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हाईकोर्ट का निर्णय : आवेदन की अंतिम तिथि के बाद बैक पेपर से बीटीसी पास को नही मिलेगी टीचर की नौकरी

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संवाद न्यूज एजेंसी, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Sat, 30 Oct 2021 08:06 PM IST

सार

इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले से सैकड़ॉं अभ्यर्थियों को झटका लगा है। हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि कानून का यह प्रतिपादित सिद्धांत है कि किसी भी अभ्यर्थी के योग्यता का परीक्षण  प्रार्थना पत्र देने की अंतिम तिथि तक होना चाहिए।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आवेदन की अंतिम तिथि बीत जाने के बाद बीटीसी उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों के मामले में फैसला देते हुए कहा है कि अध्यापक भर्ती के लिए प्रस्तुत प्रार्थना पत्र की अंतिम तिथि को अभ्यर्थी के पास सभी अहर्ताएं होना अनिवार्य है। अंतिम तिथि के बाद यदि कोई अभ्यर्थी बैक पेपर से बीटीसी पास होता है तो वह अध्यापक की नियुक्ति के लिए अर्ह नहीं माना जाएगा। हाईकोर्ट ने कहा कि बैकपेपर से बीटीसी पास होने का मतलब यह कदापि नहीं हो सकता कि अभ्यर्थी को भूतलक्षी प्रभाव से अध्यापक पद के लिए अर्ह माना जाए।

यह फैसला न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने अध्यापक पद की अभ्यर्थी अंजली सिंह की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। याची ने सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति की मांग की थी। याची की नियुक्ति की मांग  पर इस आधार पर नामंजूर कर दी गई क्योंकि उसके पास प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 22 दिसम्बर 2018 तक बीटीसी पास होने की निर्धारित योग्यता नहीं थी। याची ने बैकपेपर से बीटीसी परीक्षा 2019 में पास की।

बीएसए शाहजहांपुर ने पहले ही कर दिया था इनकार

याचिका दाखिल कर याची का कहना था कि सरकार के शासनादेश पांच मार्च 2021 में यह व्यवस्था दी गई है कि बीटीसी के नम्बर में किसी भी प्रकार का परिवर्तन जो बैकपेपर से होगा, उसका भी अधिकारी संज्ञान लेंगे। जबकि याची के इस माँग को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शाहजहांपुर ने पहले ही मानने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया था कि याची को शासनादेश पांच मार्च 2021 का लाभ नहीं मिल सकता।

हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि कानून का यह प्रतिपादित सिद्धांत है कि किसी भी अभ्यर्थी के योग्यता का परीक्षण  प्रार्थना पत्र देने की अंतिम तिथि तक होना चाहिए। याची टीचर के लिए  प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 22 दिसम्बर 2018 तक बीटीसी की योग्यता नहीं रखती थी। हाईकोर्ट ने कहा कि केवल इस आधार पर कि याची बैकपेपर से बीटीसी परीक्षा पास हो गयी है, इसका मतलब यह नहीं कि उसे भूतलक्षी प्रभाव से टीचर पद के लिए अर्ह माना जाए।

विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आवेदन की अंतिम तिथि बीत जाने के बाद बीटीसी उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों के मामले में फैसला देते हुए कहा है कि अध्यापक भर्ती के लिए प्रस्तुत प्रार्थना पत्र की अंतिम तिथि को अभ्यर्थी के पास सभी अहर्ताएं होना अनिवार्य है। अंतिम तिथि के बाद यदि कोई अभ्यर्थी बैक पेपर से बीटीसी पास होता है तो वह अध्यापक की नियुक्ति के लिए अर्ह नहीं माना जाएगा। हाईकोर्ट ने कहा कि बैकपेपर से बीटीसी पास होने का मतलब यह कदापि नहीं हो सकता कि अभ्यर्थी को भूतलक्षी प्रभाव से अध्यापक पद के लिए अर्ह माना जाए।

यह फैसला न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने अध्यापक पद की अभ्यर्थी अंजली सिंह की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। याची ने सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति की मांग की थी। याची की नियुक्ति की मांग  पर इस आधार पर नामंजूर कर दी गई क्योंकि उसके पास प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 22 दिसम्बर 2018 तक बीटीसी पास होने की निर्धारित योग्यता नहीं थी। याची ने बैकपेपर से बीटीसी परीक्षा 2019 में पास की।

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