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हाईकोर्ट : असिस्टेंट प्रोफेसर की बर्खास्तगी पर जवाब तलब, गौतमबुद्ध विवि के कुलपति व डीन से हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

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संवाद न्यूज एजेंसी, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Fri, 29 Oct 2021 08:57 PM IST

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतमबुद्ध विवि की एक सहायक प्रोफेसर की बर्खास्तगी के खिलाफ दाखिल याचिका पर विश्वविद्यालय के कुलपति, रजिस्ट्रार व कुलाधिपति से जवाब मांगा है। याची प्रोफेसर का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम और अतिप्रिया गौतम का कहना था कि विश्वविद्यालय के कुलपति ने गलत तरीके से एक मनमानीपूर्ण आदेश द्वारा उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया है।

कोर्ट ने विश्वविद्यालय से जवाब मांगते हुए याचिका मंजूर कर ली है तथा विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि वह याची को विश्वविद्यालय के आवंटित आफिशियल आवास में बने रहने दें। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि विश्वविद्यालय की इस दौरान कोई भी कार्रवाई याचिका में पारित निर्णय के अधीन होगी। अदालत ने याचिका पर 9 दिसंबर को सुनवाई का निर्देश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा गौतमबुद्धनगर में कार्यरत सहायक प्रोफेसर की याचिका पर दिया है। याची को 09 जुलाई 21 के आदेश से विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की संस्तुति पर सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। याची के अधिवक्ता का कहना था कि याची के खिलाफ सेवा से निष्कासन की कार्रवाई विश्वविद्यालय के कुलपति भगवती प्रसाद शर्मा व डीन संजय कुमार शर्मा के खिलाफ यौन शोषण की शिकायत पर की गयी है।

अधिवक्ताओं का कहना था कि विश्वविद्यालय की परिनियमावली की अनदेखी कर याची सहायक प्रोफेसर की बर्खास्तगी की गयी है। बहस की गयी कि याची एक सभ्य व सुशील सहायक प्रोफेसर है, परंतु विश्वविद्यालय के कुलपति व डीन ने साजिश कर उसके खिलाफ बर्खास्तगी का आदेश जारी कराया है।

कहा गया है कि याची द्वारा लगाये गये यौन शोषण के आरोपों की जांच करने वाली इंटरनल कम्प्लेंट कमेटी की रिपोर्ट व संस्तुति के आधार पर बर्खास्त किया गया है, जबकि कमेटी का गठन नियम के विरुद्ध है। कहा यह भी गया है कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही याची को सेवा से बर्खास्त कर दिया है, जो गलत है। कोर्ट अब इस याचिका पर 9 दिसंबर को सुनवाई करेगी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतमबुद्ध विवि की एक सहायक प्रोफेसर की बर्खास्तगी के खिलाफ दाखिल याचिका पर विश्वविद्यालय के कुलपति, रजिस्ट्रार व कुलाधिपति से जवाब मांगा है। याची प्रोफेसर का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम और अतिप्रिया गौतम का कहना था कि विश्वविद्यालय के कुलपति ने गलत तरीके से एक मनमानीपूर्ण आदेश द्वारा उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया है।

कोर्ट ने विश्वविद्यालय से जवाब मांगते हुए याचिका मंजूर कर ली है तथा विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि वह याची को विश्वविद्यालय के आवंटित आफिशियल आवास में बने रहने दें। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि विश्वविद्यालय की इस दौरान कोई भी कार्रवाई याचिका में पारित निर्णय के अधीन होगी। अदालत ने याचिका पर 9 दिसंबर को सुनवाई का निर्देश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा गौतमबुद्धनगर में कार्यरत सहायक प्रोफेसर की याचिका पर दिया है। याची को 09 जुलाई 21 के आदेश से विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की संस्तुति पर सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। याची के अधिवक्ता का कहना था कि याची के खिलाफ सेवा से निष्कासन की कार्रवाई विश्वविद्यालय के कुलपति भगवती प्रसाद शर्मा व डीन संजय कुमार शर्मा के खिलाफ यौन शोषण की शिकायत पर की गयी है।

अधिवक्ताओं का कहना था कि विश्वविद्यालय की परिनियमावली की अनदेखी कर याची सहायक प्रोफेसर की बर्खास्तगी की गयी है। बहस की गयी कि याची एक सभ्य व सुशील सहायक प्रोफेसर है, परंतु विश्वविद्यालय के कुलपति व डीन ने साजिश कर उसके खिलाफ बर्खास्तगी का आदेश जारी कराया है।

कहा गया है कि याची द्वारा लगाये गये यौन शोषण के आरोपों की जांच करने वाली इंटरनल कम्प्लेंट कमेटी की रिपोर्ट व संस्तुति के आधार पर बर्खास्त किया गया है, जबकि कमेटी का गठन नियम के विरुद्ध है। कहा यह भी गया है कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही याची को सेवा से बर्खास्त कर दिया है, जो गलत है। कोर्ट अब इस याचिका पर 9 दिसंबर को सुनवाई करेगी।

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