के मुताबिक किसी अन्य एजेंसी से भी जांच कराने की सिफारिश की है। एसआईटी ने आईएएस इफ्तिखारुद्दीन के बयानों को भी जांच में शामिल किया है। दो दिन में तकरीबन 16 घंटे उनसे पूछताछ की गई थी।
विस्तार
एसआईटी जांच में आईएएस मो. इफ्तिखारुद्दीन प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए हैं। एसआईटी ने तमाम साक्ष्यों के साथ मंगलवार को जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। 550 पेज की जांच रिपोर्ट में साहित्य व वीडियो के आपत्तिजनक कन्टेंट को साक्ष्य के तौर पर शामिल किया है।
अब शासन आगे की कार्रवाई तय करेगा। विभागीय कार्रवाई होना लगभग तय है। 26 सितंबर को तीन वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। इसमें इफ्तिखारुद्दीन तकरीरें करते दिखाई व सुनाई दे रहे थे। एक अन्य शख्स धर्मांतरण संबंधी बातें बता रहा था।
मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन का वायरल वीडियो – फोटो : amar ujala
तकरीरें करते इफ्तिखारुद्दीन के वीडियो वायरल मामले ने तूल पकड़ा तो 28 सितंबर को शासन ने सीबीसीआईडी के डीजी जीएल मीणा और एडीजी जोन कानपुर भानु भास्कर के नेतृत्व में जांच के लिए एसआईटी गठित की। जांच में स्पष्ट हुआ कि वीडियो कानपुर स्थित मंडलायुक्त आवास के हैं।
तब इफ्तिखारुद्दीन कानपुर के मंडलायुक्त थे। सूत्रों के मुताबिक 20 दिन चली जांच में करीब 70 वीडियो जांचें गए। इफ्तिखारुद्दीन की तीन किताबों शुद्ध धर्म, शुद्ध भक्ति, उपासना तथा नमन की एक-एक लाइन का अर्थ समझा गया। तमाम धर्मांतरण व धार्मिक कट्टरता संबंधी बातें मिली हैं।
उसी आधार पर एसआईटी ने जांच कर उनको दोषी ठहराया है। सूत्रों के मुताबिक किसी अन्य एजेंसी से भी जांच कराने की सिफारिश की है। एसआईटी ने आईएएस इफ्तिखारुद्दीन के बयानों को भी जांच में शामिल किया है। दो दिन में तकरीबन 16 घंटे उनसे पूछताछ की गई थी।