[ad_1]
अमर उजाला नेटवर्क, जौनपुर
Published by: उत्पल कांत
Updated Thu, 28 Oct 2021 09:44 PM IST
सार
अयोध्या की गोसाईगंज सीट से भाजपा विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी धोखाधड़ी के मामले में जेल में बंद हैं। उन्हें पांच साल कैद की सजा सुनाई गई है। गाड़ी लूट के मामले में जौनपुर के एसीजेएम तृतीय ने विधायक को जेल से तलब किया है।
विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी
– फोटो : सोशल मीडिया।
ख़बर सुनें
ख़बर सुनें
वादी मुकदमा मोहम्मद जुनेद ने 28 मार्च 2019 को एसीजेएम तृतीय की कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर बताया कि उसकी जीप 14 मार्च 1997 को लूट ली गई थी। इसका मुकदमा सिंगरामऊ थाने में दर्ज कराया था। तीन जून 1997 को सोनभद्र के पिपरी थाने में हत्या के मुकदमे के अभियुक्त इंद्र प्रताप तिवारी को गिरफ्तार किया गया। उसके कब्जे से लूटी गई जीप बरामद हुई।
आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हुई, लेकिन आरोपी ने न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय के कार्यालय से पत्रावली ही गायब करा दी। इस संबंध में लाइन बाजार थाने में मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट ने 5 फरवरी 2019 को पत्रावली दो सप्ताह के भीतर पुनर्गठित करने तथा छह माह में निस्तारण करने का आदेश पारित किया।
पढ़ेंः देश के लिए अपशब्द कहने वाले को वकीलों ने पीटा, पुलिस को छुड़ाने के लिए करनी पड़ी मशक्कत
अगले दिन राजेश तिवारी का शव खून से लथपथ हालत में गांधी गुप्ता के लकड़ी के टाल के पास पाया गया। मौके पर ही आरोपी की टोपी और ईयर फोन भी पड़ा मिला। आरोपी आपराधिक प्रवृत्ति का था। पुलिस ने विवेचना कर आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया। अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ प्रकाश चंद्र शुक्ला की कोर्ट ने आरोपित को दोषी पाते हुए सजा सुनाई।
विस्तार
वादी मुकदमा मोहम्मद जुनेद ने 28 मार्च 2019 को एसीजेएम तृतीय की कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर बताया कि उसकी जीप 14 मार्च 1997 को लूट ली गई थी। इसका मुकदमा सिंगरामऊ थाने में दर्ज कराया था। तीन जून 1997 को सोनभद्र के पिपरी थाने में हत्या के मुकदमे के अभियुक्त इंद्र प्रताप तिवारी को गिरफ्तार किया गया। उसके कब्जे से लूटी गई जीप बरामद हुई।
आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हुई, लेकिन आरोपी ने न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय के कार्यालय से पत्रावली ही गायब करा दी। इस संबंध में लाइन बाजार थाने में मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट ने 5 फरवरी 2019 को पत्रावली दो सप्ताह के भीतर पुनर्गठित करने तथा छह माह में निस्तारण करने का आदेश पारित किया।
पढ़ेंः देश के लिए अपशब्द कहने वाले को वकीलों ने पीटा, पुलिस को छुड़ाने के लिए करनी पड़ी मशक्कत
.
[ad_2]
Source link